У нас вы можете посмотреть бесплатно If Ashok Kumar was not there then cinema would not have got these people too| или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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कैसे बिहार में जन्मे यह अभिनेता छह दशक सिनेमा में तक छाए रहे ? एक हादसे ने अभिनेता बना दिया ? #goldenmomentswithvijaypandey अगर अशोक कुमार न होते तो सिनेमा को किशोर कुमार , लता मंगेशकर , देवानंद , अभिनेता प्राण और मधुबाला भी न मिलते निर्देशक की बात करें तो ऋषिकेश मुखर्जी और शक्ति सामंत भी न होते सिनेमा मे अशोक कुमार का जन्म 13 अक्टूबर सन 1911 को एक मध्यम वर्गीय बंगाली हिंदू ब्राह्मण परिवार में भागलपुर बिहार में हुआ था, जो तब बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत में हुआ करता था। उनके पिता कुंजी लाल गांगुली पेशे से वकील थे, जबकि उनकी मां गौरी देवी एक गृहिणी थीं। ये अपने माता पिता की चार संतानों में सबसे बड़े बेटे थे। इनके दो छोटे भाई और एक बहन थी। उनकी इकलौती बहन सती देवी उनसे कुछ साल छोटी थीं। और इनके दो छोटे भाई कल्याण गांगुली और आभास गांगुली जिनको आप अनूप कुमार और किशोर कुमार ने नाम से जानते है। ये फिल्मों में अभिनय और प्ले बैक सिंगर के रूप में बहुत मशहूर हुए। यह दोनों इनसे उम्र में लगभग 16 साल छोटे थे। अशोक कुमार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मध्यप्रदेश के खंडवा शहर में प्राप्त की और आगे की पढ़ाई उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रेसीडेंसी कॉलेज से की , जहाँ उन्होंने पिता के कहने पर वकील बनने के लिए अध्ययन किया। हालाँकि, उनका मन अपनी कानून की पढ़ाई में नहीं था। कुमुद गांगुली की रुचि सिनेमा में अधिक थी, जिसमें उन्होंने एक तकनीशियन के रूप में काम करने का सपना देखा था। इस दौरान उनकी दोस्ती शशिधर मुखर्जी से हुई। भाई बहनो में सबसे बड़े अशोक कुमार बचपन से ही फ़िल्मों में काम करके शोहरत की बुंलदियो पर पहुंचना चाहते थे।मुद लाल के पिता चाहते थे कि वह वकील बने और हालाँकि, कुमुदलाल अपनी लॉ परीक्षा में असफल हो गये और घर में पिता की डांट से बचने के लिए मुंबई में अपनी बहन के पास रहने के लिए आ गये। कुमुदलाल की बहन सती देवी की शादी बहुत कम उम्र में शशधर मुखर्जी से हुई थी, जो मुंबई के चेंबूर इलाके में रहते थे और एक फेमस फिल्म स्टूडियो, बॉम्बे टॉकीज के तकनीकी विभाग में वरिष्ठ पद पर काम करते थे। उनके अनुरोध पर 30 के दशक की शुरुआत में उन्हें बॉम्बे टॉकीज़ में प्रयोगशाला सहायक के रूप में नौकरी मिल गयी। इसके अलावा कुमुदलाल यह नौकरी भली भाँति करते रहे और उन्हें यह काम दिलचस्प लगा, जो लॉ कॉलेज के मामले में नहीं था। शशधर मुखर्जी के कहने पर कुमुदलाल ने अपने पिता को भरोसा दिलाया कि वह एक वकील के रूप में सफल नहीं हो पाएंगे और वे प्रयोगशाला सहायक के रूप में जीवन यापन करेंगे।1936 में बॉम्बे टॉकीज़ प्रोडक्शन की फिल्म जीवन नैया पर शूटिंग चल रही थी। जब फिल्म के हीरो नज्म-उल-हसन अपनी सह-कलाकार देविका रानी के साथ भाग गए जो बॉम्बे टॉकीज़ के करोड़पति मालिक हिमांशु राय की पत्नी थीं। देविका रानी बाद में अपने पति के पास वापस लौट आई थी मगर हिमांशु राय ने इस घटना के कारण नज्म-उल-हसन को फिल्म से निकाल बाहर कर दिया और कुमुदलाल को उनकी जगह लेने का आदेश दिया। फिल्म किस्मत की सफलता के बाद अशोक कुमार उस युग के सबसे भरोसेमंद सितारे बन गए, जिन्होंने साल 1944 की फिल्म चल चल रे नौजवान, साल 1946 की फिल्म शिकारी, साल 1947 की फिल्म साजन,1949 की फिल्म महल, जैसी फिल्मों के साथ बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल की। अशोक कुमार को अब फिल्म निर्माता उस दौर की अन्य अभिनेत्रियों के साथ भी लेने लगे थे। साल 1950 की फिल्म संग्राम और समाधि में अभिनेत्री नलिनी जयवंत के साथ और फिल्म मशाल में अभिनेत्री सुमित्रा देवी के साथ अशोक कुमार ने काम किया। उन्होंने कंपनी के अंतिम वर्षों के दौरान बॉम्बे टॉकीज के लिए कई फिल्मों का निर्माण किया जैसे साल 1946 की फिल्म आठ दिन और 1949 की फिल्म महल साल 1952 की फिल्म नौबहार, फिल्म तमाशा और साल 1953 की फिल्म परिणिता आदि रही। सुपरहिट फिल्म महल के निर्देशक कमाल अमरोही थे। जिसमें अशोक कुमार ने मधुबाला के साथ अभिनय किया था।साल 1950 के दशक के आगमन के साथ उन्होंने 1958 की क्लासिक फिल्म हावड़ा ब्रिज से अधिक परिपक्व भूमिकाओं की ओर रुख किया,इस फिल्म में भी यह दुबारा से अभिनेत्री मधुबाला के साथ नजर आये। देव आनंद, दिलीप कुमार और राज कपूर जैसे सितारों की युवा पीढ़ी के आगमन के बावजूद, अशोक कुमार साल 1951 की फिल्म अफसाना, 1952 की फिल्म नौ बहार, साल 1953 फिल्म परिणिता और फिल्म बंदिश जैसी हिट फिल्मों के साथ युग के सितारों में से एक बने रहे। साल 1956 की फिल्म एक ही रास्ता, उस दौर की उनकी सबसे सफल फिल्म साल 1951 की फिल्म दीदार थी। जिसमें उन्होंने दिलीप कुमार के साथ दूसरी मुख्य भूमिका निभाई थी।साल 1959 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार,साल 1962 में फिल्म राखी के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार,इसी साल भारत सरकार द्वारा पद्म श्री पुरस्कार,साल 1966 की फिल्म अफसाना के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार,साल 1969 की फिल्म आशीर्वाद के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार,साल 1988 में सिनेमाई उत्कृष्टता के लिए भारत का सर्वोच्च पुरस्कार दादासाहेब फाल्के पुरस्कार,साल 1994 में स्क्रीन लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड,साल 1995 का फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड,वर्ष 1999 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण पुरस्कार और वर्ष 2001 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उन्हे अवध सम्मान दिया गया। SPECIAL THANKS TO DHEERAJ BHARDWAJ JEE (DRAMA SERIES INDIAN), THANKS FOR WATCHIN GOLDEN MOMENTS WITH VIJAY PANDEY https://podcasters.spotify.com/pod/da... https://www.facebook.com/profile.php?... / actorvijaypandey / panvijay