У нас вы можете посмотреть бесплатно HIMALAYAN HIGHWAYS| खूबसूरत उत्तराखंड के पौराणिक लोकसंस्कृति का गवाह फल्दिया गाँव| CHAMOLI| DEWAL или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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@HimalayanHighways हिमालयन हाइवेज। HIMALAYAN HIGHWAYS सच है कि पहाड़ों में जीवन मुश्किलों से संघर्ष का है सच है कि यहां बुनियादी सुविधाओ का अभाव है और ये भी सच है कि यहां प्रकृति जब नाराज होती है तो खामियाजा इंसानों को ही भुगतना होता है लेकिन इन सबके बाद भी जीवन यहां कभी नीरस होता ही नही..... खूबसूरत वेशभूषा में अपनी लोकसंस्कृति से जुड़े ये चेहरे आधुनिकता के साथ भी कदमताल करते है लेकिन बात जब अपनी पहचान की हो तो यही रंग एक बार फिर सब पर भारी पड़ जाता है... पहाड़ हो और दर्द ना हो ये हो ही नही सकता लेकिन दिल का दर्द जब गीतों की शक्ल में जुबान पर आ जाता है तो भारी से भारी मन भी खुद को हल्का महसूस करता है और ये इलाज सदियों से ना जाने कितने दर्दों को ऐसे ही मरहम लगाते आ रहा है। आधुनिकता भले ही पूरी रफ्तार से अतीत को पीछे छोडने पर आमादा हो लेकिन ये इंसान जीते जागते इतिहास है जिन्हें बीते कल को याद करना न सिर्फ संतोष दे जाता है बल्कि उस संघर्ष से निकल कर आने की कहानी प्रेरित भी कर जाती है। नमस्कार हिमालयन हाइवेज के एक और खास एपिसोड में आपका स्वागत है। उत्तराखण्ड के सुदूर पहाड़ों में मां नन्दा को इष्टदेवी का दर्जा हासिल है और यहां मां नन्दा की पूजा हर घर में होती है। आज के एपिसोड में हम आपके लिए लेकर आये है माँ नन्दा का ननिहाल कहें जाने वाले बेहद खूबसूरत फल्दिया गांव की जीवनशैली को। गौरवान्वित करता इतिहास और आपदा के दंश को झेल आगे बढ़ते फल्दिया गांव में लोकसंस्कृति हमेशा से अपने रंग बिखेरती आई है और यह सिलसिला न जाने कितनी पीढ़ियों से यू ही आगे बढ़ता आ रहा है। आज के इस एपिसोड में आप जानेंगे फल्दिया गांव का इतिहास, लोकसंस्कृति ओर जीवनशैली को। तो आइए शुरू करते है आज का यह एपिसोड इस पारम्परिक माँगल गीत के साथ.... चमोली जनपद के सुदूर देवाल विकासखण्ड में रूपकुंड मार्ग पर स्थित है फल्दिया गांव. देवाल से वाण को जोड़ने वाली सड़क पर उलग्रा गांव से पैदल मार्ग के जरिये फल्दिया गांव का सफर तय होता है। माँ नन्दा की सालाना जात यात्रा और राजजात यात्रा के मुख्य पड़ाव में शामिल फल्दिया गांव में मकान बेहद सटे हुए है और मकानों को जोड़ने वाले रास्ते कई गलियों का निर्माण करते है। फल्दिया गांव में इतिहास काफी विस्तार लिए हुए है और यहां आबादी परिवारों की संख्या और आबादी के बसने को लेकर स्थानीय लोग विस्तार से बताते है । फल्दिया गांव में गांव की आबादी मुख्य गांव के अलावा चार तोकों में निवास करती है। मां नन्दा के ननिहाल फल्दिया गांव में धार्मिक आस्था की जड़े काफी गहरी है। माँ नन्दा के साथ ही यहां देवी देवताओं के मंदिर और पूजा के विधि विधान है जिसका पालन ग्रामीण सदियों से करते आ रहे है। गांव के बीच में कुलदेवी का मंदिर है जो अपनी धार्मिक आस्था के साथ आज भी पौराणिक स्वरूप में है। समय समय पर गांव में धार्मिक आयोजन किये जाते है और इस दौरान गांव के सभी परिवार मौजूद होते है। शहरों में रह रहे परिवार भी अपने कुलदेवताओं की पूजा के वक्त परिवार सहित हिस्सा लेते आये है और ये पहाड़ों में गांवों को खास बनाते आया है। समस्याएं पहाड़ों में जीवन का दूसरा नाम है और फल्दिया गांव भी इससे अछूता नही है। प्राकृतिक आपदाओं की मार इस गांव ने समय समय पर झेली है और इन आपदाओं से उपजे जख्म आज भी लोगों की आंखे नम कर जाते है। कुछ साल पहले गांव से सटे गधेरे में आई जलप्रलय अपने साथ मकान गौशालाएं जानवर ओर इंसानों को बहा ले गयी थी। आपदा से गांव को जोड़ने वाले चार पुल भी जमींदोज हुए थे जिनका निर्माण आज तक नही हो पाया है । सड़क मार्ग से नही जुड़ने के कारण ग्रामीणों को आज भी भारी सामान लाने में कही ज्यादा भाड़ा देना पड़ता है। शिक्षा स्वास्थ्य जैसे मुद्दे तो पहाड़ों में समस्या है ही ओर फल्दिया गांव में भी नजर आते है। लोकसंस्कृति हमेशा से पहाड़ों में जीवन को गति देती आई है और यहां भी लोकसंस्कृति अपने इसी रंग में नजर आती है। पारिवारिक ओर सार्वजनिक आयोजनों में स्थानीय महिलाएं अपनी लोकसंस्कृति की विरासत को ओर मजबूत करती आई है। पारम्परिक वेशभूषा में लोकगीतों की प्रस्तुति हर किसी को हैरान करने के साथ सुखद अनुभव दे जाती है। मनोरंजन के साधनों में इजाफा ओर आधुनिक संगीत के बाद भी पहाड़ों में पीढ़ियों से चले आ रहें लोकगीत असल पहचान दे जाते है। बात गांवों की हो और बीतती उम्र के साथ अतीत की यादे साथ न हो ऐसा सम्भव नही। आज के फल्दिया गांव में कुछ दशकों पहले जीवन इतना भी आसान और सहज नजर नही आता था। स्थानीय बुजुर्ग महिलाओं की यादें उदास भी करती है और हंसाने पर मजबूर भी कर जाती है। बेहद मुश्किल समय की गवाह ये महिलाएं खुद में किसी इतिहास से कम नही ओर हर गांव में इस तरह का जीवित इतिहास आसानी से आपसे बात करने को तैयार रहता है। बुजुर्ग पीढ़ी का यही संघर्ष है जिसकी बुनियाद पर आज हर गांव इस कदर खूबसूरत नजर आता है। हिमालयन हाइवेज के इस एपिसोड में इतना ही जल्द ही एक नए गांव के सफर को हम आपके लिए लेकर आएंगे। आपको हमारा यह एपिसोड कैसा लगा कृपया कमेंट कर अवश्य बताएं साथ ही हमारे चैनल को जरूर सब्सक्राइब कीजियेगा।