У нас вы можете посмотреть бесплатно श्रीमद् रामचरित मानस | बालकाण्ड | दोहा क्रमांक : 15 से 20 वाणी: श्री राजेन्द्र दास जी महाराज или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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सत्यं शिवं सुन्दरम् ॥ श्रीराम ॥ श्रीमद्गोस्वामी तुलसीदासजीविरचित श्रीरामचरितमानस श्री गणेशाय नमः ।। श्रीजानकीवल्लभो विजयते श्रीमद् रामचरित मानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड) श्री सीताराम | श्रीमते रामानन्दाचार्य नमः | श्रीमते मलूकदासाचार्य नमः | श्री नित्य साकेत विहारनि विरह्रेणे नमः | श्रीमद् जगद्गुरु द्वाराचार्य श्री मलूकपीठधीश्वर राजेन्द्र दास जी महाराज जी की अमृतमय वाणी में हम आप सभी को श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज जी की अनुपम कृति श्री रामचरितमानस के नित्य 5 दोहे का श्रवण और पाठ करने का लाभ हम सबको प्राप्त हो रहा है | आप सभी 5 दोहे का पाठ नित्य करें और मंगलमय लाभ प्राप्त करें Shri Rajendra Das Ji Maharaj (Malook Peeth Vrindavan) is initiated in a pious Virakt Parampara of Ramanand Sampraday (largest Vaishnav sampradaya). Maharajji is an Ananya devotee of Shri Ram Krishna Narayan. ----------------------------------------- Email: [email protected] Contact number: +91 7900380003 Whatsapp satsang group: +91 8955611382 -------------------- Follow us on - Youtube - / rajendradasjimaharaj Facebook - / rajendradasjimaharaj Instagram - / rajendradasjimaharaj Telegram - https://t.me/rajendradasjimaharaj ----------------------------------------- Official channel of Shri Rajendra das Ji Maharaj, Malook Peeth:- / rajendradasjimaharaj Address:- Shree Malook Peeth Sewa Sansthan Nyas 212, Vansivat, Vrindavan, Mathura (UP) 281121 बंदउँ अवध पुरी अति पावनि। सरजू सरि कलि कलुष नसावनि।। प्रनवउँ पुर नर नारि बहोरी। ममता जिन्ह पर प्रभुहि न थोरी।। सिय निंदक अघ ओघ नसाए। लोक बिसोक बनाइ बसाए।। बंदउँ कौसल्या दिसि प्राची। कीरति जासु सकल जग माची।। प्रगटेउ जहँ रघुपति ससि चारू। बिस्व सुखद खल कमल तुसारू।। दसरथ राउ सहित सब रानी। सुकृत सुमंगल मूरति मानी।। करउँ प्रनाम करम मन बानी। करहु कृपा सुत सेवक जानी।। जिन्हहि बिरचि बड़ भयउ बिधाता। महिमा अवधि राम पितु माता।। बंदउँ अवध भुआल सत्य प्रेम जेहि राम पद। बिछुरत दीनदयाल प्रिय तनु तृन इव परिहरेउ।। प्रनवउँ परिजन सहित बिदेहू। जाहि राम पद गूढ़ सनेहू।। जोग भोग महँ राखेउ गोई। राम बिलोकत प्रगटेउ सोई।। प्रनवउँ प्रथम भरत के चरना। जासु नेम ब्रत जाइ न बरना।। राम चरन पंकज मन जासू। लुबुध मधुप इव तजइ न पासू।। बंदउँ लछिमन पद जलजाता। सीतल सुभग भगत सुख दाता।। रघुपति कीरति बिमल पताका। दंड समान भयउ जस जाका।। सेष सहस्त्रसीस जग कारन। जो अवतरेउ भूमि भय टारन।। सदा सो सानुकूल रह मो पर। कृपासिंधु सौमित्रि गुनाकर।। रिपुसूदन पद कमल नमामी। सूर सुसील भरत अनुगामी।। महावीर बिनवउँ हनुमाना। राम जासु जस आप बखाना।। प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यानधन। जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर।। कपिपति रीछ निसाचर राजा। अंगदादि जे कीस समाजा।। बंदउँ सब के चरन सुहाए। अधम सरीर राम जिन्ह पाए।। रघुपति चरन उपासक जेते। खग मृग सुर नर असुर समेते।। बंदउँ पद सरोज सब केरे। जे बिनु काम राम के चेरे।। सुक सनकादि भगत मुनि नारद। जे मुनिबर बिग्यान बिसारद।। प्रनवउँ सबहिं धरनि धरि सीसा। करहु कृपा जन जानि मुनीसा।। जनकसुता जग जननि जानकी। अतिसय प्रिय करुना निधान की।। ताके जुग पद कमल मनावउँ। जासु कृपाँ निरमल मति पावउँ।। पुनि मन बचन कर्म रघुनायक। चरन कमल बंदउँ सब लायक।। राजिवनयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुख दायक।। गिरा अरथ जल बीचि सम कहिअत भिन्न न भिन्न। बदउँ सीता राम पद जिन्हहि परम प्रिय खिन्न।। बंदउँ नाम राम रघुवर को। हेतु कृसानु भानु हिमकर को।। बिधि हरि हरमय बेद प्रान सो। अगुन अनूपम गुन निधान सो।। महामंत्र जोइ जपत महेसू। कासीं मुकुति हेतु उपदेसू।। महिमा जासु जान गनराउ। प्रथम पूजिअत नाम प्रभाऊ।। जान आदिकबि नाम प्रतापू। भयउ सुद्ध करि उलटा जापू।। सहस नाम सम सुनि सिव बानी। जपि जेई पिय संग भवानी।। हरषे हेतु हेरि हर ही को। किय भूषन तिय भूषन ती को।। नाम प्रभाउ जान सिव नीको। कालकूट फलु दीन्ह अमी को। बरषा रितु रघुपति भगति तुलसी सालि सुदास।। राम नाम बर बरन जुग सावन भादव मास।। आखर मधुर मनोहर दोऊ। बरन बिलोचन जन जिय जोऊ।। सुमिरत सुलभ सुखद सब काहू। लोक लाहु परलोक निबाहू।। कहत सुनत सुमिरत सुठि नीके। राम लखन सम प्रिय तुलसी के।। बरनत बरन प्रीति बिलगाती। ब्रह्म जीव सम सहज सँघाती।। नर नारायन सरिस सुभ्राता। जग पालक बिसेषि जन त्राता।। भगति सुतिय कल करन बिभूषन। जग हित हेतु बिमल बिधु पूषन । स्वाद तोष सम सुगति सुधा के। कमठ सेष सम धर बसुधा के।। जन मन मंजु कंज मधुकर से। जीह जसोमति हरि हलधर से।। एकु छत्रु एकु मुकुटमनि सब बरननि पर जोउ। तुलसी रघुबर नाम के बरन बिराजत दोउ।। #bhajan #shrirajendradasjimaharj #rajendradasjimaharaj #bhaktmalkatha #malookpeeth #ram #ramcharitmanas #tulsidas #tulsidasji #ramayan #sitaram #shrisitaram #ayodhya #ayodhyarammandir #ayodhyadham #vrindavan #vrindavandham #vrindavanrasmahima #radhavallabh #bankebihari #radharaman #chitarkoot #sitaram #mahadev #kanakbhawan #kanakbhawanayodhya #ramlala #ramandir #shriramcharitmanasfull #malookpeeth #kabirdas #meera #meerabai #sabri #bhakti #bhakat #radhakrishna #radha #mithila #barsana #vrindavan #goverdhan #braj #braj84kos #uttarpradesh #sant #radharani #radhakrishna #radhavallabh #mathura #mathuravrindavan #bhaktmalkatha #bhajans