У нас вы можете посмотреть бесплатно आल्हा ने बनावाया था पड़ाड़ी पर मंदिर 🚩 | आशापूर्णा माता मंदिर असीरगढ़ बुरहानपुर🚩 | или скачать в максимальном доступном качестве, которое было загружено на ютуб. Для скачивания выберите вариант из формы ниже:
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बुरहानपुर जिले में सतपुड़ा की दुर्गम पहाड़ी पर मां आशा देवी के मंदिर की महिमा निराली है. यहां पूरी होती हर मनोकामना.🚩 बुरहानपुर। बुरहानपुर जिला न केवल ऐतिहासिक बल्कि धार्मिक महत्व भी रखता है. हम आपको एक ऐसे शक्तिपीठ की रोचक कहानी से रूबरू करा रहे हैं, जिसका इतिहास 12वीं शताब्दी से जुड़ा है. दरअसल जिला मुख्यालय से 28 किमी दूर असीरगढ़ गांव से 3 किमी दूर सतपुड़ा की दुर्गम पहाड़ी पर मां आशा देवी का मंदिर स्थित है. यहां चैत्र और शारदीय नवरात्र पर बड़ी संख्या में आस्था का जनसैलाब उमड़ता है. आल्हा ने बनावाया था पड़ाड़ी पर मंदिर इस मंदिर की नींव सम्राट पृथ्वीराज चौहान के भांजे आल्हा ने रखी थी. उन्होंने इस मंदिर को बनवाया था. भक्तों का कहना है कि मां ने आल्हा को इस सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला में साक्षात दर्शन दिए थे. इसके बाद उन्होंने पहाड़ी पर मां के मंदिर का निर्माण कराया. माता के इस चमत्कारी व अद्भुत मंदिर में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात सहित राजस्थान से बड़ी संख्या में भक्त मनोकामनाएं लेकर आते हैं. इस दौरान दर्शन व विधि विधान से पूजा-पाठ भी करते हैं. मंदिर के पुजारी भगवानदास ने बताया "मंदिर का इतिहास अतिप्राचीन है. यहां हमारी तीसरी पीढ़ी सेवा दे रही है." बुरहानपुर जिले में आल्हा ने बनावाया था पड़ाड़ी पर मंदिर संतान सुख प्राप्ति के लिए आते हैं दंपती इस मंदिर पर अधिकतर भक्त विवाह और संतान सुख प्राप्ति की इच्छा लेकर आते हैं. अब तक मां आशा देवी ने कई दंपतियों की गोद भरकर उनके जीवन में बदलाव किया है. मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचने के लिए भक्तों को 116 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है. पुजारी के मुताबिक जब भक्तगणों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं तो वह हरी चूड़ियां चढ़ाते हैं. मां के आशीर्वाद से कारोबार में वृद्धि और सुख समृद्धि की कामना भी पूरी होती है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो आज भी जीवित है. मंदिर परिसर में बैर का पेड़, यहां कपड़ा व धागा बाधते हैं माना जाता हैकि मंदिर परिसर में मौजूद बैर के पेड़ पर कपड़ा व धागा बांधने से कष्ट दूर होते हैं. सच्चे मन से धागा बांधने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं, जब मनोकामनाएं पूरी होती हैं तो भक्त हरी चूड़ियों का चूड़ा चढ़ाते हैं. यही वजह है कि सैकड़ों किमी दूर से भक्त खिंचे चले आते हैं और मन्नत मांगते हैं. यहां भक्तों पर माता का आशीर्वाद बरसता है. माता की कृपादृष्टि से सारे बिगड़े काम बन जाते हैं, इसमें कई भक्त पैदल चलकर आते हैं. 🚩