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दरबार मिला मुझको जो श्याम तुम्हारा है | Darbar Mila Mujhko Jo Shyam Tumhara Hai | Shyam Bhajan 2025 खाटू श्याम जी भजन - Top 10 Khatu Shyam Bhajan - Baba Shyam Superhit Bhajan - Khatu Shyam Bhajan Bhajan :- Darbar Mila Mujhko Jo Shyam Tumhara Hai #khatushyambhajan#morningbhajan #khatushyambhajan #krishnabhajan #shyambaba #shyambabakebhajan #latestbhajan #morningtimebhajans#shrikrishnabhajan #lordkrishnabhajans #popularkrishnabhajans#krishnabhajanscollection #bestshrikrishnabhajans ********Lyrics************* दरबार मिला मुझको दरबार मिला मुझको जो श्याम तुम्हारा है दरबार मिला मुझको जो श्याम तुम्हारा है दरबार मिला मुझको जो श्याम तुम्हारा है दरबार मिला मुझको जो श्याम तुम्हारा है दरबार मिला मुझको जो श्याम तुम्हारा है ये कर्म ना थे मेरे ये कर्म ना थे मेरे अहसान तुम्हारा है ये कर्म ना थे मेरे अहसान तुम्हारा है दरबार मिला मुझकों जो श्याम तुम्हारा है कल दिन थे गरीबी के अब रोज दिवाली है कल दिन थे गरीबी के अब रोज दिवाली है कल दिन थे गरीबी के अब रोज दिवाली है किस्मत ये नहीं मेरी किस्मत ये नहीं मेरी वरदान तुम्हारा है, किस्मत ये नहीं मेरी वरदान तुम्हारा है ये कर्म ना थे मेरे अहसान तुम्हारा है दरबार मिला मुझकों जो श्याम तुम्हारा है ठुकराने वालों ने पलकों पे बिठाया है ठुकराने वालों ने पलकों पे बिठाया है ठुकराने वालों ने पलकों पे बिठाया है ये शान नहीं मेरी ये शान नहीं मेरी ये सम्मान तुम्हारा है ये शान नहीं मेरी सम्मान तुम्हारा है ये कर्म ना थे मेरे अहसान तुम्हारा है दरबार मिला मुझकों जो श्याम तुम्हारा है एक वक्त के मारे ने किस्मत को हरा डाला एक वक्त के मारे ने किस्मत को हरा डाला एक वक्त के मारे ने किस्मत को हरा डाला औकात न थी मेरी औकात न थी मेरी औकात न थी मेरी ये काम तुम्हारा है ये कर्म ना थे मेरे अहसान तुम्हारा है दरबार मिला मुझकों जो श्याम तुम्हारा है निर्बल को अपनाना निर्धन के घर जाना निर्बल को अपनाना निर्धन के घर जाना ये शौक नहीं तेरा ये शौक नहीं तेरा ये विधान तुम्हारा है ये शौक नहीं तेरा ये विधान तुम्हारा है ये कर्म ना थे मेरे अहसान तुम्हारा है दरबार मिला मुझकों जो श्याम तुम्हारा है रोते को हसाता तू गिरते को उठाता तू रोते को हसाता तू गिरते को उठाता तू रोते को हसाता तू गिरते को उठाता तू सोनू तभी दीनदयाल सोनू तभी दीनदयाल पड़ा नाम तुम्हारा है सोनू तभी दीनदयाल पड़ा नाम तुम्हारा है ये कर्म ना थे मेरे अहसान तुम्हारा है दरबार मिला मुझकों जो श्याम तुम्हारा है