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🙏हिमालये तू केदारं तं नमामि🙏 सुनिए मंत्रमुग्ध कर देने वाला ॥ भगवान गंगाधर की आरती ॥ स्वर - परम शैव पं. मृत्युंजय हिरेमठ जी केदारनाथ धाम ================================================= ॥ भगवान गंगाधर की आरती ॥ ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा। त्वं मां पालय नित्यं कृपया जगदीशा॥ ॐ हर...॥ कैलासे गिरिशिखरे कल्पद्रमविपिने। गुंजति मधुकरपुंजे कुंजवने गहने॥ ॐ हर...॥ कोकिलकूजित खेलत हंसावन ललिता। रचयति कलाकलापं नृत्यति मुदसहिता ॥ ॐ हर...॥ तस्मिंल्ललितसुदेशे शाला मणिरचिता। तन्मध्ये हरनिकटे गौरी मुदसहिता॥ ॐ हर...॥ क्रीडा रचयति भूषारंचित निजमीशम्। इंद्रादिक सुर सेवत नामयते शीशम् ॥ ॐ हर...॥ बिबुधबधू बहु नृत्यत नामयते मुदसहिता। किन्नर गायन कुरुते सप्त स्वर सहिता॥ ॐ हर...॥ धिनकत थै थै धिनकत मृदंग वादयते। क्वण क्वण ललिता वेणुं मधुरं नाटयते ॥ ॐ हर...॥ रुण रुण चरणे रचयति नूपुरमुज्ज्वलिता। चक्रावर्ते भ्रमयति कुरुते तां धिक तां॥ ॐ हर...॥ तां तां लुप चुप तां तां डमरू वादयते। अंगुष्ठांगुलिनादं लासकतां कुरुते ॥ ॐ हर...॥ कपूर्रद्युतिगौरं पंचाननसहितम्। त्रिनयनशशिधरमौलिं विषधरकण्ठयुतम्॥ ॐ हर...॥ सुन्दरजटायकलापं पावकयुतभालम्। डमरुत्रिशूलपिनाकं करधृतनृकपालम् ॥ ॐ हर...॥ मुण्डै रचयति माला पन्नगमुपवीतम्। वामविभागे गिरिजारूपं अतिललितम्॥ ॐ हर...॥ शंखनिनादं कृत्वा झल्लरि नादयते। नीराजयते ब्रह्मा वेदऋचां पठते॥ ॐ हर...॥ सुन्दरसकलशरीरे कृतभस्माभरणम्। श्री वृषभध्वजरूपं तापत्रयहरणं ॥ ॐ हर...॥ ध्यानं आरति समये हृदये अति कृत्वा। रामस्त्रिजटानाथं ईशं अभिनत्वा॥ ॐ हर...॥ संगतिमेवं प्रतिदिन पठनं यः कुरुते। शिवसायुज्यं गच्छति भक्त्या यः श्रृणुते ॥ ॐ हर...॥ ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा। त्वं मां पालय नित्यं कृपया जगदीशा॥ ॐ हर...॥ कर्पूर_गौरम_करुणावतारं, संसार सारं भुजगेन्द्र हारं। सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।। ============================================