У нас вы можете посмотреть бесплатно Siddh Kunjika Stotra Path Fast (11 times with lyrics) | सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र पाठ (11 बार)। или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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सिद्ध कुञ्जिका स्त्रोत को दुर्गा सप्तशती पाठ का सार माना गया है | इसलिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मिलने वाला सम्पूर्ण फल आपको सिद्धकुञ्जिका स्त्रोत / Siddha Kunjika Stotra के श्रद्धापूर्वक पाठ करने या सुनने मात्र से प्राप्त हो जाता है | दुर्गा सप्तशती का सम्पूर्ण पाठ करने में जहाँ 2 से 3 घंटे का समय लगता है वहीं सिद्धकुञ्जिका स्त्रोत का पाठ कुछ मिनट में ही पूर्ण हो जाता है | यदि आप संकल्प लेकर सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का नियमित रूप से पाठ करते है तो माँ दुर्गा के आशीर्वाद से आपकी सभी मनोकामनायें पूर्ण होती है और साथ ही इस स्तोत्र का प्रयोग दूसरों की भलाई के लिए भी किया जा सकता है | स्तोत्र साधना करते समय ध्यान देने योग्य बातें :- साधना करते समय जितने स्तोत्र पाठ आप पहले दिन करते हैं, उतने ही पाठ प्रतिदिन करें | यदि आप चाहे तो पाठ की संख्या बढ़ा सकते है किन्तु कम कदापि न करें | साधना के समय जिस स्थान पर बैठकर आप साधना करते है उस स्थान में कोई बदलाव न करें। ध्यान रहें : – साधना बीच में छूटनी नहीं चाहिए | सिद्ध कुंजिका साधना करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं और पीड़ाये अपने आप दूर होने लगती है | माँ दुर्गा की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है | समाज में मान -सम्मान मिलता है | घर में घन -लक्ष्मी की वृद्धि होती है | ऐसा व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है| सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के सिद्ध होने पर इसे दुसरे लोगों की भलाई के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है | कुंजिका स्त्रोत वास्तव में सफलता की कुंजी ही है, सप्तशती का पाठ इसके बिना पूर्ण नहीं माना जाता है। षटकर्म में भी कुंजिका रामबाण कि तरह कार्य करता है। साधना समय रात्रि 10 के बाद का हो तो और भी उत्तम होगा। बाजोट पर लाल वस्त्र बिछा दे और उस पर माँ दुर्गा का चित्र स्थापित करें । अब माँ का सामान्य पूजन करे तेल अथवा घी का दीपक प्रज्वलित करें । किसी भी मिठाई को प्रसाद रूप मे अर्पित करें। और हाथ में जल लेकर संकल्प ले, कि माँ मैं आज से सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र का अनुष्ठान आरम्भ कर रहा हूँ। माँ मेरी साधना को स्वीकार कर मुझे कुञ्जिका स्तोत्र की सिद्धि प्रदान करें। मैं इतने दिन तक रोज इतने पाठ करूँगा । जल भूमि पर छोड़ दे और साधक पाठ आरम्भ करें। इस प्रकार कुञ्जिका स्तोत्र साधक के लिये पूर्ण रूप से जागृत तथा चैतन्य हो जाता है फिर साधक इससे जुड़ी कोइ भी साधना सफलता पूर्वक कर सकता है। कुंजिका स्तोत्र और कुछ अवश्यक नियम : साधक भूमि शयन कर पाये तो उत्तम होगा। अगर नित्य कुंजिका स्तोत्र समाप्त करने के बाद एक अनार काटकर माँ को अर्पित किया जाये तो इससे साधना का प्रभाव और अधिक हो जाता है। परन्तु ये अनार साधक को नहीं खाना चाहिए ये नित्य प्रातः गाय को दे देना चाहिए। यदि आपका रात्रि मे कुञ्जिका का अनुष्ठान चल रहा है तो नित्य प्रातः पूजन के समय 3 माला नवार्ण मंत्र का जाप करें। इससे यदि साधना काल मे आपसे कोई त्रुटि हो रही होगी तो वो समाप्त हो जायेगी। वैसे ये आवश्यक नहीं है फिर भी साधक चाहे तो कर सकते हैं। साधना गोपनीय रखें गुरु तथा मार्गदर्शक के अतिरिक्त किसी अन्य को कुछ न बताए, ना ही साधना सामाप्त होने तक किसी से कोई चर्चा करें । जहाँ तक सम्भव हो साधना में सभी वस्तुएँ लाल ही प्रयोग करें । जब साधक उपरोक्त विधान के अनुसार कुञ्जिका को जागृत कर ले, तब इसके मध्यम से काई भी प्रकार के काम्य प्रयोग किये जा सकते हैं । यहाँ कुछ प्रयोग दिये जा रहे हैं । धन प्राप्ति :- किसी भी शुक्रवार को रात्रि मे माँ का सामान्य पुजन करें इसके बाद कुञ्जिका के 9 पाठ कर के नवार्ण मन्त्र से अग्नि मे 21 आहुति सफ़ेद तील से प्रदान करें । आहुति के बाद पुनः 9 पाठ करें। इस प्रकार 9 दिनों तक करने से धन आगमन के मार्ग खुलने लगते हैं। शत्रु मुक्ति :- शनिवार रात्रि मे काले वस्त्र पर एक निंबू स्थापित करे तथा इस पर शत्रु का नाम काजल से लिख दें । और इस निम्बू के समक्ष ही सर्व प्रथम 11 बार कुञ्जिका का पाठ करे। इसके बाद "हूं शत्रुनाशिनी हूँ फट" मन्त्र का 5 मिनट तक निम्बू पर त्राटक करते हुए जाप करें। फिर पुनः 11 पाठ करें। इसके बाद निम्बू कहीं भूमि मे गाड़ दें। शत्रु बाधा समाप्त हो जायेगी। रोग नाश :- नित्य कुञ्जिका के 11 पाठ करके काली मिर्च अभिमंत्रित कर लें। इसके बाद रोगी के सर पर से इसे 7 बार घुमाकर घर के बहार फेंक दें। कुछ दिन प्रयोग करने से रोग शांत हो जाते हैं । आकर्षण :- कुञ्जिका का 9 बार पाठ करे तत्पश्चात "क्लीं ह्रीं क्लीं" मन्त्र के 108 बार जाप करे तथा पुनः 9 पाठ कुञ्जिका के करे और जल अभिमंत्रित कर लें। इस जल को थोड़ा पी लें और थोड़े से मुख धो ले। सतत करते रहने से साधक में आकर्षण शक्ति का विकास होता है। तंत्र सुरक्षा :- बुधवार के दिन एक लोहे कि कील ले और इसकी समक्ष कुञ्जिका के 21 पाठ करे प्रत्येक पाठ की समाप्ति पर कील पर एक कुमकुम कि बिंदी लगाये। इसके बाद इस कील को लाल वस्त्र मे लपेट कर घर के मुख्य द्वार के बाहर भूमि मे गाढ़ दे। इससे घर तंत्र क्रियायों से सुरक्षित रहेगा। उपरोक्त सभी प्रयोग सरल है परन्तु ये तभि प्रभावी होंगे जब आप स्वयं के लिए कुञ्जिका को जागृत कर लेंगे। जय गुरुदेव | जय निखिलेश्वर | #SiddhKunjika #SiddhaKunjika #Nikhil #Nikhileshwar #Nikhileshwaram #Nikhileshwaranand #NarayanDuttShrimali #DrNarayanDuttShrimali #Sadhguru #SadhGurudev #Gurudev #Gurukripa #nikhilsandesh #siddhrashram #mantratantrayantra #spiritual #spirituality #spiritualworld #spiritualscience #Occult #Occultism #Astrology #Vedic #VedicScience #Vastu #Numerology #Gurugeeta #bhajan #bhakti #like #subscribe #comment #share #Spiritual #Spirituality #spiritualawakening #MantraScience #Mystique #Mystery #Salvation #Peace #Purity #SpiritualWorld #Kundalini #Sacred #JaiGurudev #JaiNikhileshwar