У нас вы можете посмотреть бесплатно sanskrit sahitya ka parichayatmak itihas संस्कृत साहित्य का संक्षिप्त इतिहास प्रो कलानाथ मिश्र или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
Если кнопки скачивания не
загрузились
НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием видео, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу
страницы.
Спасибо за использование сервиса ClipSaver.ru
संस्कृत को देव वाणी कहा जाता है। विश्व की समस्त प्राचीन भाषाओं में संस्कृत का सर्वोच्च स्थान है। विश्व-साहित्य की पहली पुस्तक ऋग्वेद इसी भाषा का देदीप्यमान रत्न है। भारतीय संस्कृति का रहस्य इसी भाषा में निहित है। संस्कृत का अध्ययन किये बिना भारतीय संस्कृति का पूर्ण ज्ञान कभी सम्भव नहीं है। संस्कृत अनेक भाषाओं की जननी है। आज भी भारत की समस्त भाषाएँ संस्कृत भाषा से शक्ति अर्जित करते हैं। यह भारतीय भाषाओं को जोड़ने वाली कड़ी है। संस्कृत वाङ्मय को दो भागों में विभक्त किया जाता है-वैदिक साहित्य और लौकिक साहित्य। इन दोनों को जोड़ने की कड़ी है-पुराण साहित्य। जब वेदों के अर्थ सामान्य जन के लिए दुर्बोध होने लगे, तब वेदों के सुलभ अर्थ-ज्ञान के लिए वेदांगों एवं पुराणों की रचना की जाने लगी।