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Shani Asthak - Indian Mantras IM - शनि अष्टक - Chant with us, Benefits

शनि अष्टक - शनि कृपाकारक श्री शनि अष्टक नमो सूर्यसूता तुझी धन्य कीर्ती॥ न चाले मती वर्णिता स्तब्ध होती॥ लिलानाटकी अंत ना पार माया॥ अहा धन्य तुझी शनीदेवराया॥ १॥ आलि स्वारि ती गोचरिं दृष्टिठायीं॥ सखेसोयरे इच्छिती दुष्टताही ॥ धना हानि होई नसे काहिं माया॥ अहा धन्य०॥ २॥ जगीं मान्यते लौकिकिं द्वेश वाढे॥ कुडें पावडें येति अंगी लिगाडें॥ न मीटे कधीं यत्‍न जाताति वायां॥ अहा धन्य०॥ ३॥ नंसे कांही कोठें मना जो सुवारा॥ अंतरी येऊनी दु:खभारा॥ करूं इच्छितां गोष्ट जाते अपाया॥ अहा धन्य०॥ ४॥ कुटुंबात जी प्रिय होतीं जिवाचीं॥ तिहीं फिरलीं दुष्ट झालीं मनाचीं॥ नसे तोचि घेती मनामाजि थाया॥ अहा धन्य०॥ ५॥ नसे चैन कांही उदासी मनातेंअहा धन्य०॥ ४॥ तुझ्यावांचुनि कोण दे शांति त्याते ॥ नको क्लेश दावूं करीं पूर्ण छायाअहा धन्य०॥ ६॥ उठे चित्तिं चिंता जिवा रोग लागे ॥ झटे झोंबटें लागती पाठिमागें ॥ अहोरात्र तो त्रास वाटे जिवा या ॥अहा धन्य०॥ ७॥ अबाधीत लीला तुझी कोण वाणी ॥ चमत्कार तो दाविला शूळपाणी ॥ गिरीकंदरी लाविलासी फिराया ॥अहा धन्य०॥ ८॥ कथा ऎकिली सर्वही विक्रमाची ॥ आली त्यापरी संधि वाटे अतांची । महासंकटे येति कंठी भिडाया ॥अहा धन्य०॥ ९॥ फुटे छाति ते ऎकतां साडेसाती ॥ आतं ती आली माझिया कर्मपातीं ॥ कृपावंत तूं हांत दे गा तराया ॥अहा धन्य०॥ १० ॥ किती दु:ख सांगू नसे पार याला ॥ नसे थार कोठेम बसाया मनाला ॥ कृपाळूपणें पाहिं तूं होय वाली ॥ प्रितीनें पदीं रूंजि रखमाजिं घाली ॥ ११ ॥ इति शन्यष्टक समाप्त ॥ शनि अष्टक | Shani Dev Ashtak इसके माध्यम से हम आपको शनि अष्टक दे रहे हैं। यदि आप भी शनि देव से सम्बन्धित समस्याओं से पीड़ित हैं, तो आज हम आपके लिए एक अचूक उपाय लेकर आये हैं। इस लेख के माध्यम से हम आपको शनि अष्टक के बारे में बताने जा रहे हैं। शनि देव के प्रकोप से बचने के लिए शनि अष्टक एक बहुत ही अच्छा उपाय हैं । शनि कवच स्तोत्र के गायन से भी सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति मिल जाती है। वैसे भी शनि देव एक न्यायप्रिय देवता हैं। वह सबके साथ न्याय करते हैं और उनके कर्मो के अनुसार उन्हें उनका परिणाम देते हैं। हमें शनि देव के मंत्रो का उच्चारण करते हुए विधि-विधान से शनि पूजा करनी चाहिए। शनि अष्टक पाठ के लाभ | Shani Ashtakam Benefits इसके बाद शनि देव ने वरदान स्‍वरूप राजा दशरथ को वचन दिया कि इस स्तोत्र को जो भी मनुष्य, देव अथवा असुर, सिद्ध तथा विद्वान आदि पढ़ेंगा, उसे शनि के कारण कोई बाधा नहीं होगी। जिनकी महादशा या अन्तर्दशा में, गोचर में अथवा लग्न स्थान, द्वितीय, चतुर्थ, अष्टम या द्वादश स्थान में शनि हो वे व्यक्ति यदि पवित्र होकर दिन में तीन बार प्रातः, मध्याह्न और सायंकाल के समय इस स्तोत्र को ध्यान देकर पढ़ेंगे, उनको निश्चित रुप से शनि पीड़ित नहीं करेगा। Facebook (Follow Us) - https://www.facebook.com/indianmantrasim OR @indianmantrasim Instagram (Follow Us) - https://www.instagram.com/indian_mantras_im OR @indian_mantras_im Subscribe to our YouTube Channel -   / @indianmantrasim   Watch our only chanting videos all together    • Chants (मंत्रोच्चार)   Om Namah Shivay 108 chants, ॐ नमः शिवाय 108 बार Peaceful Shiva Mantra    • Видео   The Beginning of Everything Mantra - Vakratunda Mahakaya (वक्रतुण्ड महाकाय: श्री गणेश मंत्र) Startup    • Видео   Hanuman Chalisa - Indian Mantras IM | श्री हनुमान चालीसा Hanuman Chalisa I    • Hanuman Chalisa - Indian Mantras IM |...   श्री विष्णुसहस्त्रनामावलिः Vishnu Sahastra Namavali 1000 Names, Chanting mantras    • श्री विष्णुसहस्त्रनामावलिः Vishnu Sah...   गणपती अथर्वशीर्ष पठण | Shri Ganapati Athrava Shirsha Chanting त्याचे १० नियम आणि लाभ, संपूर्ण माहिती    • गणपती अथर्वशीर्ष पठण | Ganapati Athra...   महामृत्युंजय मंत्र 108 times I Mahamrityunjay Mantra l Full Song | Only Chanting, No music    • Видео   #shaniasthak #indianmantrasim #shani #shanidev #shani_shadhesati #shaniwar #shanistotram अष्टमा शनि किस राशि में है? अष्टमा शनि के उपाय क्या हैं? मैं शनि से कैसे छुटकारा पा सकता हूं? मैं शनि से कैसे छुटकारा पा सकता हूं? शनि कैसे खराब होता है? शनि अशुभ हो तो क्या होता है? जब किसी जातक की कुंडली में शनि अशुभ फल देने लगता है तो उस व्यक्ति को अचानक शारीरिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शनि दोष होते ही व्यक्ति के जीवन में अचानक काम का बोझ बढ़ जाता है। न चाहते हुए भी इन कार्यों को करना पड़ता है। शनि कुंडली में जब आता तो वह जल्द ही अशुभ प्रभाव देने लगता है। आपको कैसे पता चलेगा कि शनि अशुभ है या शुभ? शनि दोष के लक्षण क्या है? शनि ग्रह से कौन सी बीमारी होती है? Shani Ashtakam is a devotional chant based on Lord Shani. Many people recite Shani Ashtakam on Shani Jayanti and also on Saturday, the day dedicated to worship Lord Shani.

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