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🧔🏻♂️ आचार्य प्रशांत से मिलना चाहते हैं? लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: https://acharyaprashant.org/hi/enquir... 📚 आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं? फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?... ➖➖➖➖➖➖ #acharyaprashant वीडियो जानकारी: 06.03.24, कठ उपनिषद्, ग्रेटर नॉएडा स्वर्ग क्या है? जीवित रहते स्वर्ग पाने की विधि क्या है? || आचार्य प्रशांत, कठ उपनिषद् पर (2024) 📋 Video Chapters: 0:00 - Intro 0:54 - नचिकेता का पहला वर 8:12 - अग्नि विद्या का महत्व 16:26 - नचिकेता का दूसरा वर 17:05 - स्वर्ग और सुख 28:30 - स्वर्ग और नर्क की अवधारणा 39:40 - ज्ञान और कर्मकांड 45:50 - निष्काम कर्म 51:20 - नचिकेता का तीसरा वर 53:05 - जिज्ञासा की ताकत 56:00 - जिज्ञासा का महत्व 1:10:05 - आत्मा और मृत्यु का संबंध 1:16:44 - निष्कर्ष 1:19:24 - समापन प्रसंग: प्रथम फंसे सब देवता, बिलसै स्वर्ग निवास । मोह मगन सुख पाइया, मृत्युलोक की आस ।। ~ संत कबीर सत् का (अनश्वर का) समागम (सत्पुरुषों का सत्संग) ही स्वर्ग है। असत् (नश्वर) संसार के विषयों में रचे-पचे लोगों का संसर्ग ही नरक है। ~ निरालंब उपनिषद् - 18 स त्वमग्निं स्वर्ग्यमध्येषि मृत्यो प्रब्रूहि त्वं श्रद्दधानाय महह्यम् । स्वर्गलोका अमृतत्वं भजन्त एतद्वितीयेन वृणे वरेण ॥ ~ कठ उपनिषद् - 1.1.13 लोकादिमग्निं तमुवाच तस्मै या इष्टका यावतीर्वा यथा वा। स चापि तत्प्रत्यवदद्यथोक्तंअथास्य मृत्युः पुनरेवाह तुष्टः ॥ ~ कठ उपनिषद - 1.1.15 तमब्रवीत्प्रीयमाणो महात्मा वरं तवेहाद्य ददामि भूयः। तवैव नाम्ना भवितायमग्निः सृङ्कां चेमामनेकरूपां गृहाण ॥ ~ कठ उपनिषद - 1.1.16 त्रिणाचिकेतस्त्रिभिरेत्य सन्धिं त्रिकर्मकृत्तरति जन्ममृत्यू । ब्रह्मजजं देवमीड्यं विदित्वा निचाय्येमाँ शान्तिमत्यन्तमेति ॥ ~ कठ उपनिषद - 11.17 त्रिणाचिकेतस्त्रयमेतद्विदित्वा य एवं विद्वाँश्चिनुते नाचिकेतम् । स मृत्युपाशान्पुरतः प्रणोद्य शोकातिगो मोदते स्वर्गलोके ॥ ~ कठ उपनिषद 1.1.18 राम निरंजन न्यारा रे, अंजन सकल पसारा रे। ~ संत कबीर संगीत: मिलिंद दाते ~~~~~