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▎ध्यान और होशपूर्वक जीवन: ओशो की विचारधारा के अनुरूप ▎प्रस्तावना ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है, जो मनुष्य को अपने भीतर की गहराईयों में ले जाती है। ओशो, एक महान गुरु और विचारक, ने ध्यान को जीवन के हर पहलू में शामिल करने का महत्व बताया है। उनका मानना है कि ध्यान केवल एक साधना नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का एक तरीका है। इस शोध पत्र में हम ध्यान के महत्व, होशपूर्वक जीवन जीने के तरीकों, और भोजन के प्रति होशपूर्वक दृष्टिकोण पर चर्चा करेंगे। ▎1. ध्यान का अर्थ ▎1.1. ध्यान की परिभाषा ध्यान एक मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति अपनी संपूर्ण चेतना को किसी एक बिंदु पर केंद्रित करता है। यह मानसिक शांति, स्पष्टता, और आंतरिक संतुलन लाने में सहायक होता है। ▎1.2. ओशो की दृष्टि ओशो के अनुसार, ध्यान केवल मानसिक अभ्यास नहीं है, बल्कि यह एक गहरी आंतरिक यात्रा है। उन्होंने कहा, "ध्यान का मतलब है अपने अस्तित्व की गहराई में जाना।" ▎2. ध्यान के प्रकार ▎2.1. साधारण ध्यान यह वह ध्यान है, जिसमें व्यक्ति अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह सबसे सरल और प्रभावी तरीका है। ▎2.2. चलने का ध्यान ओशो ने चलने के ध्यान पर जोर दिया। यह ध्यान करते समय चलने का अभ्यास है, जिसमें व्यक्ति अपने कदमों और वातावरण पर ध्यान देता है। ▎2.3. भोजन का ध्यान भोजन करते समय होशपूर्वक रहने का अभ्यास भी ध्यान का एक रूप है। इसमें व्यक्ति अपने खाने के स्वाद, सुगंध, और बनावट का अनुभव करता है। ▎3. होशपूर्वक जीवन जीने का महत्व ▎3.1. मानसिक स्वास्थ्य होशपूर्वक जीवन जीने से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। व्यक्ति तनाव और चिंता से मुक्त होता है। ▎3.2. शारीरिक स्वास्थ्य जब हम होशपूर्वक भोजन करते हैं, तो हमारे शरीर को आवश्यक पोषण सही तरीके से मिलता है। इससे शरीर स्वस्थ रहता है। ▎3.3. संबंधों में सुधार होशपूर्वक जीने से हमारे संबंध भी बेहतर होते हैं। हम दूसरों के प्रति अधिक संवेदनशील और समझदार बनते हैं। ▎4. होशपूर्वक भोजन करना ▎4.1. भोजन का महत्व भोजन केवल शरीर की आवश्यकता नहीं है; यह एक अनुभव है। ओशो ने कहा, "भोजन का आनंद लेना एक कला है।" ▎4.2. होशपूर्वक भोजन करने के तरीके ▎4.2.1. वातावरण का चयन भोजन करते समय शांत और सुखद वातावरण का होना आवश्यक है। इससे मन शांत रहता है और भोजन का अनुभव बेहतर होता है। ▎4.2.2. भोजन को देखना भोजन को देखकर उसकी सुंदरता का अनुभव करें। यह हमें भोजन के प्रति आभार व्यक्त करने में मदद करता है। ▎4.2.3. धीरे-धीरे खाना धीरे-धीरे खाने से हम हर कौर का स्वाद ले सकते हैं। यह हमारी पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाता है। ▎4.2.4. बातचीत से बचें भोजन करते समय बातचीत से बचें। इससे आप अपने भोजन पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। ▎5. ध्यान और होशपूर्ण जीवन के लाभ ▎5.1. आत्मज्ञान की प्राप्ति ध्यान से व्यक्ति अपने भीतर की गहराईयों को समझता है। ओशो ने कहा, "जब आप अपने भीतर जाते हैं, तो आप अपने सच्चे स्वरूप को पहचानते हैं।" ▎5.2. तनाव में कमी ध्यान करने से तनाव कम होता है। व्यक्ति अधिक शांत और संतुलित महसूस करता है। ▎5.3. ऊर्जा का संचार ध्यान से ऊर्जा का संचार होता है। व्यक्ति अधिक सक्रिय और ऊर्जावान महसूस करता है। ▎6. ओशो की ध्यान विधियाँ ▎6.1.Dynamic Meditation (गतिशील ध्यान) यह ध्यान विधि शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से मानसिक शांति प्राप्त करने पर आधारित है। इसमें व्यक्ति को नृत्य, दौड़ना, और शोर करना होता है। ▎6.2. Kundalini Meditation (कुंडलिनी ध्यान) यह ध्यान विधि ऊर्जा को जागृत करने पर केंद्रित होती है। इसमें व्यक्ति को अपनी ऊर्जा को महसूस करने और उसे मुक्त करने का अभ्यास करना होता है। ▎6.3. Nadabrahma Meditation (नादब्रह्म ध्यान) इस विधि में ध्वनि और मौन का संयोजन होता है। यह व्यक्ति को आंतरिक शांति प्रदान करता है। ▎7. ध्यान का वैज्ञानिक दृष्टिकोण ▎7.1. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि ध्यान मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है। यह चिंता और अवसाद को कम करने में सहायक होता है। ▎7.2. शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव ध्यान करने से रक्तचाप कम होता है और हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत बनाता है। ▎8. चुनौतियाँ और समाधान ▎8.1. ध्यान करने में कठिनाइयाँ ध्यान करते समय कई लोग मानसिक व्याकुलता का अनुभव करते हैं। इसे दूर करने के लिए नियमित अभ्यास आवश्यक है। ▎8.2. होशपूर्वक जीवन जीने की चुनौतियाँ हमारी व्यस्तता और आधुनिक जीवनशैली होशपूर्वक जीने में बाधा डालती है। इसके लिए हमें अपने दिनचर्या में बदलाव लाने की आवश्यकता है। ▎निष्कर्ष