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जानिए अग्नि कितने प्रकार की होती है अग्नि कई प्रकार की होती है, जिन्हें मुख्य रूप से आयुर्वेद के अनुसार पाचन शक्ति (समाग्नि, मंदाग्नि, तीक्ष्णाग्नि, विषमाग्नि) और आधुनिक वर्गीकरण के अनुसार ईंधन स्रोत (श्रेणी A, B, C, D, K) में बांटा गया है, साथ ही धार्मिक मान्यताओं में पंचाग्नि (घरपतया, अहवानिया, दक्षिणाग्नि, सभ्य, अवहनिया) का भी उल्लेख है, जो अग्नि के विभिन्न रूपों को दर्शाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार पाचन अग्नि (मुख्य रूप से 4 प्रकार): समाग्नि: सामान्य और स्वस्थ पाचन अग्नि, जो भोजन को ठीक से पचाती है। मंदाग्नि: धीमी पाचन शक्ति, जिससे कम भोजन भी नहीं पचता और सुस्ती आती है। तीक्ष्णाग्नि: तीव्र पाचन शक्ति, जिसमें भोजन बहुत जल्दी पचता है और भूख अधिक लगती है (भस्मक रोग)। विषमाग्नि: अनियमित पाचन, जो कभी तेज़ और कभी धीमा होता है, जिससे पेट संबंधी रोग हो सकते हैं। आधुनिक वर्गीकरण (5 श्रेणियां): श्रेणी A (Class A): सामान्य ज्वलनशील पदार्थ (लकड़ी, कागज, कपड़ा)। श्रेणी B (Class B): ज्वलनशील तरल पदार्थ (पेट्रोल, तेल, पेंट)। श्रेणी C (Class C): ज्वलनशील गैसें (प्रोपेन, ब्यूटेन)। श्रेणी D (Class D): ज्वलनशील धातुएं (मैग्नीशियम, टाइटेनियम)। श्रेणी K (Class K): रसोई के तेल और वसा (किचन फायर)। धार्मिक और आध्यात्मिक (पंचाग्नि): घरपतया: घर की आग (रसोई, अनुष्ठान)। अहवानिया: सार्वजनिक यज्ञों की अग्नि। दक्षिणाग्नि: दक्षिणी यज्ञों की अग्नि (सूर्य का रूप)। सभ्य: आम लोगों के समारोहों की अग्नि। अवहनीय: पितरों को आहुति देने वाली अग्नि। इस प्रकार, अग्नि का वर्गीकरण संदर्भ (आयुर्वेद, आधुनिक विज्ञान या धर्म) के आधार पर अलग-अलग होता है, पर हर प्रकार की अग्नि का अपना महत्व और कार्यक्षेत्र है।