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दोस्तो स्वागत है हमारे चेनल हिन्दी कानूनी जानकारी (hindi kanuni jankari) में about this video धारा 250 दण्ड प्रक्रिया संहिता | Section 250 Crpc in Hindi - Dand Prakriya Sanhita Dhara 250 Section 250 in The Code Of Criminal Procedure, 1973 इस आर्टिकल में मै आपको “उचित कारण के बिना अभियोग के लिए प्रतिकर | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 250 क्या है | section 250 CrPC in Hindi | Section 250 in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 250 | Compensation for accusation without reasonable cause ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की – दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 250 | Section 250 in The Code Of Criminal Procedure [ CrPC Sec. 250 in Hindi ] – उचित कारण के बिना अभियोग के लिए प्रतिकर- (1) यदि परिवाद पर या पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को दी गई इत्तिला पर संस्थित किसी मामले में मजिस्ट्रेट के समक्ष एक या अधिक व्यक्तियों पर मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय किसी अपराध का अभियोग है और वह मजिस्ट्रेट जिसके द्वारा मामले की सुनवाई होती है, तब अभियुक्तों को या उनमें से किसी को उन्मोचित या दोषमुक्त कर देता है और उसकी यह राय है कि उनके या उनमें से किसी के विरुद्ध अभियोग लगाने का कोई उचित कारण नहीं था तो वह् मजिस्ट्रेट उन्मोचन या दोषमुक्ति के अपने आदेश द्वारा, यदि वह व्यक्ति जिसके परिवाद या इत्तिला पर अभियोग लगाया गया था उपस्थित है तो उससे अपेक्षा कर सकेगा कि वह तत्काल कारण दर्शित करे कि वह उस अभियुक्त को, या जब ऐसे अभियुक्त एक से अधिक हैं तो उनमें से प्रत्येक को या किसी को प्रतिकर क्यों न दे अथवा यदि ऐसा व्यक्ति उपस्थित नहीं है तो हाजिर होने और उपर्युक्त रूप से कारण दर्शित करने के लिए उसके नाम समन जारी किए जाने का निदेश दे सकेगा। (2) मजिस्ट्रेट ऐसा कोई कारण, जो ऐसा परिवादी या इत्तिला देने वाला दर्शित करता है, अभिलिखित करेगा और उस पर विचार करेगा और यदि उसका समाधान हो जाता है कि अभियोग लगाने का कोई उचित कारण नहीं था तो जितनी रकम का जुर्माना करने के लिए वह सशक्त है, उससे अनधिक इतनी रकम का, जितनी वह अवधारित करे, प्रतिकर ऐसे परिवादी या इत्तिला देने वाले द्वारा अभियुक्त को या उनमें से प्रत्येक को या किसी को दिए जाने का आदेश, ऐसे कारणों से, जो लेखबद्ध किए जाएंगे, दे सकेगा। (3) मजिस्ट्रेट उपधारा (2) के अधीन प्रतिकर दिए जाने का निदेश देने वाले आदेश द्वारा यह अतिरिक्त आदेश दे सकेगा कि वह व्यक्ति, जो ऐसा प्रतिकर देने के लिए आदिष्ट किया गया है, संदाय में व्यतिक्रम होने पर तीस दिन से अनधिक की अवधि के लिए सादा कारावास भोगेगा। (4) जब किसी व्यक्ति को उपधारा (3) के अधीन कारावास दिया जाता है, तब भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 68 और 69 के उपबंध, जहां तक हो सके, लागू होंगे। (5) इस धारा के अधीन प्रतिकर देने के लिए जिस व्यक्ति को आदेश दिया जाता है, ऐसे आदेश के कारण उसे अपने द्वारा किए गए किसी परिवाद या दी गई किसी इत्तिला के बारे में किसी सिविल या दांडिक दायित्व से छूट नहीं दी जाएगी : परन्तु अभियुक्त व्यक्ति को इस धारा के अधीन दी गई कोई रकम उसी मामले से संबंधित किसी पश्चात्वर्ती सिविल वाद में उस व्यक्ति के लिए प्रतिकर अधिनिर्णीत करते समय हिसाब में ली जाएगी। (6) कोई परिवादी या इत्तिला देने वाला, जो द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा उपधारा (2) के अधीन एक सौ रुपए से अधिक प्रतिकर देने के लिए आदिष्ट किया गया है, उस आदेश की अपील ऐसे कर सकेगा मानो वह परिवादी या इत्तिला देने वाला ऐसे मजिस्ट्रेट द्वारा किए गए विचारण में दोषसिद्ध किया गया है। (7) जब किसी अभियुक्त व्यक्ति को ऐसे मामले में, जो उपधारा (6) के अधीन अपीलनीय है, प्रतिकर दिए जाने का आदेश किया जाता है तब उसे ऐसा प्रतिकर, अपील पेश करने के लिए अनुज्ञात अवधि के बीत जाने के पूर्व या यदि अपील पेश कर दी गई है तो अपील के विनिश्चित कर दिए जाने के पूर्व न दिया जाएगा और जहां ऐसा आदेश ऐसे मामले में हुआ है, जो ऐसे अपीलनीय नहीं है, वहां ऐसा प्रतिकर आदेश की तारीख से एक मास की समाप्ति के पूर्व नहीं दिया जाएगा। (8) इस धारा के उपबंध समन-मामलों तथा वारण्ट-मामलों दोनों को लागू होंगे। धारा 250 CrPC [ CrPC Sec. 250 in English ] – “ Compensation for accusation without reasonable cause ”– (1) If, in any case instituted upon complaint or upon information given to a police officer or to a Magistrate, one or more persons is or are accused before a Magistrate of any offence triable by a Magistrate, and the Magistrate by whom the case is heard discharges or acquits all or any of the accused, and is of opinion that there was no reasonable ground for making the accusation against them or any of them, the Magistrate may, by his order of discharge or acquittal, if the person upon whose complaint or information the accusation was made is present, call upon him forthwith to show cause why he should not pay compensation to such accused or to each or any of such accused when there are more than one; or, if such person is not present, direct the issue of a summons to him to appear and show cause as aforesaid. (2) The Magistrate shall record and consider any cause which such complainant or informant may show, and if he is satisfied that there was no reasonable ground for making the accusation, may, for reasons to be recorded make an order that compensation to such amount, not exceeding the amount of fine he is empowered to impose, as he may determine, be paid by such complainant or informant to the accused or to each or any of them.