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PUSHTIMARGIY BHAKTI SARAL HAVELI SANGEET SRI GOVURDHAN VASI SANVAR LAL TUM BIN RAHYO NA JAY HO RAGA: GAURI, TAL : TINTAL WRITTEN BY :CHATRABHUJDAS SING BY KIRTANKAR VITHALDAS VALLABHDAS BAPODARA SANKALAN :MANHAR VITHALDAS BAPODARA MOBILE NO.9824635506 EDITING BY SRI YAMUNAJI STUDIO JIGAR SHAH MOBILE 9099811942 श्री गोवर्धन वासी सांबरे लाल तुम बिन रह्यो न जाय - श्री चतुर्भुज दास जी श्री गोवर्धन वासी सवारे लाल तुम बिन रहो न जाए - श्री चतुर्भुज दास जी (राग ;गौरी ताल :तीनताल श्री गोवर्धन निवासी सांबरे लाल तुम बिन रह्नयो न जाय हो। वृजराज लढ़ैते लाड़ले॥ वंक चिते मुसाकाय केँ लाल सुन्दर बदन दिखाएँ। लोचन तलफें मीन ज्यों लाल पलछिन कल्प विहाय॥ अरे... वृजराज लढ़ैते लाड़ले॥1॥ सप्त स्वरबंधन सों मोहन वेणु बजाय। सुरत सुलाइटिके नेक मधुरें मधुरें गाय॥ अरे... वृजराज लढ़ैते लाड़ले॥2॥ रसिक रसीली बोलनी गिरिगढ़ गाय बुलाय। गाय बुलावेरी कछु ऊंचा तेर सुनय॥अरे... वृजराज लढ़ैते लाड़ले॥3॥ द्रष्टिपरे जा दिन ते तबते रुचि न आन। रजनी नींद न आवहिं मोहि विसरियो भोजन॥ अरे... वृजराज लढ़ैते लाड़ले॥4॥ [हे कृष्ण, जिस दिन मेरी आँखों ने आपका दर्शन किया है, उस दिन से मुझे अन्न जल ग्रहण करना याद नहीं रहता और रात में नींद नहीं आती। हे नन्द के दुलारे लाड़ले, आपके बिना अब नहीं चलेगा। [4] मेरी रात आपके दर्शन के लिए तप रही हैं और मेरे कान आपके वचन को सुनते हैं। हे मेरे जीवन प्राण सर्वस्व, आपसे मिलने के लिए मेरा हृदय जल रहा है। हे नन्द के दुलारे लाड़ले, आपके बिना अब नहीं चलेगा। [5] पूर्णिमा के चंद्र के समान आपके मुख कमल के दर्शन कर मेरा चित्त बस उसी छवि पर अटका है। आपके रूप में सुधार करने के लिए मैं चकोर की भाँती प्रतीक्षा करता हूँ। हे नन्द के दुलारे लाड़ले, आपके बिना अब नहीं चलेगा। [6] हे नटवर नंद किशोर, मेरी पलकें एक पल के लिए भी नींद से गिरती नहीं हैं, मेरे मन में यही अभिलाषा है की मैं आपके नागर वेश को एकटक निहारता रहूं। हे नन्द के दुलारे लाड़ले, आपके बिना अब नहीं चलेगा। [7] हे नंदनन्दन, मैं समस्त लोक, लाज, विधि और विवेक का परित्याग कर दिया है, जैसे कमल की कली सूर्य के प्रकाश से दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है, उसी प्रकार क्षण-क्षण मेरे ह्रदय में आपके प्रति प्रेम बढ़ रहा है। हे नन्द के दुलारे लाड़ले, आपके बिना अब नहीं चलेगा। [8] आपके डगमगाती हुई चाल के दर्शन पर कोटि-कोटि मनमथ न्यौछावर हैं, आपके कमल दल के समान विशाल नयनों ने समस्त व्रजांगनाओं के समस्त बंधनों को तोड़ अपनी ओर खींचा है। हे नन्द के दुलारे लाड़ले, आपके बिना अब नहीं चलेगा। [9] हे मदन गोपाल, मेरी अभिलाषा है कि जब आप वृन्दावन के कुंजों में क्रीड़ा करें तब मैं मालती लता बन आपकी सेवा में उपस्थित रहूँ। हे नन्द के दुलारे लाड़ले, आपके बिना अब नहीं चलेगा। [10] जैसे चातक एवं मोर बादलों की ओर देखते हुए वर्षा की अभिलाषा से गाने लेते हैं, उसी प्रकार आपके नाम के रटन से मेरी आंखों प्रेम के अश्रुओं से सिंचित रहता है। हे नन्द के दुलारे लाड़ले, आपके बिना अब नहीं चलेगा। [11] हे गिरिधर, आप विनती है की आप युगों-युगों तक श्री गोवर्धन जी को ब्रज में सुरक्षित रखते हैं। श्री कृष्ण चतुर्भुजदास कहते हैं "श्री कृष्ण के गोवर्धन रूप में मैं स्वयं को न्योछावर करता हूँ। हे नन्द के दुलारे लाड़ले, आपके बिना अब नहीं जाता।" [12]