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Shri Siddheshwar Mahadev Mandir || श्री सिद्धेश्वर महादेव || Barabanki Utter Pradesh 3 года назад


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Shri Siddheshwar Mahadev Mandir || श्री सिद्धेश्वर महादेव || Barabanki Utter Pradesh

Siddheshwar Mahadev Siddhaur Barabanki Darshan Yatra || सिद्धेश्वर महादेव सिद्धौर बाराबंकी दर्शन Shri Siddheshwar Mahadev Mandir || श्री सिद्धेश्वर महादेव || Barabanki Utter Pradesh 1- lodheshwar Mahadev Darshan Yatra लोधेश्वर महादेव दर्शन यात्रा नीचे लिंक पर देखें    • लोधेश्वर महादेव मंदिर बाराबंकी || Lod...   2- kunteshwar Mahadev Mandir darshan Yatra कुंतेश्वर महादेव दर्शन यात्रा नीचे लिंक पर देखें    • श्री कुंतेश्वर महादेव मन्दिर किंतूर ब...   3- Parijat tree complete tour guide पारिजात पेड़ यात्रा नीचे लिंक पर देखें    • Parijaat Tree || पारिजात पेड़ || पारिज...   4- Panchmukhi Balaji Dham Yatra Ballopur suratganj पंचमुखी बालाजी धाम यात्रा नीचे लिंक पर देखें    • श्री पंचमुखी बालाजी धाम ,बल्लोपुर,सूर...   आस्था का केंद्र हैं सिद्धेश्वर महादेव बाराबंकी : जिला मुख्यालय से 28 किलो मीटर दूर कस्बा सिद्धौर का नाम यहां के सिद्धेश्वर महादेव के नाम पर पड़ा। सिद्धेश्वर महादेव का जलाभिषेक के लिए हर शुक्रवार व सोमवार को श्रद्धालुओं का तांता लगता है। महा शिवरात्रि पर जलाभिषेक के लिए भीड़ उमड़ती है। भक्त विभिन्न आयोजन करके शिव को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। जनश्रुतियों के अनुसार सिद्धौर कस्बे से दक्षिण दिशा में करीब दो किलोमीटर दूर आज का वर्तमान गांव पुरई पहले अजीतपुरा के नाम से प्रसिद्ध था। वहां के राजा अजीत भर जाति के भरतवंशी थे। अजीतपुरा राज्य अवध राज्य के अधीन था भर्र जाति के लोगों में भगवान शिव ईष्ट देवता के रूप में पूज्य थे। लोग युद्ध के समय भी शिव को अपनी पीठ पर धारण किए रहते थे युद्ध में पीठ दिखाकर भागना यह लोग भगवान शिव का अपमान समझते थे। कहते है कि भरत वंशी राजा अजीत और शाक्य वंशी कपिल वस्तु के राजा शुद्धोधन में अटूट मित्रता थी इसी के कारण दोनों राज्यों का राज्य साकेत राज्य के अधीन था। दोनों मित्र राजा एक साथ कई धार्मिक स्थलों पर गए इसक्रम में उन्होंने सिद्धौर में शिव मठ पर पूजा-अर्चना कर पुत्र प्राप्त का वरदान मांगा। मनोकामना पूर्ण होने पर दोनों ने संकल्प लिया था कि शिव मंदिर का निर्माण करवाकर उसका एवं पुत्रों के नाम सिद्धेश्वर से संबंधित रखेगें। मनोकामना पूर्ण होने पर राजा अजीत ने अपने पुत्र का नाम सिद्धशरण व राजा शुद्धोधन ने अपने पुत्र का नाम सिद्धार्थ रखा। राजा अजीत के एक पुत्र और हुआ जिसका नाम धनीष चन्द्र था मान्यता के अनुसार राजा अजीत ने कसौटी स्तंम्भ का शिव विग्रह बनवाकर एक विशाल शिव मंदिर का निर्माण कराया जो श्री सिद्धेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है। मंदिर के महंत शिव बहादुर ¨सह उर्फ अलख बाबा बताते है कि महाशिव रात्रि पर्व भगवान भोले का विशेष दिन है। सिद्धेश्वर की पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। #shrisiddheshwarmahadev #Bharatdarshanwithdp #barabanki #mahadev #महादेव #ॐ_नमः_शिवाय #शिवलिंग #शिवरात्रि #shivratri #shiv #shiva #सावन_सोमवार_whatsupp_स्टेटस #सावन_भोलेनाथ_स्टेटस #सावन_का_महीना #savan contact us [email protected]

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