У нас вы можете посмотреть бесплатно लूट लो नाम धन जहां भी मिलता हो, कलयुग में विशेष लाभकारी है 26 DEC 2025 सीताराम संकीर्तन или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
Если кнопки скачивания не
загрузились
НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием видео, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу
страницы.
Спасибо за использование сервиса ClipSaver.ru
🙏🙏 वास्तव मे सुख बहुत बडी विपत्ति है, भगवान से दूर होने में बहुत बडा कारण सुख ही है, कारण विशेष सुख में भगवान के नाम सुमिरन भजन का बोध नहीं रहता मानो अकाल पड जाता है बुद्धि पर, और सबसे बडी विपत्ति तो भगवान का भजन छूटना ही है। कह हनुमंत विपत्ति प्रभु सोई जब तव सुमिरन भजन न होई संसार में चाहे कोई कितनी भी बडी विपत्ति हो तन की या धन की परन्तु मन की विपत्ति के समक्ष छोटी होती है, उस स्थिति में संसार की दृष्टि से मानसिक विक्षिप्तता मानी जाती है जिसमें तन और धन कुछ काम नहीं आता, और तब क्या हो जब संसार तो बहुत बुद्धिमान माने और बुद्धि को बोध ही नहीं हो जैसे कि कुछ दिनों के पश्चात मान लो विदेश जाना यह आपको कह दिया जाए और कहा जाये कि आप अपनी तैयारी रखें, आपको कहा जाये कि वहां के लिए आपको जो उचित लगता हो वह इकट्ठा कर रखें, यह बताया नहीं जाये कि किस देश में आपको जाना है और कहा जाये आप ऐसी धन मुद्रा अपने पास एकत्रित कर लें जोकि हर देश में काम आ सके, आपको कभी भी कहीं की भी फ्लाइट की टिकट दे दी जायेगी, और बुद्धि को बोध नहीं है कि मुझे क्या सामान लेना है, कौन सी मुद्रा इकट्ठी करनी है जो कि कहीं भी जाने पर काम आ सके, तो ऐसी संसार की दृष्टिगत बुद्धिमानी किस काम की, और यदि कोई बताये भी कि भाई आप यह मुद्रा ले लो यह हर जगह, कालखंड, स्थिति में काम आयेगी परन्तु वह बुद्धिमान अपने अभिमान के वश उस बताने वाले को ही मुर्ख बताये तो सोचना जरूर होगा कि जब वह विदेश जायेगा तो उसकी क्या दशा हो सकती है। तो वह जीवन की दृष्टि से विदेश जाना अन्य योनियों में जाना है जोकि लगभग निश्चित ही है तो वहां के लिए कौन सी मुद्रा काम आयेगी *सोचो सभी माई बाई भाईयों से निवेदन है कि गौर से बडे ध्यान से सोचो कि जब हमने जाना निश्चित है ही तो क्या कुछ थोड़ी या ज्यादा कोई मुद्रा सहेज ली या नहीं, और फिर क्या बुध्दिमत्ता है जब यह पता ही नहीं है कि क्या करना है और वह मुद्रा कौन सी है, कहां मिलेगी, किस प्रकार से मिलेगी, "वह मुद्रा है राम नाम धन" इकट्ठी कर लो सहेज लो मन से अतः नित प्रतिदिन जहां से मिले जैसे भी मिले जितनी भी मिले सहेज लो चाहे कुछ कार्य परिश्रम से या कहीं फ्री में भी मिलती हो तो लूट लो, और मौका लगे तो लुटा भी दो, यह ऐसी विलक्षण मुद्रा है जोकि लुटाने पर कम नहीं होती अपितु बढती ही है, चोरी हो जाने का, गुम हो जाने का किसी प्रकार से कोई भय नहीं, और वास्तव में यही एक ऐसी मुद्रा है हर जन्म में काम तो आयेगी ही परन्तु एकत्रित करने में संसार की अन्य मुद्राओं को इकट्ठा करने की अपेक्षा कम श्रमदायक है और लाभ गुणांक में है, और बहुत बार तो फ्री में मिल रही होती है, लूटने के लिए वर्षा हो रही होती है परन्तु हम मूढ मंदमति(सांसारिक बुध्दिमान) इस की तरफ तो नजर करते ही नहीं और जबरदस्ती से भी कोई हमें देना चाहे फ्री में ही तो भी अपनी बुद्धि अभिमान वश ठुकरा देते हैं और देने वाले को ही मूर्ख भी बताते हैं। रोहतक शहर में नित प्रतिदिन सुबह की शुभ वेला में एक घन्टे की निश्चित अवधि के लिए सीताराम नाम संकीर्तन होता है और वहां भरपूर मात्रा में नाम धन लुटता है, कर्म वाले आते हैं जिनको उस धन का कुछ आभास हो गया, पाने की ललक लग गयी। आप सभी माई बाई भाईयों से बार बार निवेदन है कि आप यदि रोहतक शहर में रहते हैं तो प्रतिदिन सीताराम संकीर्तन में जरूर आया करें, यदि किसी दिन या किसी विशेष कारण से ना भी आ सकें तो सुन कर ही लाभ उठा लें, ज्यादा ना सही कुछ मात्रा में तो सुनने पर भी अवश्य एकत्रित होगी। आप रोहतक शहर में ही रहते हो तो या आप अन्यत्र कहीं भी रहते हो प्रतिदिन अपने घर पर भी सीताराम संकीर्तन अवश्य किया करो, खोद लो खदान सभी अपने अपने घर में भी, खुद भी एकत्रित करो, लुटाओ भी, और जो एकत्रित नहीं कर सकते विशेषकर अन्य योनियों में जो जीव हैं उन को दान कर दो, दान की हुई कोई भी संसार की मुद्रा या उससे प्राप्त संसार की कोई भी वस्तु किसी को भी क्षणिक ही लाभ देगी और राम नाम का दान तो हर जीव को जन्मों जन्मों तक लाभ पहूंचायेगा। अपना कण भर देना परन्तु अन्य को लाभ अवर्णनीय लूट लो राम नाम धन लुटाओ नाम धन दिल खोल कर लुटाओ सहेजते रहो व दान करते रहो प्रतिदिन प्रतिपल जो जीव आपकी नजर के समक्ष हो उसको व जो आपको नजर नहीं भी आता तो प्रभु के ही दान कोष में जमा करवाते रहो अन्य जीवों के भले हेतु इससे उत्तम निस्वार्थ कोई कार्य नहीं है, इसके अतिरिक्त कोई भी दान निस्वार्थ दान नहीं है और किसी के बिना चाहे भी परमात्मा उसके इस परम दान के बदले में कुछ देना चाहें तो देने में असमर्थ हैं तो भगवान भी हाथ जोड़ देते हैं उसके लिए तो क्या कभी किसी जन्म में कोई बाधा आयेगी, विश्वास कर लो निश्चित कोई भी बाधा नहीं आयेगी इस जीवन की इससे उत्तम कमाई व इससे उत्तम कार्य और कोई नहीं है। बढाते रहे इस पूंजी को भी संसार के हर कार्य क्रिया में संलग्न रहते हुए भी अपना लो नीति-एक ही रीति काम करे जा - राम भजे जा जय श्रीसीताराम हनुमान दास हरीश