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#hindishtory #विट्ठलकीकथा #भक्तपुंडलिककीकथा महाराष्ट्र के पंढरपुर गांव में श्री विट्ठल जी का मंदिर है भगवान विट्ठल विष्णु के अवतार है महाराष्ट्र के जो भक्त लोग है उन्हें विट्ठल के भक्तों को वारकरी या वैष्णव कहते हैं वह वारकरी हर साल हर महीने पंढरपुर की आषाढी कार्तिकी बारी पैदल चल के करते हैं आलंदी पंढरपुर पैदल चलते हैं भाई 100 किलोमीटर कि यह दूरी पार करते हैं 22 दिन में दंडकारण्य में एक पुंडलिक नाम का लड़का रहता था वह माता पिता की सेवा करता था इसलिए उसे मिलने के लिए साक्षात श्री विष्णु आ गए और उन्हें प्रसन्न होकर कुछ मांगने के लिए कहा पुंडलिक ने विट्ठल को कहा मुझे कुछ नहीं चाहिए मैं अब मेरे माता-पिता की सेवा कर रहा हूं इसलिए तुम जाओ और बाद में आ जाओ फिर भी विठ्ठल ने कहा कि मैं तुझे कुछ देख कर ही वापस जाऊंगा भक्त पुंडलिक ने कहा तो फिर ठीक है आप एक काम करिए आप रुक जाइए ऐसे कह कर एक सोने की ईट भगवान विट्ठल के तरफ फेंक दी और कहा इस पर रुक जाओ मैं आपको बैठने के लिए कुछ भी नहीं दे सकता क्योंकि मेरे मां बाप की सेवा में कुछ बाधा आ सकती है आप इस सीट पर खड़े रहो भगवान श्री विट्ठल उस पुंडलिक ने फेंकी गई ईट पर बड़ी खुशी से स्वीकार कर उस पर खड़े रहे और आज भी भगवान विट्ठल उसी ईट पर खड़े हैं 28 युग हो गई लेकिन पांडुरंग अभी भी उसी ईट पर खड़े हैं