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BPSC TRE 4 0 | आजादी के पूर्व के प्रमुख समाचार पत्र, पत्रिकाएं | Modern History by Shashi Sharan Sir भारत के स्वतंत्रता संग्राम में समाचार पत्रों और पत्रिकाओं ने बहुत अहम भूमिका निभाई। ये केवल सूचना देने का माध्यम नहीं थे, बल्कि ब्रिटिश शासन की नीतियों की आलोचना करने, जनता में राष्ट्रीय चेतना जगाने और स्वतंत्रता संग्राम को गति देने के लिए एक प्रभावशाली हथियार बने। इस वीडियो में Shashi Sharan Sir आपको बताएंगे कि आज़ादी से पहले कौन-कौन से प्रमुख समाचार पत्र और पत्रिकाएँ थीं, उन्हें किसने शुरू किया, उनका क्या उद्देश्य था, और कैसे उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज़ उठाई। 🔍 इस वीडियो में आप क्या सीखेंगे? ✔️ स्वतंत्रता संग्राम में समाचार पत्रों और पत्रिकाओं की भूमिका ✔️ प्रमुख समाचार पत्र और उनके संस्थापक ✔️ राष्ट्रवादी पत्रकारों और उनके योगदान ✔️ प्रेस पर ब्रिटिश सरकार के प्रतिबंध और दमनकारी कानून ✔️ भारतीय प्रेस के खिलाफ ब्रिटिश शासन की नीतियाँ ✔️ BPSC TRE 4.0, UPSC, BPSC, SSC, Bihar Police, और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी तथ्य 📰 स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख समाचार पत्र और पत्रिकाएँ: 📌 बंगाल गजट (1780) – भारत का पहला समाचार पत्र, जिसे जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने शुरू किया। 📌 संवाद कौमुदी (1821) – राजा राममोहन राय द्वारा प्रकाशित, सामाजिक सुधारों पर आधारित। 📌 मिरात-उल-अख़बार (1822) – राजा राममोहन राय द्वारा स्थापित, ब्रिटिश शासन की आलोचना करता था। 📌 अमृत बाज़ार पत्रिका (1868) – शिशिर कुमार घोष द्वारा प्रकाशित, राष्ट्रवादी विचारों को बढ़ावा देने वाला प्रमुख अख़बार। 📌 केसरी और मराठा (1881) – बाल गंगाधर तिलक द्वारा शुरू किए गए ये समाचार पत्र ब्रिटिश विरोधी विचारधारा के लिए प्रसिद्ध थे। 📌 यंग इंडिया (1919) – महात्मा गांधी द्वारा संपादित, स्वतंत्रता संग्राम के विचारों को फैलाने के लिए प्रमुख माध्यम। 📌 हरिजन (1933) – महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य समाज सुधार और छुआछूत उन्मूलन था। 📌 अल-हिलाल (1912) – मौलाना अबुल कलाम आज़ाद द्वारा प्रकाशित, ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक शक्तिशाली आवाज़। 📌 इंडियन ओपिनियन (1903) – महात्मा गांधी द्वारा दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों की स्थिति को उजागर करने के लिए निकाला गया। 📌 वन्दे मातरम् (1906) – अरविंद घोष द्वारा शुरू किया गया, जो ब्रिटिश शासन की नीतियों की कड़ी आलोचना करता था। इन समाचार पत्रों ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय समाज में राष्ट्रीय भावना और जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 🛑 ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रेस पर लगाए गए दमनकारी कानून: ⚠️ 1823 का प्रेस अधिनियम – भारतीयों को समाचार पत्र प्रकाशित करने से रोकने का पहला प्रयास। ⚠️ 1835 का मेटकाफ प्रेस एक्ट – प्रेस को कुछ हद तक स्वतंत्रता दी गई। ⚠️ 1878 का वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट – भारतीय भाषाओं में प्रकाशित समाचार पत्रों को सेंसर करने का प्रयास। ⚠️ 1908 और 1910 के प्रेस एक्ट – ब्रिटिश विरोधी लेख प्रकाशित करने वाले समाचार पत्रों पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए। ब्रिटिश सरकार के इस दमन के बावजूद भारतीय पत्रकारों ने हार नहीं मानी और अपने अख़बारों के माध्यम से राष्ट्रवाद और क्रांति की लौ जलाए रखी। 🎯 यह वीडियो किनके लिए महत्वपूर्ण है? 🔹 BPSC TRE 4.0, UPSC, BPSC, SSC, Bihar Police, Railway, और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए। 🔹 भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को गहराई से समझने के इच्छुक छात्रों के लिए। 🔹 पत्रकारिता और इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए। 📢 वीडियो पसंद आए तो लाइक करें, शेयर करें और 'The Officer’s Academy' चैनल को सब्सक्राइब करें! 📢 आपके कोई सवाल हैं? कमेंट में पूछें! 🔥 Tags: #bpsctre4 #modernhistoryclasses #indianfreedomstruggle #IndianPress #NewsPapersOfIndia #historybyshashisharansir #freedommovement #indianhistorygk #youngindianewspaper #thehindunewspaper #historyforbpsc #competitiveexamsgk #PressActs #biharpoliceexam #bpscexampreparation #upscpreparationtips #bpsctre4 #biharteacher #history #shashisharansir #theofficersacademy #biharteacherexam #biharteacher4