У нас вы можете посмотреть бесплатно “वह कौन-सा सद्गुण था, जिसने श्री द्वारकाधीश जी को सुदामा जी की पूजा करने पर विवश कर दिया?” или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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यह दिव्य प्रवचन सुदामा ब्राह्मण और भगवान श्रीकृष्ण के सखा-भाव से परिपूर्ण, निष्काम और करुणामय प्रेम को अत्यंत भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करता है। पूज्य भाईश्री सरल, सहज और हृदयस्पर्शी भाषा में यह स्पष्ट करते हैं कि सुदामा का प्रसंग केवल दरिद्रता और ऐश्वर्य का नहीं, बल्कि भक्ति, संतोष और आत्मिक समृद्धि का प्रसंग है—इसी कारण इसे संपूर्ण श्रीमद्भागवत के अत्यंत महत्वपूर्ण प्रसंगों में गिना गया है। द्वारका जैसे अपार वैभव के मध्य भी श्रीकृष्ण का हृदय अपने बालसखा सुदामा के लिए उसी सहजता और आत्मीयता से भर उठता है। जैसे ही कृष्ण को ज्ञात होता है कि सुदामा पधारे हैं, वे राजमर्यादा छोड़कर दौड़ पड़ते हैं—“मारा सखा आया!”—और यह दृश्य यह दर्शाता है कि भगवान के लिए भक्त की पहचान धन, वेश या स्थिति से नहीं, बल्कि हृदय से होती है। यहाँ भक्त भगवान की पूजा नहीं करता, बल्कि भगवान स्वयं अपने भक्त की पूजा करते हैं। सुदामा को ‘भिखारी’ नहीं, बल्कि ब्रह्मवित्तम कहते हैं—अर्थात् वे ब्रह्मज्ञान से सम्पन्न, अयाचक वृत्ति वाले, संतोष-धन से समृद्ध गृहस्थ ब्राह्मण हैं। उनकी वास्तविक संपत्ति इंद्रियनिग्रह, तप, विद्या, सदाचार और आत्मशांति है। बाह्य अभाव होते हुए भी उनके अंतःकरण में पूर्णता है। सुदामा कभी कुछ माँगते नहीं—वे केवल प्रेम और श्रद्धा लेकर आते हैं। वहीं श्रीकृष्ण भी सखा को माँगने का अवसर नहीं देते और बिना कहे ही उनका जीवन परिवर्तित कर देते हैं। यह प्रसंग सिखाता है कि कर्म से अधिक भाव और संकल्प महत्वपूर्ण है, और भगवान को भेंट नहीं, बल्कि निर्मल मन और निष्कपट प्रेम चाहिए। यह कथा भारतीय संस्कृति की उस शाश्वत परंपरा को भी उजागर करती है, जिसमें प्रभु के द्वार पर खाली हाथ नहीं, बल्कि श्रद्धा, भाव और भक्ति लेकर जाया जाता है। अंततः यह स्पष्ट होता है कि सुदामा सांसारिक दृष्टि से भले ही निर्धन हों, पर आत्मिक दृष्टि से वे बड़े-बड़े धनिकों से भी अधिक समृद्ध हैं। प्रवचन का सार यही है कि भक्ति में पद का अहंकार नहीं, धर्म में आडंबर नहीं और प्रेम में कोई दिखावा नहीं होता। जहाँ हृदय शुद्ध है, वहीं श्रीकृष्ण सदा विराजमान होते हैं। यही सुदामा-कृष्ण प्रेम की अमर शिक्षा है। जय श्रीकृष्ण। Subscribe to @PPBhaishri to stay connected to divinity. 🔔 Follow Pujya Bhaishri on Twitter, Instagram, Facebook for regular Seva, Satsang and Sankirtan snippets. 📲 IG - https://bit.ly/PBRO-IG 👉🏼 X - https://bit.ly/PBRO-X 👋🏾 FB - https://bit.ly/PBRO-FB 🔴 For the latest Bhajan, Kirtan, Katha-Event, SVN- News, SVN-Kids episodes, click on the bell icon to subscribe to notifications on OFFICIAL YouTube channels 🔔Sandipani.TV for LIVE events ▶️ / sandipanitv 🔔Bhaishri Rameshbhai Oza for Kathā Clips and Sandesh ▶️ / bhaishrirameshbhaioza 🔔Bhaishri Bhajans Sankirtan ▶️ / bhaishribhajansankirtan To stay connected: https://www.sandipani.org/