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#MahamrityunjayMantra #Shiva #ShivMantra #mahamrutyunjaymantra #morningprayer Mahamrityunjay Mantra 108 Times | महामृत्युंजय मंत्र | Powerful Mahamrityunjay Mantra | महामृत्युंजय @MorningPrayerGanga Subscribe our channel / @morningprayerganga and press the bell 🔔 icon for more Special Songs/ Bhajan @MorningPrayerGanga Lyrics: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे Om Tryambakam Yajamahe सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् Sugandhim Pushtivardhanam उर्वारुकमिव बन्धनान् Urvarukamiva Bandhanan मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् Mrityor Mukshiya Maamritat ॐ स्व: Om Swah भुव: भू: Bhurwah Bhu ॐ स: जूं हौं ॐ Om Sah Joon Haum Om || महामृत्युंजय मंत्र || ॐ त्र्यम्बक यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धन्म, उर्वारुकमिव बन्धनामृत्येर्मुक्षीय मामृतात् || संपुटयुक्त महा मृत्युंजय मंत्र || ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ || लघु मृत्युंजय मंत्र || ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ || किसी दुसरे के लिए जप करना हो तो || ॐ जूं स (उस व्यक्ति का नाम जिसके लिए अनुष्ठान हो रहा हो) पालय पालय स: जूं ॐ || महामृत्युंजय मंत्र के हर शब्द का अर्थ || त्र्यंबकम् – तीन नेत्रोंवाले यजामहे – जिनका हम हृदय से सम्मान करते हैं और पूजते हैं सुगंधिम -जो एक मीठी सुगंध के समान हैं पुष्टिः – फलने फूलनेवाली स्थिति वर्धनम् – जो पोषण करते हैं, बढ़ने की शक्ति देते हैं उर्वारुकम् – ककड़ी इव – जैसे, इस तरह बंधनात् – बंधनों से मुक्त करनेवाले मृत्योः = मृत्यु से मुक्षीय = हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें मा = न अमृतात् = अमरता, मोक्ष || महामृत्यंजय मंत्र के रचयिता || महामृत्युंजय मंत्र की रचना करनेवाले मार्कंडेय ऋषि तपस्वी और तेजस्वी मृकण्ड ऋषि के पुत्र थे। बहुत तपस्या के बाद मृकण्ड ऋषि के यहां संतान के रूप में एक पुत्र उत्पन्न हुआ, जिसका नाम उन्होंने मार्कंडेय रखा। लेकिन बच्चे के लक्षण देखकर ज्योतिषियों ने कहा कि यह शिशु अल्पायु है और इसकी उम्र मात्र 12 वर्ष है। जब मार्कंडेय का शिशुकाल बीता और वह बोलने और समझने योग्य हुए तब उनके पिता ने उन्हें उनकी अल्पायु की बात बता दी। साथ ही शिवजी की पूजा का बीजमंत्र देते हुए कहा कि शिव ही तुम्हें मृत्यु के भय से मुक्त कर सकते हैं। तब बालक मार्कंडेय ने शिव मंदिर में बैठकर शिव साधना शुरू कर दी। जब मार्कंडेय की मृत्यु का दिन आया उस दिन उनके माता-पिता भी मंदिर में शिव साधना के लिए बैठ गए। जब मार्कंडेय की मृत्यु की घड़ी आई तो यमराज के दूत उन्हें लेने आए। लेकिन मंत्र के प्रभाव के कारण वह बच्चे के पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए और मंदिर के बाहर से ही लौट गए। उन्होंने जाकर यमराज को सारी बात बता दी। इस पर यमराज स्वयं मार्कंडेय को लेने के लिए आए। यमराज की रक्तिम आंखें, भयानक रूप, भैंसे की सवारी और हाथ में पाश देखकर बालक मार्कंडेय डर गए और उन्होंने रोते हुए शिवलिंग का आलिंगन कर लिया। जैसे ही मार्कंडेय ने शिवलिंग का आलिंगन किया स्वयं भगवान शिव प्रकट हुए और क्रोधित होते हुए यमराज से बोले कि मेरी शरण में बैठे भक्त को मृत्युदंड देने का विचार भी आपने कैसे किया? इस पर यमराज बोले- प्रभु मैं क्षमा चाहता हूं। विधाता ने कर्मों के आधार पर मृत्युदंड देने का कार्य मुझे सौंपा है, मैं तो बस अपना दायित्व निभाने आया हूं। इस पर शिव बोले मैंने इस बालक को अमरता का वरदान दिया है। शिव शंभू के मुख से ये वचन सुनकर यमराज ने उन्हें प्रणाम किया और क्षमा मांगकर वहां से चले गए। यह कथा मार्कंडेय पुराण में वर्णित है। #MahamrityunjayMantra #Shiva #ShivMantra ✩ Title : Mahamrityunjay Mantra ✩ Lyrics : Traditional ✩ Label : Ganga Digital All Rights Reserved By Ganga Digital Subscribe channel https: // / @morningprayerganga