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भगवान दत्तात्रेय की कहानी।दत्तात्रेय जयंती की कथा।Shri Dattatreya untold story/रहस्यपूर्ण कथा। 2 года назад


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भगवान दत्तात्रेय की कहानी।दत्तात्रेय जयंती की कथा।Shri Dattatreya untold story/रहस्यपूर्ण कथा।

@Shri Krishan Diwani भगवान दत्तात्रेय की कहानी।दत्तात्रेय जयंती की कथा।Shri Dattatreya untold story/दत्तात्रेय भगवान की रहस्यपूर्ण कथा। दत्तात्रेय भगवान के जन्म दिवस को दत्ता अथवा दत्तात्रेय जयंती कहा जाता हैं. हिन्दू धर्म में तीनो देवों का सबसे उच्च स्थान होता हैं. भगवान दत्तात्रेय का रूप इन तीनो देवो के रूपों से मिलकर बना हैं. ब्रह्मा, विष्णु, महेश ये तीनो देव का रूप मिलकर भगवान दत्तात्रेय के रूप में पूजा जाता हैं.भगवान दत्तात्रेय की पूजा महाराष्ट्र में की जाती हैं. इन्हें परब्रह्ममूर्ति सदगुरु,श्री गुरु देव दत्त, गुरु दत्तात्रेय एवम दत्ता भगवान भी कहा जाता हैं. गुरु दत्तात्रेय का जन्म दिवस मार्गशीर्ष की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता हैं. यह खासतौर पर महाराष्ट्र में पूजा जाता हैं. भगवान दत्ता सप्त ऋषि अत्री एवम माता अनुसूया के पुत्र हैं.माता अनुसूया एक पतिव्रता नारी थी इन्होने ब्रह्मा, विष्णु एवम महेश के समान बल वाले एक पुत्र के लिए कठिन तपस्या की थी.उनकी इस कठिन साधना के कारण तीनो देव इनकी प्रशंसा करते थे जिस कारण तीनो देवियों को माता अनुसूया से इर्षा होने लगी थी. तब तीनो देवियों के कहने पर त्रिदेव माता अनुसूया की परीक्षा लेने के उनके आश्रम पहुँचे. तीनों देव रूप बदल कर अनुसूया के पास पहुँचे और उनसे भोजन कराने को कहा माता ने हाँ बोल दिया, लेकिन तीनो ने कहा कि वे भोजनतब ही ग्रहण करेंगे जब वे निर्वस्त्र होकर शुद्धता से उन्हें भोजन परसेंगी. माता ने कुछ क्षण रुककर हामी भर दी. माता ने मंत्र उच्चारण कर तीनो त्रिदेवो को तीन छोटे- छोटे बालको में परिवर्तित कर दिया और तीनों को बिना वस्त्र स्तनपान कराया. जब ऋषि अत्री आश्रम आये तो माता अनुसूया के सारी बात विस्तार से रखी जिसे ऋषि अत्री पहले से जानते थे. ऋषि अत्री ने मंत्रो के द्वारा तीनो देवो को एक रूप में परिवर्तित कर एक बालक का रूप दे दिया जिनके तीन मुख एवम छः हाथ थे.अपने पति को इस रूप में देख तीनो देवियाँ डर जाती हैं और ऋषि अत्री एवम माता अनुसूया ने क्षमा मांग अपने पतियों को वापस देने का आग्रह करती हैं. ऋषि तीनो देवों को उनका मूर्त रूप दे देते हैं लेकिन तीनो देव अपने आशीर्वाद के द्वारा दत्तात्रेय भगवान को बनाते हैं जो तीनो देवों का रूप कहलाते हैं. इस प्रकार माता अनुसूया परीक्षा में सफल हुई और उन्हें तीनो देवो के समान एक पुत्र की प्राप्ति हुई. यह त्रिदेव के रूप में जन्मे भगवान दत्तात्रेय हैं जिन्हें पुराणों के अनुसार वैज्ञानिक माना जाता हैं. इनके कई गुरु थे. इनका मनाना था जीवन में हर एक तत्व से सिखने को मिलता हैं. इसके कई शिष्य भी थे जिनमे परशुराम भी आते हैं. कहा जाता हैं दत्तात्रेय देव ही योग, प्राणायाम के जन्म दाता थे. इनकी सोच ने ही वायुयान की उत्पत्ति की थी. दत्तात्रेय देव ने ही कार्तिकेय को ज्ञान दिया था. इनके कारण ही प्रहलाद एक महान विष्णु भक्त एवम राजा बना था. इन्होने ने ही नरसिम्हा का रूप लेकर हिरण्याकश्यप का वध किया था. #dattatreya #GuruDattatreya #Dattatreya #DattatreyaStory #भगवानदत्तात्रेयकीकहानी #दत्तात्रेय #भगवानदत्तात्रेय #shrikrishandiwani

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