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"पिछड़े बालक" (Backward Child) शब्द का उपयोग उन बच्चों के लिए किया जाता है जो अपनी आयु के अन्य बच्चों की तुलना में शैक्षिक, मानसिक, सामाजिक या संवेगात्मक रूप से पिछड़ जाते हैं। ये बच्चे सामान्य विद्यालयी पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों से अपेक्षित लाभ नहीं उठा पाते हैं। 📘 परिभाषाएँ सिरिक बर्ट के अनुसार: "पिछड़ा बालक वह है जो अपने विद्यालयी जीवन के मध्य में, अर्थात लगभग 10½ वर्ष की उम्र में, अपनी कक्षा से नीचे का कार्य न कर सके, जो उसकी आयु के लिए सामान्य कार्य का शौनेल के अनुसार: "पिछड़ा हुआ विद्यार्थी वह है जो अपनी आयु के अन्य विद्यार्थियों की तुलना में अत्यधिक शैक्षणिक दुर्बलता को प्रदर्शित करे" टी.के.ए. मेनन के अनुसार: "भारतीय स्थिति में पिछड़ा बालक वह है जो अपनी कक्षा की औसत आयु से एक से अधिक वर्ष बड़ा हो" । 🔍 प्रमुख विशेषताएँ सीखने की धीमी गति और जल्दी भूलने की ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और एक विषय पर लंबे समय तक ध्यान न रख पाना। सामाजिक समायोजन में कठिनाई और समाज से पृथक रहने की इच्छा। सामान्य शिक्षण विधियों द्वारा शिक्षा ग्रहण करने में विफलता। मानसिक आयु का समकक्ष छात्रों से कम होना। मौलिकता का अभाव और नवीन समस्याओं पर विचार करने में असमर्थता। जीवन में निराशा का अनुभव और आत्मसम्मान की कमी। 🧠 पिछड़ेपन के संभावित कारण बुद्धि लब्धि (IQ) का 85 से कम +2 शारीरिक अपंगता या दीर्घकालिक रोग। पारिवारिक वातावरण में कलह, गरीबी या विद्यालयी वातावरण का अनुपयुक्त होना या शिक्षकों की कमी। संवेगात्मक असंतुलन जैसे अत्यधिक चिंता, उदासी या क्रोध। +1 🎓 शिक्षा और सहायता के उपाय विशिष्ट विद्यालयों की स्थापना: पिछड़े बालकों के लिए अलग से विद्यालयों की स्थापना की जानी चाहिए, जहाँ वे अपनी क्षमताओं के अनुसार शिक्षा प्राप्त कर सकें। विशिष्ट कक्षाओं की व्यवस्था: यदि अलग विद्यालय संभव न हो, तो सामान्य विद्यालयों में ही पिछड़े बालकों के लिए विशेष कक्षाओं की व्यवस्था की जानी चाहिए, जहाँ छात्र संख्या 20 से योग्य शिक्षकों की नियुक्ति: ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए जो बच्चों की कमजोरी को समझकर उसका उपचार कर सकें और विभिन्न शिक्षण विधियों का ज्ञान रखते हों। लचीला पाठ्यक्रम: पाठ्यक्रम ऐसा होना चाहिए जो पिछड़े बालकों को विद्वान् बनाने के बजाय जीवन के लिए तैयार करे एवं उनको बुद्धिमान नागरिक और कुशल कार्यकर्ता बनाये। हस्तशिल्प और व्यावहारिक शिक्षा: पिछड़े बालकों के लिए मूर्त विषयों के रूप में हस्तशिल्पों की शिक्षा का प्रबन्ध किया जाना चाहिए, जैसे कताई, बुनाई, सिलाई #ctet #dsssbprtpsychologyclasses #btet #cdp #education #nvs #uptet #htet #jtet #dsssb #utet #ugcnetpsychology #supertet #b.ed#m.ed#btc#btc#jbt