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ग्वाल बाबा मंदिर जगनेर का पूरा इतिहास ,खंडहर बताते हैं इमारत बुलंद थी/ -हम बात कर रहे हैं बाड़ी जिला धौलपुर राजस्थान से मात्र 20 किलोमीटर दूर स्थित जिला आगरा उत्तर प्रदेश के कस्बा जगनेर में पहाड़ी पर बने हुए किले के बारे में ,जो इस समय ग्वाल बाबा धर्म स्थल के रूप में पड़ोसी राज्यों में भी विख्यात है/जी हां जगनेर कस्बा में पहाड़ी पर एक विशाल किला के खंडहर आज भी मौजूद हैं /पहाड़ी पर किले में प्रवेश करते ही ग्वाल बाबा मंदिर है जो यहां के स्थानीय जनता एवं राजस्थान ,मध्य प्रदेश के श्रद्धालुओं के श्रद्धा का प्रमुख केंद्र है/ वहां एक गुफा एवं मंदिर बना हुआ है/राजस्थान की सीमा से लगा आगरा जनपद का सीमावर्ती कस्बा जगनेर जो ‘आल्हा खंड ’रचयिता राजा जगन सिंह के नाम पर जगनेर बसाया गया था । किले के भग्नावेष की प्रथम दृष्टि डालते ही ऐसा लगता है कि यह किला अपने अन्दर कोई बड़ा इतिहास छुपाये बैठा है/ क्योंकि किले की सुनियोजित वास्तु-प्रणाली को देखकर ऐसा लगता है कि राजा जगन सिंह ने इसे बहुत ही सूझबूझ के साथ बनवाया था/ लाल पत्थर की शिला पर उत्कीर्ण शिलालेख के अनुसार इसे जगन सिंह पंवार ने बनवाया था। इसकी पुष्टि अंग्रेज कर्निघंम की पुस्तक पूर्वी राजस्थान के यात्रा वृत्तांत से होती है। इस किले की संरचना राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के किले के समान है। पश्चिम छोर के ऊवडखावड रास्ते से पहाड़ी पर चढ़ा जा सकता है/ जहाँ एक बावड़ी भी है/ जगनेर बस्ती की ओर से लम्बी पत्थर की सीधी सीढि़यों की श्रृंखला है। हिन्दू भवन निर्माण शैली की विशेषताओं से युक्त इस किले में विख्यात ग्वाल बाबा गुफा मंदिर के अतिरिक्त शिवलिंग महादेव मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, श्री हनुमान जी मन्दिर स्थित हैं/ यह किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संरक्षण में है। एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद कहते हैं कि जगनेर किला को राजा जगन सिंह ने बनाया था। उसने वर्ष 1550 में राज्य स्थापित किया और किला वर्ष 1573 में बनकर तैयार हुआ। 1603 मैं मुगलो द्वारा राजा जगन सिंह की हत्या होने के बाद यह किला लगातार उजड़ता चला गया/ आज इसके खंडहर शेष बचे हैं/जो इस बात की गवाही देते हैं कि यहां कभी बहुत ही आलीशान भव्य किला रहा होगा /प्राचीन भवनों में शासकीय आवास, सैन्य गृह एवं सैन्य सामग्री प्रकोष्ठ के भग्नावेष है। जब देश में राजपूत शासकों के छोटे-छोटे स्वतंत्र राज्यों का अभ्युदय हुआ था । यदु राज्य कभी स्वतंत्र और कभी केन्द्रीय सत्ता के अधीन रहे। राजपूत शासकों के समय जगनेर परमारों और चंदेलों के अधिकार में था। ‘आगरा गजेटियर’ के अनुसार जगनेर से पहले इस क्षेत्र को ऊँचाखेड़ा कहते थें। जगनेर का अर्थ बताते हुए कर्नल टाॅड के अनुसार ‘नेर’ का अर्थ है चारों ओर से प्राचीरबद्ध नगर जैसे राजस्थान के शहर बीकानेर, सांगानेर जयपुर आदि अत्यंत संरक्षितनगर थे /गुर्जर प्रतिहारों के पतन के पश्चात् परमारों और चन्देलों का उदय हुआ। उनकी शक्ति प्रतिदिन बढ़ती गयी। निरन्तर युद्ध और प्रतिस्पर्धा का शिकार जगनेर का किला भी बना रहा। कुतुबद्दिन ऐबक और इल्तुमिश ने राजस्थान पर विजय कर जगनेर के शासक को अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिए बाध्य किया। किन्तु यहाँ के वीर राजपूत अपनी अस्मिता के लिए निरन्तर युद्धरत् रहे। 1510 ई0 में इसे मुगलों ने जीत कर अकबर ने जगनेर के दुर्ग पर मुस्लिम सूबेदार नियुक्त किया। किले में उत्कीर्ण एक लेख से ज्ञात होता है कि अकबर ने राजस्थान विजय के लिए केन्द्र जगनेर को ही बनाया। यहाँ पर्याप्त मात्रा में अस्त्र-शस्त्र सैनिक एवं खाद्य सामग्री रखी जाती थी। मुगल साम्राज्य के पश्चात जगनेर के दुर्ग ने जाट, मराठे और अग्रेजों का सत्ता-सघर्ष देखा /बताते हैं यहां का आखरी शासक राजा जगन सिंह था जिसने व्यवस्थित रूप से इस कस्बे को बसाया तथा जगनेर नाम रखा /इस किले एवं कस्बा में प्रतिवर्ष ग्वाल बाबा का विशाल मेला लगता है जिसके लिए यह जगनेर कस्बा एवं ग्वाल बाबा का स्थान आजकल विख्यात है/किले में ग्वाल बाबा की छतरी एवं गुफा भी है। किंवदंतियों के अनुसार बताया गया कि इस गुफा में एक संत ग्वाल के भेष में रहते थे /गुफा के अंदर कमरा एवं तालाब होना भी बताया गया है /इस गुफा मैं क्षेत्र के अनेक चरवाहे भी अपने पशुओं को चराने आते थे /एक ग्वाला जिसके पूर्वजों को इस संत ने एक मुट्ठी में भरकर बेजर अनाज दिया, जिसे घर ले जाने पर देखा तो वह हीरा मोती बन गए थे/ बताते हैं गांव वासी फिर लौटकर संत के पास आए तथा उनसे बेजर देने का पुनःआग्रह किया/ तब ग्वाल बाबा संत ने कहा इस स्थान पर मेरा मंदिर बनाओ तथा पूजा अर्चना करो /और उसकी भभूती लगाने से आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे/ उसी परंपरा की सातवीं पीढ़ी में रामबाबू गुर्जर इस समय इस मंदिर में पूजा अर्चना नियमित कर रहे हैं तथा 24 घंटे वहीं रहते हैं/इस धर्म स्थल पर वर्ष में एक बार लगभग 7 दिन का विशाल मेला लगता है /जिसमें राजस्थान उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश दूर-दूर के क्षेत्रों से दुकानदार आते हैं/मान्यता है कि लगातार 10 रविवार यहां दर्शन करने आया जाए तो निश्चित रूप से मनोकामना पूरी होती है/ बताया जाता है कि संत ग्वाल बाबा आज भी नेवले के रूप में उस गुफा में रहते हैं तथा भाग्यशालीयों को ही दर्शन देते हैं/ परंपरा के अनुसार जिस की मनोकामना पूरी होती है वह यहां आकर पूजा अर्चना कर ब्राह्मण भोजन करवाता है /एक अन्य परंपरा के अनुसार इस ग्वाल बाबा पर्वत की परिक्रमा देने से भी मनोकामना पूरी होती हैं/ यही कारण है कि प्रातः काल सैकड़ों महिला-पुरुष भक्ति संगीत राम धुन गाते हुए परिक्रमा देते हैं/एक बार आप भी ग्वाल बाबा के दर्शन लाभ प्राप्त करके देखें वाकई बहुत ही सच्चा एवं सिद्ध स्थान है/