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kashi annapurna temple vishwanath gali, Varanasi ( UP )- 221001 मां अन्नपूर्णा जी का सोमवार को धान की बालियों से भव्य श्रृंगार किया गया। और 17 दिन चलने वाले महाव्रत का भी हुआ समापन। प्राचीन परम्परा के अनुसार प्रत्येक वर्ष की तरह धान की बालियों से माता का श्रृंगार किया गया। माता अन्नपूर्णा का दरबार बेहद जगता पीठ है। खुद महादेव यहां पर माता से अन्न की भिक्षा मांगने आये थे। दिन भर भक्त माता के दर्शन करते हैं। इसके बाद धान को प्रसाद के रुप में भक्तों में बांटा जाता है। मां के प्रसाद के अपने खेत, भंडार या अन्न क्षेत्र में रखने से व्यक्ति को जीवन भर अन्न की कमी नहीं रहती है। 17 दिन, 17 गाठ और 17 धागे का यह कठिन व्रत 24 नवम्बर से आरंभ हुआ था। व्रती को एक टाइम एक अन्न का आहार लेना पड़ता है इस व्रत में नमक का सेवन निषेध होता है। 17 दिन महाव्रत करने वाले की सारी मनोकामना पूर्ण होती है। अन्नपूर्णा व्रत की पुस्तक के अनुसार सबसे पहले यह महाव्रत हजारों साल पहले काशी के राजा दिवोदास ने किया था। राजा दिवोदास के राज्य में भयंकर अकाल पड़ा था। जनता में हाहाकार मच गया था। राजा दिवोदास ने धनंजय को कहा कि अकाल समाप्त कराना है तो माता अन्नपूर्णा को प्रसन्न करना होगा। इसके बाद धनंजय ने 17 दिन तक कठिव व्रत किया था, जिसके बाद मां अन्नपूर्णा ने दर्शन देकर आशीर्वाद दिया था। इसके बाद से आज भी यह महाव्रत रखा जाता है।