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वीरभद्र, पिप्पलाद, नंदी अवतार,भैरव अवतार, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, ऋषि दुर्वास, हनुमान जी, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, ब्रह्मचारी अवतार, सुनटनतर्क और यक्ष अवतार. ये शिवजी के 19 अवतारों के नाम हैं. पंचमुखी शिव का रहस्य और महत्व इन पाँच मुखों के नाम हैं: सद्योजात, वामदेव, अघोर, तत्पुरुष, और ईशान। भोलेनाथ के आठ स्वरूप इस प्रकार से हैं - शर्व, भव, रुद्र, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव हैं। धर्मशास्त्रों में हरि के 24 अवतारों का वर्णन है, उसी प्रकार 'हर' के 19 अवतारों का उल्लेख है. यहां आज हम आपको शिव महापुराण में बताए गए शिव जी के कुछ अंश अवतारों का उल्लेख करेंगे. शिवजी ने कई रुद्रावतार लिए, जिनमें 11वें रुद्र अवतार महावीर हनुमान माने गए हैं. शिवजी का पहला स्वरूप 'महाकाल' को माना गया है. उनके अनुरोध के बाद, शिव ने 11 अमर प्राणियों का निर्माण किया: कपाली, पिंगला, भीम, विरुपाक्ष, विलोहिता, अजेश, शासन, शास्ता, शंभु, चंदा और ध्रुव , जिन्हें शक्तिशाली 11 रुद्र के रूप में जाना जाता है। महाकाल - महाकाल को भगवान शंकर का दशावतारों में से प्रथम अवतार माना है। इस अवतार में भगवान शिव ने दूषण नामक असुर का वध किया था और इस अवतार की शक्ति माता महाकाली हैं। तारकेश्वर - तारकेश्वर या तार भगवान शिव का दूसरा अवतार है और इस अवतार की शक्ति तारा देवी हैं। पांच मुख वाले मुखलिंग को पंच-मुखलिंग कहा जाता है। पांच मुख शिव को शास्त्रीय तत्वों, दिशाओं, पांच इंद्रियों और शरीर के पांच भागों से जोड़ते हैं। ये शिव के पांच पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं: सद्योजात, वामदेव, अघोर, तत्पुरुष और ईशान।