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Experience the divine vibrations of Ya Devi Sarva Bhuteshu Stotram, a powerful Devi mantra that invokes the blessings of Goddess Durga for peace, protection, and positivity. This Durga mantra is one of the most sacred Devi chants, known to remove negative energies and fill your life with spiritual strength, prosperity, and inner calm. Chanting or listening to Ya Devi Sarva Bhuteshu daily helps devotees connect with Maa Durga’s shakti (energy) and experience divine healing, courage, and spiritual awakening. This Devi Stotram is ideal for Navratri 2025, meditation, or daily worship. Listen to this Devi mantra for peace and protection every morning or during meditation to purify your mind and soul. This Durga mantra fills your surroundings with divine energy and positivity. Let the melodious voices and spiritual vibration of this Devi stotram transform your energy and bring serenity, protection, and blessings into your life. Lyrics: सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमिति शब्दिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु छायारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ इन्द्रियाणामधिष्ठात्री भूतानां चाखिलेषु या भूतेषु सततं तस्यै व्याप्तिदेव्यै नमो नमः॥ चित्तिरूपेण या कृत्स्नमेतद्व्याप्य स्थिता जगत् नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥