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#bible #biblestories #jesus #jesuschrist #jesusstories 😱 9 घंटे तक मृत घोषित रहने के बाद ताबूत से अचानक जागी अंजलि! डॉक्टरों ने दी थी डेथ सर्टिफिकेट, पुलिस ने बंद कर दी थी केस फाइल… फिर कब्रिस्तान में हुआ कुछ ऐसा कि सबके होश उड़ गए! 👉 *क्या हुआ था उस रात?* अंजलि (22) चर्च से लौट रही थी। 3 नकाबपोश दरिंदों ने हमला किया, सिर पर पत्थर मारा, खाई में फेंका। अस्पताल पहुँचते ही डॉक्टरों ने कहा – *"She is no more."* 👉 *फिर सुबह 10 बजे कब्रिस्तान में…* ताबूत उतारा जा रहा था, अचानक ज़मीन काँपी, हवा रुकी… और ताबूत का ढक्कन *खुद खुल गया!* अंजलि की आँखें खुलीं, साँस चली… और उसने *पहला नाम लिया – "यीशु!"* 👉 *डॉक्टरों की रिपोर्ट, पुलिस FIR, हमलावरों का कबूलनामा – सब दिखाया गया है!* अस्पताल की असली डेथ रिपोर्ट कब्रिस्तान का CCTV फुटेज (लीक) हमलावरों का जेल में रोते हुए कबूलनामा अंजलि का पहला इंटरव्यू (असली वॉइस) ⚡ *अंजलि आज कहाँ है?* वह अब उसी चर्च को फिर से बना रही है जहाँ से उसकी आखिरी प्रार्थना शुरू हुई थी। हर रविवार वो अपनी कहानी सुनाती है – *"मैंने मौत को देखा है… और वहाँ भी यीशु थे।"* 🙏 *अगर तुम भी विश्वास करते हो – तो लाइक करो, शेयर करो, कमेंट में "यीशु जय" लिखो।* ये कहानी सिर्फ एक चमत्कार नहीं… *एक ज़िंदा सबूत है।* आसमान पर घनी घटाएँ इस तरह छाई थीं कि चाँद और तारों का नामोनिशान नहीं था। शहर के बाहरी छोर पर, जहाँ कंक्रीट के ढाँचे सुनसान रास्तों में बदलते थे, वहाँ एक छोटा सा पत्थर का चर्च था – 'सेंट मैरी चर्च'। उसकी प्राचीन दीवारों से एक पवित्र शांति छलक रही थी, लेकिन आज उस शांति में एक अजीब सी बेचैनी घुली हुई थी। प्रार्थना सभा समाप्त हुए कुछ ही देर हुई थी। अंजलि, बाईस साल की एक युवती, अपनी बाइबिल को सीने से लगाए घर की ओर लौट रही थी। उसके चेहरे पर प्रार्थना का सुकून था, होठों पर यीशु के भजन की हल्की धुन। अंजलि का विश्वास अटूट था; वह हर रविवार चर्च जाती और अपने जीवन में यीशु की शिक्षाओं को आत्मसात करती थी। उसे विश्वास था कि यीशु हमेशा उसके साथ हैं, इसलिए रात के इस सुनसान रास्ते पर भी उसे कोई डर नहीं था। वह अपने घर से करीब दो किलोमीटर दूर थी, जब उसे लगा कि कोई उसका पीछा कर रहा है। शुरू में उसने इसे अपना वहम समझा, लेकिन जब कदमों की आहट तेज़ हुई, तो उसके दिल की धड़कनें भी बढ़ गईं। उसने पीछे मुड़कर देखा। अँधेरे में तीन परछाइयाँ तेज़ी से उसकी ओर बढ़ रही थीं। अंजलि के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं। उसने अपनी चाल तेज़ की। "ओह लड़की! इतनी जल्दी कहाँ जा रही हो?" एक भारी आवाज़ ने सन्नाटा चीर दिया। अंजलि ने और तेज़ भागना शुरू किया, लेकिन सड़क पथरीली थी और उसका पैर फिसल गया। वह ज़मीन पर गिर पड़ी। इससे पहले कि वह उठ पाती, तीनों आकृतियाँ उस तक पहुँच गईं। उनके चेहरे नकाबों से ढके थे, लेकिन उनकी आँखों में एक क्रूर चमक थी। "आज तो तुम हमारे हाथ आ गई," उनमें से एक ने फुसफुसाते हुए कहा, उसकी आवाज़ में घिनौनी हँसी थी। अंजलि डर से काँप उठी। उसने अपनी बाइबिल को और कसकर पकड़ लिया। "मुझे छोड़ दो! यीशु के नाम पर, मुझे छोड़ दो!" अंजलि ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, उसकी आवाज़ आँसुओं में डूब गई थी। लेकिन उन दरिंदों पर उसके शब्दों का कोई असर नहीं हुआ। उन्होंने उसे घेर लिया और उससे दुर्व्यवहार करने लगे। अंजलि ने पूरी ताक़त से उनका विरोध किया, लेकिन वे तीन थे और वह अकेली। दर्द और अपमान से कराहती हुई अंजलि ने अपनी आँखें बंद कर लीं और पूरी श्रद्धा से यीशु को पुकारा। "यीशु! हे मेरे प्रभु यीशु! मुझे बचा लो! मेरी रक्षा करो! मुझे इस अँधेरे से निकालो!" उसकी प्रार्थना इतनी गहरी थी कि उसे लगा जैसे उसकी आत्मा शरीर से अलग होकर सीधे ईश्वर तक पहुँच रही है। लेकिन शायद उस पल उसकी पुकार अनसुनी रह गई। दरिंदों ने उसे ज़मीन पर घसीटा। एक ने उसके सिर पर एक भारी पत्थर से वार किया। एक पल के लिए उसे लगा जैसे उसके दिमाग में हज़ारों घंटियाँ एक साथ बज उठी हों, फिर सब कुछ शांत हो गया। उसकी आँखों के सामने अँधेरा छा गया। उसकी बाइबिल उसके हाथ से छूटकर पास की झाड़ियों में जा गिरी। उसका निष्प्राण शरीर उस सुनसान रास्ते पर बेजान पड़ा था। दरिंदों ने उसके शरीर को एक छोटी खाई में धकेल दिया और अँधेरे में गायब हो गए। दूसरा दृश्य: मौत की घोषणा और मुर्दाघर की खामोशी