У нас вы можете посмотреть бесплатно न्याय और कानून - स्वअर्जित और पैतृक संपत्ति के कानूनी विश्लेषण को समझें माला दीक्षित से или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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व्यक्ति ने कोई संपत्ति खऱीदी तो खरीदी गई संपत्ति व्यक्ति की स्वअर्जित संपत्ति होगी। उस संपत्ति पर उसे पूरा अधिकार होगा और वह जैसे चाहे वैसे उस संपत्ति का इस्तेमाल कर सकता है। उसकी स्वअर्जित संपत्ति पर उसके बच्चों का कोई अधिकार नहीं होता। संपत्ति का मालिक जिसे चाहे उसे और जैसे चाहे वैसे संपत्ति दे सकता है। अब अगर वह व्यक्ति अपनी स्वअर्जित संपत्ति अपने इकलौते पुत्र को वसीयत के जरिए देता है तो पुत्र को वसीयत में मिली संपत्ति पुत्र की स्वअर्जित संपत्ति होगी। यानी उसके बेटे को भी उस संपत्ति पर वही अधिकार मिलेंगे जैसे कि उसे अपनी स्वअर्जित संपत्ति पर थे। इसी तरह अगर वह व्यक्ति गिफ्ट डीड यानी उपहार में वह संपत्ति अपने बेटे को देता है तो भी संपत्ति बेटे की स्वअर्जित संपत्ति मानी जाएगी। यानी कि वसीयत द्वारा संपत्ति हस्तांतरण या फिर गिफ्ट द्वारा संपत्ति हस्तांतरण में संपत्ति का स्वरूप स्वअर्जित ही रहेगा। लेकिन अगर संपत्ति का मालिक उस संपत्ति की न तो अपने बेटे को वसीयत करता है और न ही उसे गिफ्ट करता है तो फिर उस व्यक्ति के मरने के बाद वह संपत्ति उत्तराधिकार में उसके इकलौते बेटे को तो मिलेगी लेकिन संपत्ति का स्वरूप बदल जाएगा वह संपत्ति पैतृक संपत्ति हो जाएगी और बेटे के बच्चों के जन्म के बाद यानी नाती पोते होने पर संपत्ति मालिक का बेटा जिसे उत्तराधिकार में पिता की संपत्ति मिली है, उस संपत्ति का मनचाहा इस्तेमाल नहीं कर सकता उसमें उसके बच्चे यानी मूल मालिक के नाती पोते दावा कर सकते हैं। वे कह सकते हैं कि यह पैतृक संपत्ति है इसमें हमारा हिस्सा है। यानी मूल मालिक के बेटे को संपत्ति का कुछ भी करने से पहले अपने बच्चों यानी मूल मालिक के नाती पोतों की राय लेनी होगी। पैतृक संपत्ति पर पैतृक सपत्ति उत्तराधिकार के सारे निमय कानून लागू होंगे। वसीयत और गिफ्ट डीड के जरिए संपत्ति हस्तांतरण में भी संपत्ति पर अधिकार को लेकर अंतर है।