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आखिरकार घाटशिला उपचुनाव का परिणाम आ ही गया jlkm की आशाओं पर पानी फिर गया और jmm ने ये सीट जीत ली विजेता सोमेश सोरेन को 1,04,794 दूसरे स्थान पर रहे बीजेपी के बाबूलाल सोरेन की 66,270 तथा तीसरे स्थान पर रहे रामदास मुर्मू को मात्र 11,553 वोट मिला। जनता के बीच बदलाव लाने की इच्छा, jlkm को जोरदार समर्थन के बावजूद तीसरे स्थान पर आना किस ओर इशारा करता है, झारखंड में मज़बूत jmm और बीजेपी ने अपना पूरा कुनबा घाटशिला को जीतने के लिए उतार दिया था,jlkm अभी नई पार्टी है जिसका गठन हुए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है,स्थानीय संगठन और जनाधार में मजबूती की कमी है। JLKM के हार के प्रमुख कारणों की समीक्षा की जाए तो 5 कारण प्रमुखता से नजर आते है पहला ये कि घाटशिला अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है और चुनाव के ठीक पहले हुआ कुर्मियों का शेड्यूल ट्राइब में शामिल होने का आंदोलन जिसका समर्थन जयराम ने किया था, जिसमें जयराम को मुख्य विलेन घोषित कर आदिवासियों के मन में ये बैठा दिया गया कि jlkm आदिवासियों की विरोधी है, jlkm की घोर विरोधी आजसू ने तो जयराम को बदनाम करने की हर संभव चाल चली,जयराम को मटियामेट करने के लिए आजसू नेत्री ज्योत्सना केरकेट्टा को आगे कर जयराम को बलि का बकरा बना दिया, आदिवासियों के मन में जो जयराम की नकारात्मक छवि बन गई उसे दूर करने का प्रयास तो जयराम ने किया मगर पूर्णतः सफ़ल नहीं हो पाए और इसकी छाया घाटशिला में देखने को मिली। दूसरा कारण देखा जाए तो हम पाते है कि झारखंड क्या पूरे भारत में अभी लोकतंत्र पूरी तरह मजबूत नहीं हुआ है,जनता में अभी भी इस फैसले को लेने की क्षमता की कमी है कि किसे अपना विधायक चुना जाए,चुनाव में धनबल का कितना प्रयोग होता है ये तो जग जाहिर है,जिसे घाटशिला में स्पष्ट तौर पर देखने को मिला चुनाव के पूर्व रात्रि में jmm और बीजेपी खुलेआम पैसे बांटते नजर आई,जिसकी आशंका तो पहले से ही थी और जयराम ने घाटशिला की जनता को इसके प्रति आगाह भी किया था,इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोगों ने क्षणिक लाभ को देखते हुए jmm को वोट किया,चुनाव पूर्व रात्रि के जमकर पैसे बाटे गए,दूसरी ओर चुनाव के एक दिन पहले घाटशिला में महिलाओं के खाते में महिला सम्मान का पैसा डाल कर ये बात फैला दी गई कि अगर jmm घाटशिला से हार गई तो घाटशिला की महिलाओं को मैया सम्मान का पैसा मिलना बंद हो जाएगा,महिलाओं का बड़ा तबका ने jmm के पक्ष में वोट किया। तीसरा कारण था jlkm का घाटशिला में कमजोर संगठन,2024 में हुए चुनाव के बाद jlkm को ये आशा नहीं थी कि घाटशिला में दुबारा चुनाव इतनी जल्दी हो जायेगा,इसलिए संगठन को मजबूत करने का काम धीमी गति से चल रहा था क्योंकि अगला चुनाव 2029 में होना था मगर रामदास सोरेन की असामयिक मृत्यु ने दुबारा चुनाव की स्थिति पैदा कर दी,उसके बाद jlkm ने तेज गति से यहां अपना जनाधार बनाना और संगठन को मजबूत करना शुरू कर दिया, मगर पहले से जमी जमाई पार्टी jmm,और बीजेपी के बराबर आने के लिए उतना समय नहीं मिल पाया वैसे भी jlkm अभी नई पार्टी है जिसका गठन हुए अभी एक साल ही हुआ है,चुनाव जीतने के लिए कार्यकर्ताओं में उत्साह के अलावा बूथ मैनेजमेंट भी अत्यंत आवश्यक है जिसकी कमी ने jlkm का खेल बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं। चौथा कारण था jmm का सत्ता में रहने का लाभ, सभी जानते है कि किसी भी उपचुनाव में वर्तमान सरकार को प्रशासनिक स्तर पर फायदा मिलता ही है, jmm के दबदबे वाले क्षेत्र में प्रशासन पर बोगस वोट करवाने का आरोप लगा,साथ ही मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन भी जयराम के पक्ष में न के बराबर रहा,खास कर मुस्लिम महिलाओं ने jmm के पक्ष में एकतरफा वोटिंग। पांचवां कारण खुद jlkm है,पार्टी गठन को एक लंबा समय बीत जाने के बावजूद अभी तक सेकेंड लाइन नेता तैयार नहीं हो सके,जो जयराम के काम में कंधा से कंधा मिला कर पार्टी को आगे ले जाए और जयराम के अनुपस्थिति में भी कोई काम रुक न पाए।मगर यहां तो सब कुछ जयराम के ऊपर ही छोड़ दिया गया है,झारखंड एक बड़ा प्रदेश है लोग जयराम को नेक्स्ट सीएम की तरह देखते है,तो ये तो समझना चाहिए कि जयराम कितना व्यस्त होंगे, सेकंड लाइन नेता के रूप में देवेंद्रनाथ महतो जैसे नेता का नाम लिया जा सकता है,मगर उनका ध्यान अपने क्षेत्र पर ज्यादा रहता है,4-5 ऐसे नेता चाहिए जो पूरे राज्य में घूमे और jlkm का आधार मजबूत करने के लिए जनाधार बढ़ाने में अपना योगदान दे, सब कुछ जयराम पर ही छोड़ दीजियेगा तो ये जान लीजिए कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता।घाटशिला की हार jlkm के लिए एक सबक भी है,अगर jlkm का सारा भार जयराम के कंधों पर छोड़ दीजियेगा तो जयराम अगली बार 2029 में भी विधायक तो बन जाएंगे,मगर आज की तरह ही एकमात्र विधायक,क्या आपको लगता है कि jlkm में कोई ऐसा उभरता नेता है,जिसकी अपने क्षेत्र ने जयराम महतो की तरह पकड़ हो, जयराम को चाहिए कि वो कुछ गिने चुने नेताओं जैसे कि देवेंद्रनाथ महतो है और जो कोई उन्हें उचित लगे उन्हें अपनी हर एक सभाओं में साथ ले जाए उन्हें भी मंच पर बोलने के लिए पूरा समय दिया जाए ताकि jlkm के विस्तार की प्रक्रिया अगले 4 सालों में पूरा हो जाए और सीएम पद के लिए जयराम की तगड़ी दावेदारी हो। अपनी राय इस सिलसिले में जरूर दे की jlkm को आगे क्या क्या करना चाहिए।साथ ही अगर आप इसी तरह के बेबाक विश्लेषण देखना चाहते है तो आपके अपने चैनल आपका खबरीलाल को लाइक और सब्सक्राइब कर ले तथा बेल आइकन दबा ये ताकि हर अगली खबर पर आपकी नजर रहे धन्यवाद। झारखंड की खबर, घाटशिला में कौन जीता, घाटशिला चुनाव, जयराम महतो, रामदास मुर्मू , देवेंद्रनाथ महतो,सोमेश सोरेन, हेमंत सोरेन, जेएमएम, बाबूलाल सोरेन, बीजेपी, सुदेश महतो, ज्योत्सना केरकेट्टा, आजसू, #झारखंड ##झारखंडकीताजाखबर #घाटशिला_उपचुनाव #घाटशिला_परिणाम #जयराम_महतो #रामदास_मुर्मू #देवेन्द्र_नाथ_महतो #सिल्ली #जेएलकेएम #सोमेश_सोरेन #हेमंत_सोरेन #जेएमएम #सुदेश_महतो #ज्योत्सना_केरकेट्टा #आजसू_पार्टी