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FOR MORE INFO: Call :- +91 7354400029, 6265550111 Email :- [email protected] Address :- ब्रह्मर्षि अम्बाला संस्थान आश्रम लखाखेरा तहसील/पोस्ट बड्वरा जिला कटनी ,मध्य प्रदेश #AatmanirbharBharat #LocalForVocal #YogiHariomDas आध्यात्मिक परिचय:-- सनातन संस्कृति एवं सभ्यता की धरोहर हिन्दुस्तान, जिसके हृदय मध्यप्रदेश के जिला कटनी अंतर्गत तहसील बड़वारा में कटनी-शहडोल राष्ट्रीय राजमार्ग 78 में स्थित सेवा संस्थान लखाखेरा आश्रम। अध्यात्मिक तथा अलौकिक शक्तियों का केन्द्र यह तपोभूमि, जिसका प्राचीन इतिहास अनादि काल से भी पुराना है। यहॉ पहुचने मात्र से ही व्यक्ति के विचार सकारात्मक हो जाते हैं, मनः स्थिति परिवर्तित हो जाती है तथा वह सभी तनावों से मुक्त हो जाता है। इस सेवा संस्थान के संस्थापक ''महायोगी हरि ओम दास जी'' अलौकिक तथा पारलौकिक शक्तियों के स्वामी हैं। आपको ईश्वरीय साक्षात्कार हुआ, शक्तिपात हुआ। दिव्य शक्तियॉ तथा दिव्य ज्ञान की प्राप्ति इसी पावन भूमि में हुई । आपका ज्ञान एवं अध्यात्म वहॉ से शुरू होता है, जहॉ से इंसान एवं विज्ञान की सोच समाप्त होती है। जैसे-आत्म साक्षात्कार, आत्म दर्शन, आत्मावलोकन, प्राण विखण्डन, परकाया प्रवेश, सूक्ष्म जगत का दर्शन एवं भ्रमण, देव लोकों का दर्शन, वायु गमन, बृह्माण्ड की सैर, अन्तः करण में भ्रमण करना, अदृश्य शक्तियों से बातें करना आदि ऐसी कई क्रियाए हैं, जिनके बारे मे न सिर्फ जानकारी देते हैं, बल्कि वास्तविक अनुभव भी कराते हैं। महायोगी हरि ओम दास जी का जन्म २५ मई १९८२ को जिला उमरिया, मध्यप्रदश (भारत) में हुआ। दिनांक २५ मई १९९८ को आपको ईश्वरीय साक्षात्कार ग्राम लखाखेरा (बड़वारा) के इसी तपोभूमि मे हुआ। फिर दिनांक २६ मई १९९८ को १६ वर्ष की आयु मे शक्तिपात हुआ। दिव्य शक्तियॉ तथा दिव्य ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात आपने घर तथा पढाई त्याग कर वैराग्य ले लिया। तबसे आप जगत के कल्याण एवं मानव मूल्यों के विकास हेतु सतत् प्रयत्नशील हैं। वैराग्य पश्चात् आपने सेवा संस्थान लखाखेरा आश्रम की स्थापना कर कई दिव्य और अलौकिक शक्तियों की प्राप्ति की। इसके लिए आपने १ वर्ष ८ माह की समाधिस्थ साधना की, लगभग २ वर्ष हिमालय की दुर्गम कन्दराओं एवं वर्फीली पहाड़ियों में कठोर तपस्या की, लगभग २ वर्ष भोजन त्याग कर सिर्फ हरी पत्तियों के अर्क का सेवन करके साधना किये। योगा-ध्यान, तप-साधना के माध्यम से एवं अदृश्य ईश्वरीय शक्तियों के माध्यम से आत्म साक्षात्कार किया। बृह्माण्ड दर्शन (शरीर के अन्दर एवं शरीर के बाहर) किया, प्राण विखण्डन की क्रिया के माध्यम से कई रूपों में अलग-अलग स्थानों एवं लोको में तपस्या की। आर्थिक मदद:-- प्यारे साधक भाइयों एवं बहनों, संस्था की मदद करने एवं जन कल्याण में अपना सहयोग देनें के लिये नीचे दिये गये संस्था के बैंक अकाउन्ट में अपना आर्थिक सहयोग जमा करायें । ✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹ Account Name: ब्रह्मर्षि अम्बाला संस्थान/ Brahmarshi Ambala Sansthan Bank Name: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया Branch: जिला: उमरिया (म.प्र.), Code:01349 IFSC Code: SBIN0001349 Account Number: 30314976563 ✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹✹ एफ.सी.आर.ए. (फोरेन कान्ट्रब्यूशन रेगुलेशन एक्ट): - प्रक्रिया धीन है। संस्था को दी गयी कोई भी आर्थिक मदद, आयकर अधिनियम 80{जी} के तहत कर मुक्त हैं। आपके सहयोग {दान} से ही संस्था का विकास एवं जन कल्याण संभव है। अंतरंग योग साधना:-- पंच तत्वों की काया एक निश्चित समय पश्चात पुनः पंचतत्वों मे विलीन हो जायेगी। जिस माध्यम से हमारा शरीर सजीव है एवं समस्त शारीरिक क्रियायें करता है, जो इस शरीर के नष्ट होने पर भी नही मरती उस अजर-अमर अविनाशी आत्मा के बारे मे हमने कभी विचार नही किया । इन 05 (पॉच) प्रश्नों के जबाव जरा अपने आप से पूछें। 1) मैं कौन हॅु ? 2) कहॉ से आया हॅु ? 3) क्या करना है ? 4) क्या कर रहा हॅु ? 5) जाना कहॉ है ? हम सब उस पार बृह्म परमेश्वर की संतान है। अपनी अंतः शक्ति को पहचानना एवं उसे जागृत करने तथा सफल जीवन जीने की कला सीखने के लिए आये और ’’अंतरंग योग साधना’’ मे भाग लेकर अपना जीवन को सार्थक बनायें । प्रशिक्षण के विषय वस्तु:-- 1. आत्मा क्या है ? 2. मन और आत्मा में क्या अंतर है ? (जब शरीर मे मन का स्थान श्रेष्ठ है तो मन से श्रेष्ठ आत्मा कैसे है ?) 3. शरीर के कितने रूप होते हैं ? 4.’’नवधा भक्ति’’ एवं ’’योगा’’ में क्या अंतर है ? 5. समस्त बृह्मण्ड हमारे शरीर के अंदर कैसे ओर कहॉ स्थापित है ? 6. आत्मा को शरीर के अंदर कैसे अनुभव करें ? 7. बृह्मण्ड मे समस्त देव लोक, स्वर्ग लोक, पाताल लोक कैसा है एवं इनका स्थान बृह्मण्ड मे कहॉ-कहॉ है बृह्मण्ड का नक्शा बनाकर समझाया जायेगा।) ?