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MYOPIA or Nearsightedness (बच्चों मे चश्मे का नंबर क्यों आता हैं ?) скачать в хорошем качестве

MYOPIA or Nearsightedness (बच्चों मे चश्मे का नंबर क्यों आता हैं ?) 4 года назад

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MYOPIA or Nearsightedness (बच्चों मे चश्मे का नंबर क्यों आता हैं ?)

मायोपिया याने निकट द्रष्टि दोष- जिसमे मरीज को दूर की चीजे देखने मे परेशानी होती है मगर पास का सही दिखता है | वर्ष 2000 में, दुनिया की लगभग 25 प्रतिशत आबादी निकट द्रष्टि दोष याने मायोपिया से पीड़ित थी, लेकिन वर्ष 2050 तक विश्वभर में लगभग जनसंख्या के आधे लोग मायोपिया से ग्रस्त होंगे | दुःख की बात तो ये है इसमे से 10 फीसदी लोगों में स्थायी अंधेपन का खतरा हो सकता है, खासकर एशिया के देशों में यह समस्या ज्यादा पायी गयी है | बदलती जीवनशैली, खान पान एवं टेक्नोलॉजी इस बीमारी के बढ़ने की वजहे मानी गयी हैं .शोध में पाया गया है कि जो बच्चे बहुत अधिक समय तक पढ़ने एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में समय बिताते हैं, उनमें निकटद्रष्टिता होने का अधिक खतरा होता है. इसलिए बच्चो को बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें । मायोपिया के प्रकार- ।. साधारण मायोपिया - यह सबसे आम निकट दृष्टि दोष है, जो आंखो की लंबाई पर निर्भर करता है | 2. नॉकचुरनल मायोपिया- इस मे दिन से जब कम रोशनी हो या रात के समय देखने में परेशानी होती है। ३.सुडो मायोपिया - इस तरह का मायोपिया कार्य के दौरान ज्यादा फोकस करने से होता है। यह विडियो गेम या कंप्यूटर पर ज्यादा वक्त बिताने वाले बच्चों या युवाओं में होता है। 4. डिजनेरेटिव मायोपिया - यह मायोपिया समय के साथ गंभीर होता जाता है और बढ़ता जाता है और अंधत्व का भी कारण होता है। 5. इनडूस्ड मायोपिया - यह शरीर में ज्यादा दवाओं के इस्तेमाल या ग्लूकोज की ज्यादा मात्रा की वजह से होता है | मायोपिया के लक्षण दूर की चीजे जैसे सड़क के संकेतों को पढ़ने में कठिनाई, लेकिन पास देखने जैसे पढ़ने और कंप्यूटर देखने मे कोई परेशानी नहीं होती है | बच्चों को स्कूल में ब्लैक बोर्ड पर लिखा हुआ न दिखना, टेलीविजन धुंधला दिखना आंखों का भैंगा होना बार बार आंखो का मसलना या पल्रके झपकना सिरमें एवं आंखो मे दर्द रहना, चक्कर आना, दो दो दिखना, आंखो मे भारीपन और थकान बच्चो का पढ़ाई मे मन नहीं लगना या उनके रिज़ल्ट मे गिरावट गाड़ी चलाने मे और लाइट मे आंखो का चुंधियाना मायोपिया के कारण- (1) अनुवांशिक- आंखो की बनावट एवं जींन्स की वजह से, अक्सर 4 मे से 1 बच्चे को आंखो की समस्याय होती है, अगर दोनों पैरेंट्स को चश्मा है तो 2 मे से 1 बच्चे मे चश्मे की संभावना रहती है (2) बाहरी या पर्यावरण - ज्यादा टी वी, मोबाइल, कम्प्युटर, कम रोशनी मे पढ़ाई एवं खान पान की कमी मायोपिया का उपचार : चश्मों , कॉन्टेक्ट लेंस या रेफरेक्टिव सर्जरी से निकटदर्शिता को ठीक किया जा सकता है । मायोपिया की डिग्री के आधार पर माइनस याने कानकेव ग्लाससेस हर समय पहने दिये जाते है जो स्पष्ट देखने में मदद करते है । बढ़ती उम्र के साथ बच्चो मे यह चश्मे का नंबर आंखो की लंबाई बदलने की वजह से 20 साल तक बढ़ सकता है इसलिए सालाना आंखो की जांच आवश्यक है | 20 साल की उम्र के बाद चश्मे का नंबर स्थिर होने पर रेफरेक्टिव सर्जरी द्वारा चश्मे या कॉनन््टैईक्ट लेंस की आवश्यकता को कम या समाप्त किया जा सकता है मायोपिया को नियंत्रित करना : समय पर जाँच, चश्मे के नियमित सेवन, डॉक्टर के निर्देशों का पाल, डिजिटल उपकरणो से दूरी, घर से बाहर अधिक समय व्यतीत करने के अलावा एपट्रोपिन आई ड्रॉप, ऑर्थोकार्टोलॉजी ("के-ऑर्थो"), मल्टीफ़ोकल या रीजीड गेस परमिएबल्र कॉन्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल और साइन्स की नित नई टेकनोलोजी से मरीज़ो को फायदा मिल सकता है | इसलिए आज ही अपनी, बच्चो की एवं परिवार के सदस्यो की जांच करवाए | विनीता रामनानी, नेत्र रोग विभाग, ग्राउंड फ्लोर बंसल हॉस्पिटल शाहपुरा भोपाल, फ़ोन 07554086000 मो. 9893091671

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