У нас вы можете посмотреть бесплатно रवानी ~ चंदेल क्षत्रियोँ की वंशावली || Genealogy of Rawani/Chandel Rajput Clan || ChandraVansham 🌔 или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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रवानी क्षत्रिय नंद के अत्याचारों से बचते हुए मगध से दक्षिण की ओर चेदी यानी आज के बुंदेलखंड में आकर बसे जहाँ एक समय उनके पूर्वज एवं जरासंध महाराज के दादाश्री, श्री चेदी राज उपरीचर वसु का शासन था, एवं जरासंध के शासनकाल में शिशुपाल ने भी जरासंध जी के नेतृत्व में चेदी की बागडोर सम्हाली थी। चंदेल अपना गोत्र चंद्रायन बतलाते हैं, जो किसी ऋषि से सम्बंध नहीं रखता। चंद्रायन मे दो शब्दों की संधि है चंद्रवंश एवं पलायन यह दो शब्द जुट कर चंद्रायन बनाते हैं जो एक याददाश्त के तौर पर यह गोत्र अपनाया गया था, आज भी चंदेलों को चंदेल न लिखकर उपशाखा के रूप में चंद्रवंशी वंश लिखा जाता है, क्योंकि रवानीयों को आज भी कही कही चंद्रवंशी ही पुकारा जाता है एवं लिखा जाता है। जिस प्रकार 36 कुल मे रवानी न लिख कर चंद्रवंशी लिखा गया है। आज भी जीन चंदेलों को अपना मूल गोत्र भारद्वाज याद है वे अपना गोत्र भारद्वाज ही बतलाते हैं। एवं कई चंदेल तो अपनी प्राचीन कुलदेवी जरा माता का ही पूजन करते हैं। काशी नगरी के विद्वान लेखक श्री गोपीनाथ सिंह जी ने अपनी पुस्तक "रवानी अर्थात चंदेल" में इसका अच्छा वर्णन किया है। इतिहास - अत्याचारों से बचते हुए बुंदेलखंड में बसे रवानी क्षत्रियों मे एक रवानी क्षत्रिय न्ननुक (चंद्रर्वमन) ने सामंत के रूप मे प्रतिहारों के यहां काम किया एवं प्रतिहारों का शासन कमज़ोर पड़ने पर स्वयं स्वतंत्र शासन 8 वीं शताब्दी में घोषित किया, एवं चंदेल वंश की स्थापना की। चन्देल वंश भारत का प्रसिद्ध राजवंश हुआ, जिसने 08वीं से 12वीं शताब्दी तक स्वतंत्र रूप से यमुना और नर्मदा के बीच, बुंदेलखंड तथा उत्तर प्रदेश के दक्षिणी-पश्चिमी भाग पर राज किया। चंदेल वंश के शासकों का बुंदेलखंड के इतिहास में विशेष योगदान रहा है। उन्होंने लगभग चार शताब्दियों तक बुंदेलखंड पर शासन किया। चन्देल शासक न केवल महान विजेता तथा सफल शासक थे, अपितु कला के प्रसार तथा संरक्षण में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। चंदेलों का शासनकाल आमतौर पर बुंदेलखंड के शांति और समृद्धि के काल के रूप में याद किया जाता है। चंदेलकालीन स्थापत्य कला ने समूचे विश्व को प्रभावित किया उस दौरान वास्तुकला तथा मूर्तिकला अपने उत्कर्ष पर थी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं खजुराहो के मंदिर आज भी मौजूद हैं। चंदेल शासन परंपरागत आदर्शों पर आधारित था। यशोवर्मन् के समय तक चंदेल नरेश अपने लिये किसी विशेष उपाधि का प्रयोग नहीं करते थे। धंग ने सर्वप्रथम परमभट्टारक महाराजाधिराज परमेश्वर परममाहेश्वर कालंजराधिपति का विरुद धारण किया। कलचुरि नरेशों के अनुकरण पर परममाहेश्वर श्रीमद्वामदेवपादानुध्यात तथा त्रिकलिंगाधिपति और गाहड़वालों के अनुकरण पर परमभट्टारक इत्यादि समस्त राजावली विराजमान विविधविद्याविचारवाचस्पति और कान्यकुब्जाधिपति का प्रयोग मिलता है। Rawani_Chandel_History #ChandraVanshHistory ................................................................. Our Other Playlist • Плейлист • Плейлист • Плейлист • Плейлист • Плейлист • Плейлист • Плейлист ................................................................. Follow me on social networks Lodhi Reaction - Kshatriya {Facebook Page} / lodhireaction Instagram (Lodhi Rajpoot Vansh) / lodhi_rajpoot_vansh Instagram (Anil Singh Rajput) / the_a_s_rajput Google + https://plus.google.com/u/0/105231460... .................................................................... All the information given in this documentary has been given according to the views of various historians, scholars and litterateurs, which according to their opinion is true. In the video, we will tell you the names of those historians, scholars and litterateurs as well as about their book or book (name and page number) from where we have got this information. In case of any dispute, the jurisdiction will remain Gwalior (Madhya Pradesh). (Lodhi Reaction - Kshatriya) Thank You...