У нас вы можете посмотреть бесплатно हुरहुर या हुलहुल एक अचूक रामबाण औषधि। औषधीय गुणों को समेटे कई बिमारियों के ईलाज में होता है उपयोग। или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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#हुरहुर #औषधीयपौधे हुरहुर बरसात के मौसम में घरों, मैदानी इलाकों, खेत- खलिहानों और जंगलों मे देखा जा सकता है। इस पौधे को हुलहुल और सूर्यभक्त के नाम से भी जाना जाता है। हुरहुर का वानस्पतिक नाम क्लीयोम विस्कोसा है। हुरहुर की पत्तियों के रस की चार बूँदें कान में टपकाने से कान दर्द में अतिशीघ्र आराम मिलता है। डाँग- गुजरात के आदिवासी मानते है कि यह रस बहरेपन में भी काफी फ़ायदा करता है। कान को अच्छी तरह से साफ करके उसके अन्दर यदि हुरहुर के पत्तों का रस डाला जाए तो कान से मवाद बहना ठीक हो जाता है। यदि पत्तियों को कुचलकर किसी सूती कपड़े के सहारे कान के ऊपर बाँध दिया जाए तो कान की सूजन में भी जबरदस्त फ़ायदा होता है। ठीक इसी तरह नाक में सूजन, दर्द या कोई और समस्या हो तो हुरहुर की पत्तियों के रस को टपकाने से तकलीफ़ में राहत मिलती है। हुरहुर की पत्तियों को नारियल तेल के साथ कुचलकर मवाद वाले किसी भी घाव पर लगाया जाए तो मवाद सूख जाता है और घाव में आराम होता है, हलाँकि आदिवासी कहते है कि इस लेप को २ घंटे के बाद साफ़ कर देना चाहिए वर्ना कुछ लोगों को जलन या उस स्थान पर दाने आ जाने की शिकायत होती है। पातालकोट के आदिवासी मानते है कि हुरहुर की जड़ों के रस की कुछ मात्रा (लगभग ५ से १० मिली) सुबह और शाम पिलाने से बुखार के बाद आई कमजोरी या सुस्ती में हितकर होती है। हुरहुर की पत्तियों को नारियल तेल के साथ कुचलकर मवाद वाले किसी भी घाव पर लगाया जाए तो मवाद सूख जाता है और घाव में आराम होता है, हलाँकि आदिवासी कहते है कि इस लेप को २ घंटे के बाद साफ़ कर देना चाहिए वर्ना कुछ लोगों को जलन या उस स्थान पर दाने आ जाने की शिकायत होती है। पातालकोट के आदिवासी मानते है कि हुरहुर की जड़ों के रस की कुछ मात्रा (लगभग ५ से १० मिली) सुबह और शाम पिलाने से बुखार के बाद आई कमजोरी या सुस्ती में हितकर होती है। हमारे इर्द-गिर्द पाए जाने वाले हर एक पौधे का अपना एक खास औषधीय महत्व है और यह बात अलग है कि खाद्यान्नों और फसलों की ज्यादा पैदावार के लिए इन खरपतवारों को उखाड फेंक दिया जाता है। खरपतवारों के औषधीय गुणों की जानकारी हो तो हम इन्हें उखाड़- फेंककर जलाने या जमीन में दबाने के बजाए औषधीय तौर पर उपयोग में ला सकते हैं।