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ऊं नमो गुरुदेवाय नमः,ऊं नमो उस्ताद गुरु कूं,ऊं नमो आदेश गुरू कूं,जमीन आसमान कूं,आदेश पवन पानी कूं,आदेश चन्द्र सूरज कूं,आदेश नव नाथ चौरासी सिद्ध कूं,आदेश गूंगी देवी,बहरी देवी,लूली देवी पांगुली देवी,आकाश देवी,पाताल देवी,उलूकणी देवी,पूंकणी देवी,टुंकटुकी देवी,आटी देवी,चन्द्रगेहली देवी,हनुमान जती अंजनी का पूत,पवन का न्याती,वज्र का कांच वज्र का लंगोटा जयूं चले ज्यूं चल,हनुमान जती की गदा चले ज्यूं चल,राजा रामचन्द्र का बाण चले ज्यं चल,गंगा जमना का नीर चले ज्यूं चल,दिल्ली आगरा का गैलो चले ज्यूं चल,कुम्हार को चाक चले ज्यूं चल,गुरुकी शक्ति हमारी भक्ति चलो मंत्र ईश्वरो वाचा। यह मूल मंत्र है। जहां बीजासणी देवी एवं योगिनी एवं रुणैचे की पूजा होती है,वहां के निवासी इनकी दुहाई जोड़कर मंत्र का प्रयोग करते हैं। आप शनिवार को उतारा करें और रविवार से झाड़ा दें। उतारे में सात पाव आटे का चूरमा बनावें,उसमें घी ,गुड़ खोया मिलावें,घी से चूरमा तर कर दें। हनुमान जी को पहले सवासेर का रोट चढ़ावें,सात मिट्टी के छोटे कलश लें,उनमें काजल व कुमकुम की बिन्दी लगावें,चूरमा सातों कलशों में भरें,प्रत्येक कलश में गरी का गोला, नींबू,सुपाड़ी,काजल ,कुमकुम,इलायची व लौंग छाड़ छरीला की पुड़िया रखें। आशापुरी धूप जलायें, पतली व छोटी लकड़ियों से कलावा बांधकर एक पालना बनायें,उस पर एक छोटी गद्दी बिछा दें ,जहां खेजड़ी का पौधा है वहां रोगी के ऊपर कलशों का उतारा कर खेजड़ी पेड़ की जड़ के पास रखें,जहां यह पौधा नहीं है तो उतारा करके पीपल के पेड़ के नीचे रखें तथा पालना पेड़ की डाली में बांध दें।एक नया घड़ा लाकर खेजड़ी/पीपल को रोज सींचें।उतारा के पूर्व एक नारियल मावड़िया बायोसा अथवा अपने क्षेत्र की प्रसिद्ध देवी मंदिर में चढ़ाकर गिरी बच्चों में बांट दें।