У нас вы можете посмотреть бесплатно विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग | Bhuteshwar Mahadev Gariaband | | 100km in 10min | RAIPUR или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
Если кнопки скачивания не
загрузились
НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием видео, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу
страницы.
Спасибо за использование сервиса ClipSaver.ru
#firstvlog #chhattisgarhTourism #Motovlogger #BhuteshwarMahadev #Gariaband #TouristSpotsinChhattisgarh छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के मरौदा गांव में घने जंगलों बीच एक प्राकृतिक शिवलिंग है जो की भूतेश्वर नाथ के नाम से प्रसिद्ध है। यह विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग है। सबसे बड़ी आश्चर्य की बात यह है की यह शिवलिंग अपने आप बड़ा और मोटा होता जा रहा है। यह जमीन से लगभग 18 फीट उंचा एवं 20 फीट गोलाकार है। राजस्व विभाग द्वारा प्रतिवर्ष इसकी उचांई नापी जाती है जो लगातार 6 से 8 इंच बढ़ रही है। इस शिवलिंग के बारे में बताया जाता है कि आज से सैकड़ो वर्ष पूर्व जमींदारी प्रथा के समय पारागांव निवासी शोभासिंह जमींदार की यहां पर खेती- बाडी थी। शोभा सिंह शाम को जब अपने खेत मे घुमने जाता था तो उसे खेत के पास एक विशेष आकृति नुमा टीले से सांड के हुंकारने (चिल्लानें) एवं शेर के दहाडनें की आवाज आती थी। अनेक बार इस आवाज को सुनने के बाद शोभासिंह ने उक्त बात ग्रामवासियों को बताई। ग्राम वासियों ने भी शाम को उक्त आवाजे अनेक बार सुनी। तथा आवाज करने वाले सांड अथवा शेर की आसपास खोज की। परतु दूर दूर तक किसी जानवर के नहीं मिलने पर इस टीले के प्रति लोगो की श्रद्वा बढऩे लगी। और लोग इस टीले को शिवलिंग के रूप में मानने लगे। इस बारे में पारा गावं के लोग बताते है कि पहले यह टीला छोटे रूप में था। धीरे धीरे इसकी उचाई एवं गोलाई बढती गई। जो आज भी जारी है। इस शिवलिंग में प्रकृति प्रदत जललहरी भी दिखाई देती है। जो धीरे- धीरे जमीन के उपर आती जा रही है। यहीं स्थान भुतेश्वरनाथ, भकुरा महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस शिवलिंग का पौराणिक महत्व सन 1959 में गोरखपुर से प्रकाषित धार्मिक पत्रिका कल्याण के वार्षिक अंक के पृष्ट क्रमांक 408 में उल्लेखित है जिसमें इसे विश्व का एक अनोखा महान एवं विशाल शिवलिंग बताया गया है। यह भी किंवदंती है कि इनकी पूजा बिंदनवागढ़ के छुरा नरेश के पूर्वजों द्वारा की जाती थी। दंत कथा है कि भगवान शंकर-पार्वती ऋषि मुनियों के आश्रमों में भ्रमण करने आए थे, तभी यहां शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए। घने जंगलों के बीच स्थित होने के बावजूद यहां पर सावन में कावडिय़ों का हुजूम उमड़ता है। इसके अलावा शिवरात्री पर भी यहां विशाल मेला लगता है।.