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रावण के पुतले बनाते मुस्लिम कारीगर हाथ हिन्दू-मुस्लिम एकता को दर्शाते हुए मुस्लिम कलाकार दशहरा उत्सव के लिए रावण के पुतलों को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं. ये कलाकार दशहरे के मौके पर जलाये जाने वाले रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों को तैयार करने में जोरशोर से लगे हैं.हर साल यहां रावण के पुतले तैयार करने के लिए उत्तर प्रदेश से मुस्लिम कलाकार आते हैं. यह परंपरा पिछले कई दशकों से लगातार जारी है. जिला प्रशासन की ओर से विजय दशमी के लिए तैयारियां की जा रही हैं। शहर में जलाए जाने वाले रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों को मुसलमान भाई बना रहे हैं। मंदिर में कई साल से इन पुतलों को बनाकर वे आपसी सौहार्द का संदेश भी दे रहे हैं। मुस्लिम कारीगर इन पुतलों को बना रहे हैं। मुख्य कारीगर ने बताया कि उनका परिवार कई साल से यह कार्य कर रहा है। पहले उनके अब्बू पुतले बनाते थे और अब उन्होंने इस जिम्मेदारी को संभाला है। वे रावण दहन के लिए पुतले बना रहे हैं। उनका कहना है कि परिवार के सभी सदस्य पुतले बनाने के कारोबार से जुड़े हैं। अन्य कारीगरों का कहना है कि यह हुनर हमें अल्लाह ने बख्शा है। हम इसे दो धर्मों के लोगों को जोड़ने के लिए इस्तेमाल करते आ रहे हैं। बेशक हम मुस्लिम समुदाय से हैं, लेकिन रावण के पुतले बनाने के लिए जो नियम हैं उन सभी का पालन करते हैं। यह केवल धर्म ही नहीं, दिलों को जोड़ने का काम भी कारीगरी करती है। हमारे पूर्वजों को भी यह ही सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि यहां पर दशहरे के लिए तैयारियां काफी पहले शुरू कर दी थीं। उन्हें भी साल भर यहां आकर पुलते बनाने का इंतजार रहता है।