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सरस्वती नदी की कहानी । how Saraswati river is disappeared । mystery of Saraswati river in hindi जिस नदी का पानी पीकर ऋषियों ने वेदों की रचना की ? जिस नदी को वेदों में सबसे पवित्र नदी माना जाता है ? इस नदी का महाभारत और रामायण में काफी वर्णन मिलता है । लेकिन यह नदी आखिर कहां विलुप्त हो गयी ? किस श्राप के कारण यह नदी अब धरातल पर नहीं बहती है ? कुछ लोगों का कहना है की यह नदी जमीन के अंदर होकर बहती है ? तो कोई कहता है की यह नदी आसमान से होकर बहती है । जानेंगें ऐसी ही एक गुमनाम नदी के बारे में । जिसका रहस्य आपको सोचने पर मजबूर कर देगा । जी , हां हम बात कर रहे हैं , सरस्वती नदी की । शास्त्रों की मानें तो सरस्वती नदी एक श्राप के कारण विलुप्त हो गयी और अब दिखाई नहीं देती है। वहीं एक और कथा के अनुसार इस नदी को प्राप्त एक वरदान के कारण यह विलुप्त होकर भी अस्तित्व में हैं। उसी वरदान की वजह से प्रयाग में गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन माना जाता है, जबकि सरस्वती नदी कभी किसी को दिखाई नहीं देती है । यदि आप भी जानना चाहते हैं , सरस्वती नदी के चौंकाने वाले रहस्य के बारे में , तो प्लीज इस विडियो को लाइक करके चैनल को सब्सक्राइब अवश्य करें । ताकी ऐसे सनातन धर्म से जुड़े वीडियोस का नाटिफिकेशन आपको सबसे पहले मिल सके । तो चलिये दोस्तों बिना टाइम को बेस्ट किये विडियो को स्टार्ट करते हैं। सबसे पहले जानते हैं की इस नदी का नाम सरस्वती नदी कैसे पड़ा ? तो इसके पीछे ऋग्वेद में यह कहा गया हैं कि कला,संस्कृति, भाषा, ज्ञान विज्ञान जन्म एवम वेदों की रचना इस नदी के तट पर ही की गई । सरस्वती ज्ञान एवम कला की देवी हैं | इसलिये इसे सरस्वती नदी कहा गया हैं । महाभारत के कुछ पृष्ठों में इस नदी का उल्लेख है । जो हरियाणा के सिरसा नामक एक कस्बे में कहीं विलुप्त हो गई थी। भौगोलिक इतिहास और पुरातात्विक खोजों से पता चलता है कि राजस्थान हमेशा से एक शुष्क स्थान नहीं था, बल्कि एक समय यहां पर हरा-भरा क्षेत्र हुआ करता था । जिसमें कभी एक बहुत बड़ी नदी प्रवाहित होती थी , जिसके कारण इस क्षेत्र के आसपास मोहनजोदड़ो और हड़प्पा सभ्यता की स्थापना हुई थी। महाभारत में वर्णित राजा पुरुरवा सरस्वती नदी के तट के पास ही अपनी होने वाली पत्नी उर्वशी से मिले थे। महाभारत का युद्ध न केवल सरस्वती नदी के पास लड़ा गया था बल्कि उसे सरस्वती नदी के तटों के पास ही बैठकर लिखा गया था । हिंदू पौराणिक कथाओं की मानें तो सरस्वती नदी, देवी सरस्वती का ही एक रूप थी। माता सरस्वती को ज्ञान, संगीत और रचनात्मकता की देवी के रूप में पूजा जाता है, इसी वजह से इस नदी का भी महत्व बहुत ज्यादा है। कई संस्कृत ग्रंथों में उल्लेख है कि भगवान शिव और देवी पार्वती की संतानों में से एक कार्तिकेय को सरस्वती नदी के तट के पास ,देव सेना का रक्षक नियुक्त किया गया था। वहीं भगवान विष्णु के एक अवतार परशुराम ने अत्याचारी राक्षस की हत्या के पाप का पश्चाताप करने के लिए सरस्वती नदी के पानी में स्नान किया था, जिससे उन्हें पापों से मुक्ति मिली थी। शास्त्रों में इस बात का जिक्र है कि एक बार जब वेदव्यास सरस्वती नदी के तट पर भगवान गणेश को महाभारत की कथा सुना रहे थे। उस समय ऋषि ने नदी को धीरे बहने का अनुरोध किया ताकि वह पाठ पूरा कर सके। शक्तिशाली सरस्वती नदी ने उनकी बात नहीं मानी और अपने तीव्र प्रवाह में बहती रही। नदी के इस व्यवहार से क्रोधित होकर, भगवान गणेश ने नदी को श्राप दिया कि वह एक दिन विलुप्त ही जाएगी। शायद एक वजह यह है कि नदी आज अपना अस्तित्व खो चुकी है। एक अन्य कथा की मानें तो माता सरस्वती का जन्म भगवान ब्रह्मा के सिर से हुआ था, उन्होंने ब्रह्मांड का निर्माण किया था। वह उन सबसे खूबसूरत स्त्रियों में से एक थीं, जिन्हें भगवान ब्रह्मा ने देखा था। उनकी सुंदरता को देखते हुए उन्होंने सरस्वती जी से विवाह का प्रस्ताव रखा। उस समय माता सरस्वती उनकी इस इच्छा से सहमत नहीं हुईं और नदी के रूप में जमीन के नीचे बहने लगी। दोस्तों ,अधिकतर इतिहासकार भारत के इतिहास की पुख्ता शुरुआत सिंधु नदी घाटी की मोहनजोदड़ो और हड़प्पाकालीन सभ्यता से मानते थे लेकिन अब जबसे सरस्वती नदी की खोज हुई है, भारत का इतिहास बदलने लगा है। अब माना जाता है कि , सरस्वती नदी की सभ्यता , सिंधु घाटी की सभ्यता से भी कई हजार वर्ष पुरानी है। Copyright Disclaimer under Section 107 of the copyright act 1976, allowance is made for fair use for purposes such as criticism, comment, news reporting, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Nonprofit, educational or personal use tips the balance in favour of fair use. Photos with the videos remain the property of their respectfully owners. If any of photos is featured in my video if want to remove or want credit than kindly contact me through mail which is given in my channel about section Disclaimer : Our objective is not to promote any kind of damned story and superstitious. This video is for your entertainment only. The information given in the video is according to the information received on the Internet. We do not confirm its truth in any way. This video is for entertainment only and only. And our motive is not to hurt anyone's feelings. #saraswati #saraswatiriver #rahasyaduniyahindi #rahasya #hindu #sanatam_dharam