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🧔🏻♂️ आचार्य प्रशांत से मिलना चाहते हैं? लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: https://acharyaprashant.org/hi/enquir... 📚 आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं? फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?... वीडियो जानकारी: 24.02.2024, संत सरिता, ग्रेटर नोएडा Title : झीनी माया सबको खाय || आचार्य प्रशांत, कबीर साहब पर (2024) 📋 Video Chapters: 0:00 - Intro 0:04 - अंजन और निरंजन का अर्थ और अंतर 8:16 - झीनी और मोटी माया का भेद 16:22 - तमोगुण, रजोगुण और सतोगुण 27:10 - संत कबीर ने किस तरह के लोगों को सावधान किया? 37:49 - क़ैदी की कहानी और बंधन की समझ 44:26 - नाम की माया को समझें 49:23 - शब्दों की माया और अंजन 55:56 - विवेक की आवश्यकता कब पड़ती है? 1:00:31 - अध्यात्म में “बाप” का क्या अर्थ है? 1:09:48 - अष्टावक्र और अहंकार की दिशा में ग़ुलामी का अर्थ 1:20:07 - ज्ञानी और अज्ञानी के अहंकार में अंतर 1:26:46 - क्या त्यागना है? 1:36:03 - जैसे हम, वैसा हमारा संसार 1:42:25 - रोज़मर्रा का जीवन और आत्म-अवलोकन 1:54:09 - गीता और संतों की संगति का लाभ 2:06:19 - नकार का महत्व 2:28:34 - भजन 2:35:20 - समापन विवरण: इस वीडियो में आचार्य प्रशांत जी कबीर साहब के भजन "राम निरंजन न्यारा रे" का अर्थ समझा रहे हैं। शुरुआत में आचार्य जी ने अंजन और निरंजन का भेद समझाया है। आचार्य जी ने बताया कि अंजन वह क्षेत्र है, जो हमारी इन्द्रियों से जुड़ा है और जो हर वह वस्तु या अनुभव है जिसे हम देख सकते हैं, सुन सकते हैं, या महसूस कर सकते हैं। वहीं, निरंजन वह अद्वितीय स्थिति है, जहाँ कोई भेद नहीं रहता, और केवल अद्वैत और निर्विकल्पता है। आचार्य जी ने झीनी माया की चर्चा करते हुए बताया कि यह माया अत्यधिक सूक्ष्म होती है, जिससे हम आसानी से प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जब हम धर्म और ज्ञान की दिशा में आगे बढ़ते हैं, तो हमें सतर्क रहना चाहिए, और निरंतर अंजन और निरंजन का भेद समझते रहना होगा। 🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर: https://open.spotify.com/show/3f0KFwe संगीत: मिलिंद दाते ~~~~~