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एमपी के इस रेलवे स्टेशन पर पहली बार आई ट्रेन देखने उमड़े लोग indian railway: 130 किमी घंटे की रफ्तार से दौड़ी सीआरएस स्पेशल ट्रेन, बड़ी संख्या में आसपास के ग्रामीण देखने पहुंचे अरे या तो वा है माल गाड़ी, नी-नी डब्बा भी है… कम डिब्बा ही है पर आ गी। वाह यार मजा आ ग्या। अब कम पैसा में कोटा तक चल जांगा। मजा ला दिया यार रेल ने तो। स्थानीय मालवी भाषा में यह वार्तालाप हो रही थी गुरुवार को राजगढ़ जिले के नए खिलचीपुर स्टेशन पर। यहां पहली बार आई ट्रेन को देखने लोगों की भीड़ जमा हो गई। कोई वीडियो बना रहा था तो कोई ट्रेन के साथ सेल्फी ले रहा था। आपस में बातें कर रहे थे कि पहली बार हमारे यहां ट्रेन आई है। लंबे समय के इंतजार और आजादी के बाद पहली बार आई ट्रेन को देखने और उसकी अगवानी करने न सिर्फ खिलचीपुर बल्कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से काफी लोग पहुंचे। उन्होंने ट्रेन के आगमन को उत्सव के तौर पर मनाया। दो घंटे की होगी बचत बताया जा रहा है कि रामगंजमंडी भोपाल रेलवे लाइन पांच जिलों से होकर गुजरेगी, जिसमें मध्यप्रदेश और राजस्थान के जिले भी सामिल हैं। यह ट्रेन भोपाल, सीहोर, राजगढ़, खिलचीपुर, झालावाड़ा, कोटा की तरफ जाएगी। रामगंज मंडी से भोपाल रेलवे लाइन बनने के बाद सीधी ट्रेनें चल सकेंगी और 115 किमी की बचत होगी। इससे लोगों का भी समय बचेगा। फिलहाल जो ट्रेनें चल रही हैं वे बीना रेलवे लाइन से बारां, या सीहोर, उज्जैन और नागदा होते हुए जाती है। इससे यात्रियों का काफी समय लगता है। 130 किमी की रफ्तार से दौड़ी ट्रॉयल ट्रेन मुंबई से 10 कोच की स्पेशल गाड़ी से खिलचीपुर आए रेल संरक्षा आयुक्त मनोज अरोड़ा ने करीब पांच घंटे निरीक्षण किया। वे पहले नया गांव पहुंचे, फिर 22 किमी के खिलचीपुर तक के ट्रैक पर उनकी गाड़ी ने 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रॉयल किया। पांच घंटे के निरीक्षण के दौरान उन्होंने तकनीकि और सुरक्षा संबंधी बारीकियां जांचीं। 130 किमी की रफ्तार की रिपोर्ट उन्होंने बनाई है, जो शुक्रवार को सौंपी जाएगी। अरोड़ा के अनुसार ट्रैक ओके है, तकनीकी और सुरक्षा के मापदंडों पर यह खरा है। उनकी 10 कोच की ट्रेन में कोटा मंडल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी रेलवे के मौजूद रहे। जिनमें सीईओ एच. एस. हाशमी, डीआरएम कोटा अनिल कारला, एसएनटीसी, एसएनटी, आईओडब्ल्यू सहित निर्माण विभाग के अफसर साथ रहे। एक स्पेशल कोच सीआरएस का था बाकि में शेष रेलवेकर्मी सवार थे। ट्रेनें मार्च के बाद ही चलेंगी रेलवे कोटा मंडल के डिप्टी चीफ इंजीनियर गौरव मिश्रा ने बताया कि वर्तमान में हमें ओके रिपोर्ट मिली है। हालांकि अभी इलेक्ट्रिफिकेशन का काम शेष है, जिसे अगले 20 दिन में पूरा किया जाएगा। सीआरएस का निरीक्षण तकनीकी और सुरक्षा मापदंडों के लिए होता है, जिसे पूरा कर लिया गया है। वहीं, फिलहाल ट्रेनें चालू नहीं होंगी, इसके लिए पूरी रिपोर्ट बनाकर रेलवे को सौंपी जाना होती है। रेलवे अपने स्तर पर इसकी स्टडी करती है और उसके बाद ही ट्रेनों का संचालन सुचारू किया जाएगा। कोटा:रामगंजमंडी भोपाल रेल लाइन पर घाटोली तक ट्रेन का संचालन किया जा रहा है. इसके आगे खिलचीपुर तक रेलवे ट्रैक पर निर्माण का कार्य पूरा हो गया था. रेलवे के संरक्षण आयुक्त मनोज अरोड़ा ने गुरुवार को इसका निरीक्षण किया. यह निरीक्षण नयागांवपुरा कुमारा व खिलचीपुर क्षेत्र में किया गया. इस क्षेत्र की दूरी 22.32 किलोमीटर है. इसमें ट्रेन को 130 गति से दौड़ा कर ट्रायल रन किया गया. सीआरएस अरोड़ा के साथ कोटा के डीआरएम अनिल कालरा ने रेल लाइन पर नए बने मोटर ट्रॉली व खिलचीपुर स्टेशन यार्ड निरीक्षण किया. इस दौरान मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण ) एम हाशमी, मुख्य परियोजना प्रबंधक विजय पांडे, प्रमुख मुख्य सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियर रामनेंद्र निगम सहित कई अधिकारी मौजूद रहे.कोटा के सीनियर डीसीएम सौरभ जैन ने बताया कि रामगंजमंडी भोपाल रेल लाइन में 276 किलोमीटर का एरिया है. इस पर 3335 करोड़ रुपए से निर्माण करवाया जा रहा है. कोटा रेल मंडल के क्षेत्र में रामगंज मंडी से ब्यावरा तक 165 किलोमीटर का क्षेत्र है. इसमें रामगंज मंडी से नयागांवपुरा कुमार तक निर्माण हो गया है. इस प्रकार 126 किलोमीटर तक निर्माण हो गया है. शेष 39 किलोमीटर में इस वर्ष में ही निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है. कोटा के इस नए स्टेशन पर 2 साल बाद भी नहीं बढ़ी ट्रेनें, कैसे कम होगा जंक्शन का यात्री भार ?2 घंटे की होगी बचत: सीनियर डीसीएम जैन ने बताया कि रामगंजमंडी भोपाल रेल लाइन में राजस्थान और मध्य प्रदेश के पांच जिले में होकर गुजर रहे है. इनमें कोटा, झालावाड़, राजगढ़, सीहोर और भोपाल शामिल है. रामगंज मंडी से भोपाल रेल लाइन बन जाने के बाद सीधी ट्रेन जा सकेगी और करीब 115 किलोमीटर की बचत होगी. इसमें काफी समय भी बचेगा. वर्तमान में ट्रेन नागदा, उज्जैन व सीहोर या फिर बारां- बीना रेल लाइन से होकर गुजरती है.कालीसिंध थर्मल प्लांट को भी होगा फायदा: झालावाड़ के कालीसिंध थर्मल प्लांट में भी कोयले की ढुलाई में करीब 42 किलोमीटर की कमी आएगी. वर्तमान में यह रुठियाई कोटा रामगंजमंडी होकर आती है. यह रूट 257 किलोमीटर पड़ता है, लेकिन रुठियाई ब्यावरा झालावाड़ होकर यह 215 किलोमीटर ही पड़ेगा.