У нас вы можете посмотреть бесплатно शक्तिपीठ माया देवी मंदिर | माँ शक्ति के 5 स्वरूपों के दर्शन | हरिद्वार उत्तराखंड | 4K | दर्शन 🙏 или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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जय माता दी!! आप सभी का हमारे कार्यक्रम दर्शन में हार्दिक अभिनंदन. भक्तो आपने माँ शक्ति के अनेक रूपों के दर्शन कर चुके होंगे. पर आज आज हम माँ के ऐसे स्वरुप के दर्शन कराने जा रहे हैं. जहाँ माँ एक साथ ५ स्वरूपों में दर्शन देती हैं, भक्तों माता शक्ति का ये मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, एक ऐसा दिव्य मंदिर जहाँ आज भी माँ शक्ति अपनी पूर्णतः विराजमान है, यहाँ माता के भिन्न-भिन्न स्वरुप उन की शक्ति, ऐश्वर्य, माता की करुणा, भक्त वत्सलता, और शौर्य के प्रतीक हैं, तो आइये दर्शन करते हैं सिद्ध पीठ "माया देवी मंदिर" के। मंदिर के बारे में: उत्तराखंड के पवित्र पौराणिक धार्मिक स्थल हरिद्वार में बिरला घाट पर स्थित है "माया देवी मंदिर" भक्तों ये माता के 51 शक्तिपीठों में प्रथम पीठ भी माना जाता है, कहा जाता है कि यहाँ माँ सती की नाभि गिरी थी, इस मंदिर की विशेषता है कि यहाँ माँ शक्ति के 5 स्वरूपों के एक साथ दर्शन होते हैं, यहाँ से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर ही वो स्थान है जहाँ माँ सती के पिता दक्ष प्रजापति ने यज्ञ किया था, जिसमें माँ सती ने अपने शरीर की आहुति दी थी। भक्तों, ये एक बहुत ही दिव्य मंदिर है। मंदिर का इतिहास: हरिद्वार में स्थित माया देवी मंदिर के इस प्रसिद्ध धार्मिक केंद्र की स्थापना के विषय में माना जाता है की इसकी स्थापना ११ वि शताब्दी से भी पूर्व की गई थी, अतः मंदिर और इसमें विराजित माँ माया देवी तो यहाँ सतयुग से विराजमान हैं पौराणिक मान्यता अनुसार, यह स्थान हरिद्वार में स्थित तीन सिद्ध पीठ मंदिरों में से एक है, "माया देवी सिद्ध शक्ति पीठ मंदिर" के अलावा हरिद्वार में पहला "चंडी देवी मंदिर" और दूसरा "मनसा देवी मंदिर" सिद्ध पीठ हैं, माँ माया देवी को पवित्र धाम हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। भक्तों मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार - जब प्रजापति दक्ष ने एक विशाल यग्य का आयोजन किया था तो यज्ञ में भगवान शिव जी को आमंत्रित नहीं किया था. माता सती बिना अपने पिता के आमंत्रण के ही अपने पति भगवान शिव के मना करने पर भी अपने पिता दक्ष के यज्ञ में गयीं, पर जब उन्होंने वहां अपने पिता दक्ष द्वारा भगवान् भोलेनाथ का अपमान होते देखा, तो सती ये सहन न कर सकी और देवी सती ने अपने आप को यज्ञ की अग्नि में समर्पित कर दिया, जब भगवान शिव को ये ज्ञात हुआ तो भगवान शिव के गण ने दक्ष का सिर काटकर उनकी सेना सहित नष्ट कर दिया और भगवान् शिव ने देवी सती को यज्ञ से उठाकर संसार भर में क्रोध में तांडव करना प्रारम्भ कर दिया जिससे प्रलय आरम्भ हो गया. भगवान् शिव को इस वियोग से निकालने के लिए भगवान् विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र देवी सती के शरीर पर चलाया. जिससे माँ सती के शरीर के अंग, आभूषण एवं वस्त्र जिस जिस स्थान पर भी गिरे वो स्थान शक्ति पीठ बन गए, भक्तो जहां आज “माया देवी मंदिर” है मान्यता है यहाँ माँ सती की नाभि गिरी थी , इसलिए ये “माया देवी मंदिर” भी एक शक्ति पीठ है। जिसको कहीं कहीं प्रथम शक्तिपीठ भी माना जाता है. मंदिर का गर्भग्रह: भक्तों, माया देवी मंदिर का परिसर बहुत ही साधारण होते हुए भी इस मंदिर की प्रसिद्धि माँ माया देवी का प्रताप है, मंदिर का प्रवेश द्वार बहुत ही सुन्दर है एक ओर हनुमान जी और दूसरी ओर भैरव बाबा विराजमान हैं, मंदिर में प्रवेश करते ही सामने गर्भग्रह में मध्य में मंदिर की अधिष्ठात्री देवी माँ माया देवी के दर्शन होते हैं, जिनके एक और माँ काली विराजमान हैं तथा दूसरी ओर माँ कामख्या विराजित हैं. साथ ही माँ तारा देवी और माँ दुर्गा देवी भी विराजित हैं, भक्तों यहाँ माता की उपासना पंचदेवी स्वरूप में होती है, कहते हैं पहले यहाँ माता की प्राचीन पिंडियाँ ही थीं. लगभग दो से ढाई सौ वर्ष पूर्व माता की मूर्तियों को यहाँ स्थापित कर उनकी प्राण प्रतिष्ठा की गयी. मंदिर की परिक्रमा करने पर अन्य देवी देवताओं के साथ बहुत से शिवलिंग भी स्थापित किये गएँ हैं. श्रद्धालु इन सभी के दर्शन बड़े ही श्रद्धा भाव से करते हैं. केसरी रंग से रंगा ये मंदिर ऐसा प्रतीत होता है जैसे केसरी रंग का माँ का चोला हो , माँ के दर्शन करते ही मन में अद्भुत की शांति अनुभूति एवं शक्ति का संचार होने लगता है, यहीं मंदिर के बाहर एक बरगद का वृक्ष है जिसकी पूजा और छाया भी मन को शांत करने वाली है, माया देवी मंदिर में दर्शन और पूजन करने वाले सभी श्रद्धालु भक्तो की मनोकामनाएं माँ अवश्य पूर्ण करती हैं। अन्य देव मूर्तियां: भक्तों मुख्य देवियों के साथ ही मंदिर में भगवान् भोलेनाथ के १२ ज्योतिर्लिंगों की स्थापना भी की गयी है, साथ ही मंदिर परिसर में कुछ ही दूरी पर महाराज दत्तात्रेय जी मंदिर एवं अष्ट भैरव बाबा का मंदिर भी विराजमान है, इनके साथ ही झूले में विराजित बाल गोपाल जी के स्वरुप के दर्शन भी मंदिर परिसर में होते हैं. माँ माया देवी के दर्शन और पूजन करने वाले सभी श्रद्धालु अन्य सभी देव मूर्तियों की भी उपासना और पूजा पूर्ण श्रद्धा से करते हैं। अन्य दर्शनीय स्थल: भक्तो यदि आप "माया देवी मंदिर" के दर्शनों के लिए आयें तो, आस-पास कई अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं जहाँ आप दर्शन कर सकते हैं, जिनमें मनसा देवी मंदिर, हर की पौड़ी, गंगा आरती, शांति कुंज, चंडी देवी, पतंजलि योगपीठ, माँ आनंदमई आश्रम, दक्षेश्वर महादेव मंदिर, भारत माता मंदिर ,सप्त ऋषि आश्रम और तुलसी मानस मंदिर प्रमुख हैं । श्रेय: लेखक: याचना अवस्थी Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. #devotional #temple #bhakti #mayadevimandir #hinduism #mata #tilak #darshan #travel #vlogs