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रघुराम और जानकी शादी करके घर आ जाते हैं। अम्बिका उन्हें देख कर खुश नहीं होती और क्रोध में वहाँ से चली जाती है। अम्बिका अपने पति एकनाथ को कहती है की वो रघुराम को कह दे की वो अपनी पत्नी को लेकर इस घर से चला जाए। एक नाथ अम्बिका को समझता है लेकिन अम्बिका का क्रोध शांत नहीं होता। जानकी अपने परिवार के लिए खाना बनाती है लेकिन अम्बिका उस खाने को भिखारियों को बाँटने के लिए कह देती है और जानकी को अपनी रसोई में भी जाने से मना कर देती है। रघुराम की माँ उसको दूसरी शादी करने के लिए कहती है। अम्बिका जानकी को बहुत बुरा भला कहती है और उसे कहती है की वो जितने पैसे चाहती है वो उसे देगी लेकिन वो रघुराम को छोड़कर वापस अपने घर चली जाए। जानकी यह सब सुनकर बहुत आहत हो जाती है और अपने प्राण देने के लिए कुएँ में कूदने जाती है तो वहाँ साई बाबा एक फ़क़ीर के रूप में आकर रोक देते हैं और समझाते हैं की आत्महत्या कायरता है उसे अपने आप पर भरोसा करना चाहिए और आने वाली हर चुनौती का सामना डट कर करे। जानकी उनसे क्षमा माँगती है और वादा करती है की अब वो ऐसा नहीं करेगी और हर मुश्किल का सामना करेगी। जानकी के सामने से फ़क़ीर बाबा ग़ायब हो जाते हैं। जानकी समझ जाती है की वो साई बाबा ही थे। जानकी के माता पिता उस से मिलने के लिए आते हैं तो वो अपने नौकर को रघुराम को बुलाने के लिए भेजती है। जानकी अपने माता पिता को बैठाती है और पानी देने ही वाली थी की अम्बिका आ जाती है और उसे एक थप्पड़ मार देती है। अम्बिका जानकी के माता पिता को भी भिखारी कह कर अपमानित करती है। जानकी के माता पिता उसकी हालत देख कर उसे अपने साथ वापस चलने को कहते हैं लेकिन जानकी उनके साथ चलने से मना कर देती है। जानकी के माता पिता चले जाते है तो जानकी उनके पीछे जाती है लेकिन जब वो वापस आती है तो अम्बिका घर के दरवाज़े बंद करा देती है और जानकी को बाहर निकल देती है। रघुराम अपने सास ससुर से मिलने आता है तो घर में जानकी और अपने सास ससुर को नहीं पाता। रघुराम जानकी को घर में खोजता है लेकिन वो नहीं मिलती तो वो बाहर आता है तो जानकी और पौना को बाहर बैठा देखता है। जानकी से रघुराम पूछता है की उसकी माँ ने उसके माता पिता का अपमान तो नहीं किया तो जानकी उस झूठ बोल देती है की उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया तो रघुराम समझ जाता है की जानकी झूठ बोल रही है।