У нас вы можете посмотреть бесплатно Janmashtami Kirtan Vraj Bhayo| Part 7| व्रज भयो महरिके पूत विवरण | Go. Shri Vallabhrayji Maharajshri или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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"सुनि धाई सबै व्रजनारी सहज शृंगार किए तन पहिरे नौतन चीर काजर नैन दिए कसी कंचुकी तिलक लिलाट शोभित हार हिये कर कंकण कंचन थार मंगल साजि लिए " "तासां निवेदनीय: आत्मैव आत्मानमेव भूषयांचकृ: वस्त्राकल्पजनादिभि:" - श्रीमद् भागवत सुबिधिनिजी के आधार पर कीर्तन की इस तूक का विवेचन आप श्री द्वारा किया गया है| जिसका श्रीवल्लभविठ्ठल चरणानुरगी जन आनंद लेंगे | श्री गोपिजन गंध रूप स्पर्श शब्द श्री ठकुरजी को निवेदित करेंगे| "व्रज भयो महरिके पूत" इस जन्माष्टमी की मुख्य बधाई के कीर्तन का विवरण आपश्री षष्ठपीठाधीश्वर गो. श्रीवल्लभरायजी महाराजश्री ने अपने श्रीमुख से किया है। इस अति दिव्य एवं अलौकिक विवरण को प्रकट करने की आज्ञा आपश्री ने मात्र हम वल्लभीय वैष्णवों पर अनुग्रह करने के लिए ही की है। हम आपके इस अनुग्रह का ऋण कभी नही चुका सकते। श्रीमद्वल्लभपादपद्मकृपया श्रीसूरदासोदितं पद्यं यत्र सुबोधिनीसुविवृतेर्दिव्याशयो राजते l ख्यातं नन्द महोत्सवे - "व्रज भयो" - तद्वर्णनायाડડश्रये स्वाचार्यानहमाशु "वल्लभ"जन: स्वान्त: सुखायास्त्विदम् ।। Vivechan of Vraj Bhayo Kirtan part 7. The badi badhai of Janmashtami