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Song: Taanu (Traditional Folk Songs) Album: PARAMPARA Singer: Chiraag Jyoti Majta Music: Surender Negi Direct Album Link: http://musichunterz.in/albview.php?al... कहानी ----- कि सबसे पहले हम गाँव 'झ़ड़ग' का व्याख्यान करते हुए 'तानू सारटा' के जीवन को सुनते व गाते हैं । तानू की माता को यहाँ शेरनी कहते हुए व उसके जन्म पर गाँव में ढोल,नगाड़ा व करनाली से नबद (देवी देवताओं के इस्तक़बाल में बजाए जाने वाले बाज) से तानू का स्वागत किया गया व गाँव में ख़ुशियाँ मनाई गई । पिता 'रुक़म' का युवराज तानू बचपन से ही ह्रिशट-पुष्ट रहा होगा तभी उसे 'ओब्रै रा मौंइशा' कहा गया जिसका मतलब है के उस ज़माने में बच्चों को मकान के सबसे निचली मंज़िल 'ओबरा' जहाँ पशु रखे जाते थे, वहाँ , या उससे ऊपर वाली मंज़िल 'ओबरी' जहाँ भेड़-बकरी रखी जाती थी वहाँ पैदा किए जाते थे , फिर उद्घोष करते हुए 'बाउड़' यानी बरामदे से उसके जन्म की ख़बर दी जाती थी। अब देवता नागेश्वर व अन्य सभी देवी देवताओं को बलियाँ दी गईं । गाँव की बेटी-भाँजियो को 'लाठा' ( उस ज़माने का शुद्ध सफ़ेद कपड़ा ) के दाठु दिए गय । अब माता पिता ने पंडित 'गरिप्टा' को बुलाया व तानू की कुंडली व ग्रह-दशा देखने को कहा । पंडित ग़रिप्टा भयभीत हो गया ये देख कर के तानू अल्प आयु था । उसने ऐलान कर दीया भविष्य में तानू छोटी उम्र में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा किंतु अपने कम जीवन में भी वह अपने ठाट-बाट व सबके साथ बेहद अच्छा व्यवहार रखेगा ( औमरी रो औऊरो लीयौ रो पूरो ) । इस बात से रूष्ट तानू की माता बिलखते हुए उस जन्म-पत्री को जला देने की बात करती है व ऐलान करती है के अभी तो तानू रेंग कर कोनो पर जाने वाला व गोद के लिए रोने वाला छोटा बच्चा है पर इसके उपरांत वो उससे ऐसा कोई काम नहीं करवाएगी जिसने जान का ख़तरा हो व पंडित की भाविश्वाणी को ग़लत साबित करेगी । इसलिए बड़े होने पर तानू को गैलडु-बढालडु ( मवेशियों को चुगाने वाला ) बनाएगी । ख़ैर अब यहाँ तानू के पुरूषत्व के क़िस्से सारी की ठकुराइन तक पहुँच गए । 'सारी' उस वक़्त सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित ठक़ुराई थी व काईना के शोली से ब्राल-झ़ड़ग, करासा-मंडलगढ़-समरैर होते हुए रामपुर की नोगली तक फैली हुई थी । लोकश्रुति अनुसार तानू सारी का नवोदित वज़ीर था व ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि अपनी ख्यतियों के कारण उसका लाड़ी से सम्बंध हो पर ये निश्चित है के लाड़ी उसकी ओर बेहद आकर्षित हो चुकी थी जो राजा-रजवाड़ों के लिए अमान्य था । (लाड़ी ठाकुर की बीवी को कहा जाता था व उनके बच्चों को बेटक़ु-बेटक़ि और राजा रानी के बच्चों को टिक्का व देइ कहा जाता था ) । तो अब लाड़ी ने तानू को उस रात अपने नौकरों द्वारा सारी बुलावा भेज दिया । साथ ही नौकरों को आदेश दिया कि तानू के लिए उसिका घोड़ा तैयार किया जाए । जिसपर तानू उन नौकरों को दो टूक कहता है कि उसके पास अपना घोड़ा है । अब तानू अपने चाचा चंदर से सारी जाने की इजाज़त लेता है जिसके जवाब में चंदर कहता है के वज़ीर अपने मालिक मतलब राजा या ठाकुर के सम्मान में प्रस्तुत होता ही है जोकि राजशाही और वज़ारत का क़ायदा भी है । अब तानू के लिए बुशैहर रियासत के चुनिंदा चोग़े ( रैसति रै बाग़ै, च़ोउगै ) निकाले गए । तानू ने उन्मेसे वो चोगा पहना जिसने सोने की ज़रियाँ थीं ( पहाड़ी में उसे सूनै री माखी यानी छोटी छोटी मक्खिनुमा कड़ियाँ थीं ) । अब तानू जब नीचे सीधा सारी के महल में दाख़िल हुआ तो सब राजसी लोग उसका व्यक्तित्व देख दंग रह गए । क्यूँकि ऐसा कहा जाता है के उस ज़माने में सोने या चाँदी से जड़ित कपड़ों(बागै) को हम 'ख़शिये' रजवाड़ों के सामने नहीं पहन सकते थे तो ये तानू का प्रभाव ही कहा जा सकता है कि वो ठाकुर की आँखो के सामने अपने ग़ुरूर में आ धमका जो ज़ाहिर है ठाकुर को नागवार ही गुज़रता इधर उसे तानू व उसकी बीवी के संबंधो की भनक भी लग चुकी थी । 'पौंद्रौह शौ 1500' मँढोल , क़ाईना , शील , ब्राल , झ़ड़ग व गाँड़ानाओर इलाक़े को कहा जाता है व उससे आगे क़लगाँव इत्यादि 'बारा बीश 12-20' कहा जाता है । जनश्रुति अनुसार किसी पंद्रह शौ इलाक़े के किसी दोस्त ने ही तानू की चुग़ली कर दी । इस बात का पता चलते ही ठाकुर ने षड्यंत्र रच पहले तानू की ख़ूब खतिरदारी की और बाद में तानू को सोने के लिए दूसरे 'कोट' यानी महल में बाइज़्ज़त भेज दिया व पीछे से ख़ुद 'ग़ुरुज़' यानी बंदूक़ के साथ आ धमका । इससे पहले तानू कुछ साँझ पाता ठाकुर श्रीव्यास ने उसे मार दिया व उसकी धड़ सीढ़ियों में लुढ़कते हुए नीचे आ गिरी व ठाकुर ने ये दर्शाया की शायद तानू ने अपने पन्द्रहा शोई दोस्त के साथ भांग(भांगौ) या सुल्फ़ा(औतरौ) पिया अथवा वो नशे में 'ज़ोज़ी' ( बच्चों को सीढ़ियों में लुढ़कने से बचाने हेतु लकड़ी के फट्टों की रुकावट ) से नीचे गिर गया होगा पर प्रत्यक्षदर्शियों ने इसकी शिकायत पिता रुक़म से कर दी व अब बदले की आग में झड़ग़ के लोगों ने सारी के महल के पत्थर पब्बर में फेंक दिए । इससे डर कर ठाकुर ने अब रूकम को नोगली तक की वज़ारत की पेशकश कर दी जिसपर रूकम आक्रोश में रामपुर जाकर बुशहर रियासत के तत्कालीन राजा से उसकी शिकायत करने की बात की । जो उसने किया भी और 'धाऊड़ी' यानी पुलिस बल का फ़रमान लेकर वापिस पहुँच गया । इसी तरह की ऐतिहासिक गाथाओं के लिए जुड़े रहिए । Listen Now Latest Himachali Traditional Folk Song | Chiraag Jyoti Majta Songs | Himachali Natti | Latest Pahari Natti 2017 | Pahadi Song