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जाने दिन और रात होने के कारण तथा मौसम कैसे बदलता है ? | हिन्दी में | zedSci | About this video : - आज के इस विडियो में आप जानेंगे अपनी प्रकृति से जुडी सबसे आसान और मनोरंजक जानकारी, जैसे – दिन व रात कैसे होती है? तथा मौसम कैसे बदलते हैं आदि| हम इन्हें एक के बाद एक कांसेप्ट के रूप में समझेंगे सबसे पहले जानते है ऑर्बिट या कक्षा के बारे में – ऑर्बिट या कक्षा: ग्रह या उपग्रह का परिक्रमा पथ | यानी वह घेरा जिसके अंदर कोई ऑब्जेक्ट किसी दूसरे ऑब्जेक्ट का चक्कर लगाता है| जैसे चन्द्रमा जो की एक ऑब्जेक्ट है और पृथ्वी जो की दूसरा ऑब्जेक्ट है, यहाँ पहला ऑब्जेक्ट चन्द्रमा, दूसरे ऑब्जेक्ट पृथ्वी का चक्कर लगाता है| चन्द्रमा जिस रास्ते पर पृथ्वी का चक्कर लगाता है उसी रास्ते को हम कक्षा कहते है| आसानी से समझने के लिए हम इसे एक घेरा बनाकर दर्शाते है| और पृथ्वी व चन्द्रमा की तरह ही बांकी के आकाशीय पिंड भी अपनी अपनी कक्षा में चक्कर लगाते हैं| ऑर्बिट कई तरह के हो सकते है जैसे गोलाकार और अंडाकार| प्लूटो का ऑर्बिट बांकी ग्रहों और पिंडो की तुलना में थोडा अलग प्रकार का है, यह बांकियों की तरह एक प्लेन में नहीं है, और यह सूर्य के चारों ओर बराबर गोला नहीं बनाता, यानी यह अपने एक चक्कर के दौरान कभी सूर्य के पास होता है तो कभी दूर, साथ की इसकी कक्षा Neptune की कक्षा को क्रॉस करती है| पर घबराईये नहीं, इन दोनों की टकराने की कोई सम्भावना नहीं है| सूर्य का गुरुत्वाकर्षण सभी ग्रहों को बांधे रखता है जिससे ग्रह अपनी कक्षा से हटकर दूर नहीं जा सकते, और सूर्य के चारों ओर इनकी गति इन्हे सूर्य पर गिरने से रोकती है| सूर्य से जो पिंड जितना दूर होगा उस पर सूर्य के गुरुत्वाकर्षण का असर उतना ही कम होगा क्यों की गुरुत्वाकर्षण का असर दूरी के साथ कम होते जाता है| साथ ही जो पिंड सूर्य से जितना दूर होगा उसकी कक्षा उतनी ही बड़ी होगी और वह सूर्य का चक्कर लगाने में उतना ही ज्यादा समय लेगा| इसीलिए अलग अलग पिंड सूर्य का चक्कर लगाने में अलग अलग समय लेते है जैसे – बुध – 88 days शुक्र – 224 days पृथ्वी - 365 days मंगल - 687 days बृहस्पति - 11. 9 years शनि - 29.5 years यूरेनस – 84 years नेपच्यून - 164 years Pluto – 247 years. जितने समय में कोई पिंड सूर्य का एक चक्कर लगता है, हम उस समय को उस पिंड का एक साल कह सकते है| जैसे पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर लगाने में 365 दिन लेती है, इसीलिए हम 365 दिनों को पृथ्वी का एक साल मानते हैं| और इसी चक्र को हम revolution भी कहते है| यानी पृथ्वी अपना एक revolution पूरा करने पर, अपनी उसी लोकेशन पर लौट आती है, जहाँ से उसने सूर्य की परिकर्मा शुरू की थी| अक्ष/धुरी या Axis: हम सब जानते है की पृथ्वी घूमती है जिसके कारण दिन व रात होते है, आईये इसे और अच्छे से समझते है| किसी वस्तु के मध्य भाग में से जाती काल्पनिक रेखा जिसके चारों ओर वह वस्तु घूमती है| पृथ्वी के बीचों बीच से अगर हम खड़े में एक काल्पनिक रेखा खीचें तो उसे ही हम पृथ्वी का अक्ष कहेंगे| अक्ष बिलकुल बाहन के चक्के में लगी धुरी की तरह होती है| जिससे जुड़कर चक्का चारों और घूमता है| जब हम पृथ्वी की धुरी समझने के लिए एक सीधी रेखा खीचते है, तो वह उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव से होकर गुजरती है| आप ग्लोब के बीचों बीच भी इसे देख सकते हैं| और पृथ्वी अपनी इसी रेखा पर टिकी रहकर अपने चारों और गोल गोल घूमती है| पृथ्वी के इसी गोल चक्कर को हम पृथ्वी की रोटेशन कहते हैं| चूँकि पृथ्वी अपने अक्सिक्स पर घूमने के लिए 24 घंटे का समय लेती है, यानी पृथ्वी का एक rotation 24 घंटे का होता है| वहीँ बांकी ग्रहों का rotational time इस प्रकार है – बुध – 1,408 hours शुक्र – 5,832 hours पृथ्वी - 24 hours मंगल - 25 hours बृहस्पति - 10 hours शनि - 11 hours यूरेनस – 17 hours नेपच्यून - 16 hours. यानी सबसे लम्बा दिन 5,832 घंटे का शुक्र ग्रह पर होता है| घूमते हुए किसी भी ग्रह का एक हिस्सा हमेशा सूर्य की तरफ होगा और दूसरा हिस्सा सूर्य से दूर, तो जो हिस्सा सूर्य की तरफ होगा उस पर प्रकाश होगा, और जो हिस्सा सूर्य से दूर होगा वहां प्रकाश न होने के कारण वहाँ अँधेरा होगा| तो ग्रह के जिस हिस्से पर प्रकाश होगा उसे हम दिन कहेंगे, और जिस हिस्से पर अँधेरा होगा हम उसे रात कहेंगे| और चूँकि ग्रह लगातार घूम रहा है इसीलिए ग्रह के किसी न किसी हिस्से पर हमेशा दिन, और किसी न किसी हिस्से पर हमेशा रात रहेगी| इसी तरह से पृथ्वी पर दिन और रात होते है| Axis का Angle: सायद आपको इस बात की जानकारी हो की पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री पर झुकी हुयी है| पर इसका क्या फायदा? पृथ्वी अपने अक्ष पर सीधी नहीं है बल्कि वह 23.5 डिग्री झुकी हुयी है| क्योंकि माना जाता है की करोड़ों सालों पहले एक बड़े से पिंड का पृथ्वी से टकराने के कारण पृथ्वी अपनी धुरी पर तिरछी हो गयी और तब से वह अभी भी झुकी हुयी है| वहीँ कुछ वैज्ञानिकों का मानना है की सूर्य के अलावा चन्दमा, बृहस्पति, शनि और मंगल आदि पिंडों के गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी 23 डिग्री पर झुकी हुयी है| दोनों थ्योरीस के पीछे अपने अपने तर्क है, पर यूरेनस अपने Axis पर 98 degrees तक झुका हुआ है| और माना जाता है, यह उल्का पिंड से टकराने के कारण ऐसा हुआ है| इसीलिए पृथ्वी के मामले में पिंड के टक्कर वाली थ्योरी ज्यादा सच लगती है| पृथ्वी के इस झुकाव को आप ग्लोब में भी देख सकते है, क्योंकी ग्लोब को भी 23 डिग्री झुका हुआ ही बनाया जाता है| अगर जानकारी आपको अच्छी लगी तो विडियो को लाइक करें और ऐसी ही जानकरी के लिए चैनल को सब्सक्राइब कर लें | धन्यबाद !