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खतरनाक कुंड के पास जाने से भी डरते हैं लोग इस किले में! करेरा का किला ! karera fort Madhya Pradesh ! @tourvlogger3841 #karerafort #karerakakila #bundelkhand #madhyapradesh #madhyapradeshheritage #fortofindia #shivpuri #tourvlogger #kareraforthistory #jhansi_ki_rani #jhansifort #करेरा_का किला #fortofMadhyaPradesh करैरा का ऐतिहासिक किला जिला मुख्यालय से 52 किमी दूर स्थित करैरा कस्बा 1350 ई में बसाया गया था जिसे पहले कर्णहार नाम से जाना जाता था। कालांतर में यह शब्द बदलकर पहले करहरा और बाद में करैरा हो गया। करैरा के ऐतिहासिक किले का निर्माण राजा पुण्यपाल परमार ने करवाया। इस किले की धरातल से ऊंचाई 115 फीट, पूर्व से पश्चिम की और लंबाई 1900 फीट, और चौड़ाई 700 फीट थी। इसके चारो ओर विशाल परकोटे का निर्माण कराया गया था। परकोटे के चारो दिशाओं में विशाल दरवाजे भी थे जिन्हें शंकर दरवाजा, गंज दरवाजा, गूजर दरवाजा, झांसी दरवाजा तथा चांद दरवाजा कहा जाता था। इनमें से अधिकांश दरवाजे अपना मूल स्वरूप खो चुके हैं, लेकिन उनके बचे हुए अवशेष उनकी तत्कालीन भव्यता दर्शाते आज भी नजर आते हैं। करैरा दुर्ग पर कई राजाओं ने शासन किया था। जिनमें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई भी शामिल है। उनके पति गंगाधर राव नेवालकर की मृत्यु के बाद करैरा किला रानी के आधिपत्य में रहा। वर्तमान में ऐतिहासिक महत्व वाला यह दुर्ग असमाजिक तत्वों व आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की पनाहगार भी बना हुआ है। आस पास के क्षेत्रों में वारदात करके अपराधी छुपने के लिए यहां शरण लेते रहे हैं, जिसके प्रमाण कई बार सामने आए हैं। प्राचीन करैरा दुर्ग के अंदर स्थित त्रयंबकेश्वर का शिव मंदिर, हनुमान मंदिर, व मजार लोगों की आस्था का केन्द्र हैं। आज भी प्रतिदिन कस्बेवासी हिन्दू-मुस्लिम सभी किले पर जाकर पूजा-अर्चना करते है। करैरा दुर्ग पर दफीना खोरों (गढ़ा धन खोदने वाले) की नजर बनी हुई है और वह मौका पाकर गढ़े धन के लालच में गढ्ढे खोदकर किले के स्वरूप को नष्ट कर रहे हैं। करैरा दुर्ग का आकर्षण आज भी बरकरार है। मुख्य द्वार पर बनी कचहरी आज भी लोगों के आकर्षण का केन्द्र है। किले के अंदर कुआं, तालाब, बावड़ी भी देखने काबिल है। प्राचीन दीवारों पर उकरे भित्ति चित्र आज भी उस समय की कला का बेजोड़ नमूना प्रदर्शित करते नजर आते हैं। करैरा के वरिष्ठ साहित्यकार सतीश श्रीवास्तव ने बताया कि करैरा दुर्ग के ऐतिहासिक आईने पर अपनी रचना लिखने वाले राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त स्थानीय साहित्यकार स्व डॉ मुरारी लाल द्विवेदी के अनुसार किले का निर्माण 1618 ई में कराया गया था। इस किले पर कई राजाओं ने शासन किया इस किले पर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का भी शासन रहा था। karera fort karera ka kila karera fort history karera karera kile ka itihaas karera kila करेरा का किला करेरा किला