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#spirituality #upanishads #amritvani मन, शरीर और आत्मा से परे: Nisargadatta Maharaj के उपदेश - सुख, समय और सच्चे स्वरूप की खोज" इस वीडियो में सुनिए "I Am That" पुस्तक के अध्याय 91 से 97 तक के चुनिंदा सारगर्भित संवाद — जिनमें श्री निशर्गदत्त महाराज आत्म-साक्षात्कार और अद्वैत वेदांत के गूढ़ सत्य को प्रकट करते हैं। 📌 इस वीडियो में शामिल विषय: 91. सुख और आनंद: जानिए क्षणिक सुख और गहरे आनंद में क्या फर्क है। 92. ‘मैं शरीर हूँ’ की धारणा से आगे बढ़िए: जानिए कि आपका सच्चा स्वरूप शरीर से कहीं अधिक व्यापक है। 93. मनुष्य कर्ता नहीं है: नियंत्रण के भ्रम से मुक्ति और समर्पण का गूढ़ अर्थ। 94. आप समय और स्थान से परे हैं: सीमाओं से मुक्त, नित्य अस्तित्व का अनुभव। 95. जीवन को जैसा है वैसा स्वीकारें: बिना प्रतिरोध के जीवन को अपनाने की कला। 96. स्मृतियों और अपेक्षाओं को छोड़ दें: वर्तमान क्षण में पूर्ण शांति की प्राप्ति। 97. मन और संसार अलग नहीं हैं: आत्मा और जगत की एकता को पहचानिए। 🧘♂️ निशर्गदत्त महाराज की यह वाणी सीधे आत्मा को छू जाती है — वे शब्दों के पार जाकर साक्षीभाव, वास्तविक चेतना और निर्दोष मौन की ओर इशारा करते हैं। 🔔 अगर आप आध्यात्मिक मार्ग, अद्वैत वेदांत या आत्मज्ञान की खोज में हैं — तो यह वीडियो आपके भीतर गहरे उत्तर जगाएगा।