У нас вы можете посмотреть бесплатно स्वयं भी नाचे और ना नाचने वाले को भी नचा दें सुखदेव दास का मंडाण или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
Если кнопки скачивания не
загрузились
НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием видео, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу
страницы.
Спасибо за использование сервиса ClipSaver.ru
एक बार जरूर पढ़े सबके घरों में उत्सव,त्यौहार, विवाह या ख़ुशी का कोई बार त्योहार मनाया जाता है लेकिन जब तक ढ़ोल, दमाउ लय ताल के साथ बजता है तो उसमें जो सब नाचने वाले होते है वह सभी उस लय, और ताल में खो जाते है वैसे तो हर शुभ कार्य कि अपनी एक विशेषता होती है पर विवाह जैसा महत्वपूर्ण मांगलिक कार्य जिसमें ढ़ोल और दमाउ सबसे आगे होते है ध्यान दें अर्थात वर नारायण भी तभी शोभा पाते है ज़ब ढ़ोल दमाउ आगे हों❤️ आप स्वयं देखें कि ढ़ोल,दमाउ, आदि बाजे ना बजें तो आनंद नहीं आता और जैसे ढ़ोल दमाउ बजें वैसे ही हर बच्चा, बुढ़ा, जवान, सभी के मन कि प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहता 👌 और सभी खूब मन से नाचते है और कल्पना कीजिये कि बिना ढ़ोल दमाउ के बारात कैसी लगेगी? 🙏 ऐसे ही कोई भी इन्सान यदि यह सोचे कि इनके बिना हमारा काम चल जायेगा तो वह कभी भी किसी भी हालात में नहीं होगा 👌 इसलिये देश, काल, परिस्थिति, समयानुसार सबका अपनी अपनी जगह सम्मान होना चाहिए यह सनातन धर्म है यह मेरा निजी मत है 🙏 वैर भाव पूर्ण भेद बुद्धि इन्सान तो क्या पशु पक्षीआदि चींटी से लेकर हाथी तककिसी के साथ नही होना चाहिए यदि आप हमारे इन विचारों से सहमत हों तो वीडियो को लाईक सब्सक्राइब शेयर जरूर करें धन्यवाद