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श्रेय: संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल लेखक - रमन द्विवेदी भक्तों नमस्कार! प्रणाम! सादर नमन और अभिनन्दन... भक्तों! गणेश जी प्रथमपूज्य प्रथमेश्वर, विघ्नेशवर और मंगलमूर्ति हैं इनकी पूजा अर्चना, विघ्न हरनेवाली और मंगल करनेवाली है। बिना गणेश जी की कृपा कोई भी मांगलिक कार्य सिद्ध नहीं होते। देशभऱ में गणेश जी के लाखों मंदिर है। सभी मंदिरों में विघ्नेश्वर गणेश जी वक्रतुंड स्वरूप में विराजमान होते हैं। लेकिन गणेश जी का एक ऐसा भी मंदिर है जहां गणपति जी बिना सूंड के विराजमान हैं...क्योंकि यहाँ उनके बाल रुप की पूजा की जाती है। भक्तों बिना सूंड के गणेश जी का यह अनोखा मंदिर राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित है। यह मंदिर, गढ़ गणेश मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। पुरुषाकृति विग्रह: भक्तों गढ़ गणेश मंदिर जयपुर का एक प्राचीन मंदिर है। जो शहर के उत्तर दिशा में, नाहरगढ़ के समीप अरावली पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह मंदिर दूर से उंची पहाड़ी के शिखर पर ऐसे दिखाई देता है जैसे पहाड़ी के मस्तक पर भव्य मुकुट सुशोभित हो रहा है। चन्द्रमहल से गणेश जी का दर्शन: भक्तों गढ़ गणेश मंदिर का निर्माण खास तरह से कराया गया है। कहते हैं कि राजपरिवार के सदस्य जिस महल में रहते है उसे चंद्रमहल के नाम से जाना जाता है। जो सिटी पैलेस का हिस्सा है। चंद्रमहल की उपरी मंजिल से इस मंदिर में स्थापित मूर्ति के दर्शन होते हैं। कहा जाता है कि पूर्व राजा-महाराजा गोविंददेवजी और गढ़ गणेश जी के दर्शन करके अपनी दिनचर्या की शुरुआत करते थे। मंदिर में दो बड़े मूषक भी हैं, जिनके कान में दर्शनार्थी अपनी मन्नत मांगते हैं। बिना सूंड वाले गणेश जी मान्यता काफी है और हर बुधवार को यहां भक्तों की भीड़ होती हैं बड़ी संख्या में भक्त, बिना सूंड वाले बाल स्वरूप के दर्शन को पहुंचते हैं। विशेष आयोजन: भक्तों गढ़ गणेश मंदिर में भाद्रप्रद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी अर्थात गणेश चतुर्थी का विशेष आयोजन होता है। इस अवसर पर, हर साल यहाँ पांच दिनों का मेला आयोजित किया जाता है और विशेष पूजा अर्चना यज्ञ हवन और अनुष्ठान किए जाते हैं। गणेश चतुर्थी के इस पंचदिवसीय मौके पर यहाँ भक्तों की अपार भीड़ होती है। जो दूर दराज से यहाँ आकर भगवान गणेश से मनोरथ सिद्ध करने की प्रार्थना करते हैं। अन्नकूट और पौष बड़े: भक्तों गढ़ गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी के अतिरिक्त भी कई त्योहार बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। यहाँ दीवाली के बाद के पहले बुधवार को, ‘अन्नकूट’ का आयोजन किया जाता है। इस मंदिर में प्रत्येक वर्ष पौष महीने के बुधवार को ‘‘पौष बड़े’ के नाम से उत्सव आयोजित किया जाता है। बुधवार को भक्तों की भीड़: भक्तों! लोगों का विश्वास है कि बुधवार को गढ़ गणेश मंदिर आकर भगवान गणेश के दर्शन पूजन करने से, प्रार्थना करने से सभी विघ्न बाधाएँ दूर हो जाती हैं, सारे कार्य सिद्ध और मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं। भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏 इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏 Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पु #devotional #ganesh #ganpatibappamorya #garhganeshtemple #bappa #youtube #vlogs #rajasthan