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माता सीता का जीवन भारतीय पौराणिक कथाओं और विशेष रूप से रामायण में उल्लेखनीय स्थान रखता है। माता सीता को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है, और उनका जीवन आदर्श नारीत्व, समर्पण और धर्म का प्रतीक है। माता सीता का जन्म और परिचय: माता सीता का जन्म मिथिला राज्य के राजा जनक और रानी सुनयना के घर में हुआ था। कहा जाता है कि वे धरती माता से उत्पन्न हुई थीं। जब राजा जनक एक यज्ञ के लिए भूमि जोत रहे थे, तब उन्हें धरती से एक बालिका मिली, जिसे उन्होंने अपनी पुत्री के रूप में अपनाया। इस कारण माता सीता को "भूमिजा" या "जानकी" भी कहा जाता है। विवाह: सीता का विवाह भगवान राम से हुआ, जो अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र और विष्णु के अवतार थे। यह विवाह जनकपुर में स्वयंवर के माध्यम से संपन्न हुआ, जहाँ भगवान राम ने शिवजी का धनुष तोड़कर माता सीता का वरण किया। वनवास: जब भगवान राम को 14 वर्षों के वनवास का आदेश मिला, तो माता सीता ने अपनी पतिव्रता धर्म निभाते हुए उनके साथ वन जाने का निर्णय लिया। वनवास के दौरान माता सीता ने कई कठिनाइयों का सामना किया और अपने पति के साथ धर्म और निष्ठा का पालन किया। रावण द्वारा अपहरण: लंका के राजा रावण ने छलपूर्वक माता सीता का अपहरण कर लिया और उन्हें अशोक वाटिका में बंदी बनाकर रखा। लेकिन माता सीता ने अपने आत्म-सम्मान और पवित्रता को बनाए रखा। राम-रावण युद्ध और उद्धार: भगवान राम ने वानर सेना और हनुमानजी की सहायता से लंका पर चढ़ाई की और रावण का वध कर माता सीता को मुक्त कराया। अग्निपरीक्षा: मुक्ति के बाद, माता सीता ने अपनी पवित्रता सिद्ध करने के लिए अग्निपरीक्षा दी। अग्निदेव ने उनकी शुद्धता और पवित्रता की पुष्टि की, और वे वापस अयोध्या लौट आईं। अयोध्या वापसी और त्याग: अयोध्या लौटने के बाद कुछ लोगों के अपमानजनक सवालों के कारण भगवान राम ने धर्म की रक्षा के लिए माता सीता को वनवास भेज दिया। वन में रहते हुए उन्होंने महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में अपने दोनों पुत्रों, लव और कुश, को जन्म दिया और उनका पालन-पोषण किया। धरती में समर्पण: जब भगवान राम ने सीता को वापस बुलाया, तो उन्होंने अपनी पवित्रता को फिर से प्रमाणित करने के लिए धरती माता से अपनी शरण मांगी। धरती माता ने उन्हें अपनी गोद में समा लिया। माता सीता का जीवन हमें सहनशीलता, समर्पण, निष्ठा और मर्यादा का आदर्श सिखाता है। उनका चरित्र सदैव भारतीय संस्कृति और नारीत्व का प्रेरणास्रोत बना रहेगा।