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बेटा उसे अपनी माँ नही डायन समझता था | रंजना जायसवाल - सम्मोहन | Ranjana Jaiswal Story | सिम्मी सैनी सैनी @kathasahityapro बिना सोच - विचार किए किसी को बारे में धारणा बनाना बहुत गलत है । इसी ताने बाने में उलझी कहानी ' सम्मोहन ' सुनिएगा । नाम--रंजना जायसवाल जन्म – ०३ अगस्त को पूर्वी उत्तर-प्रदेश के पडरौना जिले में | आरम्भिक शिक्षा –पड़रौना में | उच्च-शिक्षा –गोरखपुर विश्वविद्यालय से “’प्रेमचन्द का साहित्य और नारी-जागरण”’ विषय पर पी-एच.डी । प्रकाशित कृतियाँ –कविता-संग्रह -मछलियाँ देखती हैं सपने [२००२],दुःख-पतंग [२००७],जिंदगी के कागज पर [२००९],माया नहीं मनुष्य [२००९],जब मैं स्त्री हूँ [२००९] सिर्फ कागज पर नहीं[२०१२]क्रांति है प्रेम [2015]स्त्री है प्रकृति(2018)खंड -खंड स्त्री(2021) कहानी-संग्रह –तुम्हें कुछ कहना है भर्तृहरि [२०१०],औरत के लिए [२०१३]कैसे लिखूँ उजली कहानी(2018)अति सूधो स्नेह को मारग है(2018)खुल जाए सिमसिम(2022) लेख-संग्रह –स्त्री और सेंसेक्स [२०११]तुम करो पुण्य हम करें तो पाप(2018) उपन्यास -..और मेघ बरसते रहे ..[२०१३],त्रिखंडिता [2017] सम्मान –अ .भा .अम्बिका प्रसाद दिव्य पुरस्कार[मध्य-प्रदेश], भारतीय दलित –साहित्य अकादमी पुरस्कार [गोंडा ],स्पेनिन साहित्य गौरव सम्मान [रांची ,झारखंड]|विजय देव नारायण साही कविता सम्मान [लखनऊ,हिंदी संस्थान ]भिखारी ठाकुर सम्मान [सीवान,बिहार ] #inspirationalstory #kahani #hindistories #kahaniya #hindikahani #hindiliterature #hindiaudiobooks